सड़कों पर आंखों से ही वाहनों की फिटनेस जांच लेते हैं अधिकारी, इसलिए होती हैं दुर्घटनाएं
उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं की जांच में वाहनों की फिटनेस सही न होना दुर्घटना के एक बड़े कारण के रूप में सामने आ चुका है। बावजूद इसके स्थिति यह है कि प्रदेश में वाहनों की फिटनेस जांचने के लिए बहुत पुख्ता व्यवस्था नहीं है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं की जांच में वाहनों की फिटनेस सही न होना दुर्घटना के एक बड़े कारण के रूप में सामने आ चुका है। बावजूद इसके स्थिति यह है कि प्रदेश में वाहनों की फिटनेस जांचने के लिए बहुत पुख्ता व्यवस्था नहीं है। हाल ही में वाहनों की फिटनेस के लिए एम फिटनेस एप तैयार कर नई व्यवस्था लागू की गई है। इसमें सबसे बड़ी खामी यह कि यह एप आरटीओ कार्यालय परिसर से बाहर काम नहीं करता। ऐसे में जांच के दौरान वाहनों की फिटनेस नजरों से ही की जाती है। प्रदेश में चार स्थानों पर ऑटोमेटेड मोटर टेस्टिंग लेन बनाया जाना प्रस्तावित है, लेकिन इनका निर्माण भी अभी तक शुरू नहीं हो पाया है।
प्रदेश में जितनी तेजी से नए वाहनों का रजिस्ट्रेशन हो रहा है, उतनी ही तेजी से पुराने वाहनों की फिटनेस भी हो रही है। प्रदेश में हर साल चारधाम यात्रा और पर्यटन के लिए लाखों श्रद्धालु आते हैं। यात्रा के दौरान पर्वतीय क्षेत्रों में केवल वही वाहन संचालित हो सकते हैं, जिन्हें परिवहन कार्यालय ने फिटनेस का सर्टिफिकेट जारी किया हो। प्रदेश के किसी भी सरकारी कार्यालय में फिटनेस जांचने के लिए अभी तक कोई कंप्यूटरीकृत व्यवस्था नहीं थी। ऐसे में प्राविधिक निरीक्षक अपने अनुभव और नजर भर वाहन को देखने के बाद फिटनेस प्रमाण पत्र जारी कर रहे थे। इससे वाहनों में तकनीकी खराबी के चलते दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंका बनी रहती है।
प्रदेश में अभी तक आई सरकारों ने कभी इस ओर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया। अब प्रदेश में परिवहन विभाग सारी व्यवस्थाएं ऑनलाइन कर रहा है। तीन माह पूर्व ही विभाग में एम फिटनेस एप व्यवस्था लागू की गई है, लेकिन इसके लिए वाहनों काे कार्यालय में लाना जरूरी है। इतना ही नहीं इस एप से भी वाहनों की चार एंगल के माध्यम से फोटो खींची जाती है। इसके बाद एप ही इसकी फिटनेस जांचता है। हालांकि, नया एप होने के कारण इससे फिटनेस जांचने में अभी परेशानी भी महसूस की जा रही है।
दुर्घटना के आंकड़ों पर नजर डाले तो इस वर्ष अक्टूबर तक 796 वाहन दुर्घटनाएं हुई हैं । इनमें 519 व्यक्तियों की मौत हुई और 638 घायल हुए हैं। हादसों की जांच में ज्यादातर कारण ओवरलोडिंग या तेज रफ्तार रही। इसके साथ ही तकनीकी खराबी के कारण सात दुर्घनाओं के मामले भी सामने आए हैं, जिनमें 12 व्यक्तियों की मौत हुई।
टेस्टिंग लेन लेन को लेकर बढ़ता इंतजार
चारधाम यात्रा के दौरान दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने और व्यवस्था चाक-चौबंद करने के मसकद से सरकार ने प्रदेश में चार स्थानों में मोटर टेस्टिंग लेन बनाने का निर्णय लिया है। इसमें एक टेस्टिंग लेन ऋषिकेश, एक हरिद्वार में और दो हल्द्वानी में बनाई जानी प्रस्तावित हैं। अचरज यह है कि सबसे पहले वर्ष 2009 में ऋषिकेश में मोटर टेस्टिंग लेन बनाने का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया था। इसके बाद विभिन्न कारणों से मामला लंबित होता चला गया। अब केंद्र सरकार नें हरिद्वार और हल्द्वानी में मोटर टेस्टिंग लेन के लिए 16 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। हालांकि, इनके निर्माण का काम अभी शुरू नहीं हो पाया है।
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फिटनेस के मानक
- वाहन के इंजन व एक्सीलेटर की जांच
- स्टेयरिंग लॉक की जांच
- इंडीकेटर, वाइपर, रिफ्लेक्टर, ब्रेक और टॉयर की जांच
- ड्राइवर केबिन का पाॢटशन, हेड लाइट आदि की जांच वाहन के अनुरूप
- निजी वाहनों को 15 साल में फिटनेस जांच करानी होती है
- व्यावसायिक वाहनों को हर साल जांच के लिए वाहन आरटीओ लाना अनिवार्य
- पर्वतीय क्षेत्र के व्यावसायिक वाहनों की हर छह माह में फिटनेस जांच अनिवार्य