गंगा स्वच्छता पर एनजीटी सख्त, नदी में सीवरेज गया तो अधिकारी भरेंगे 10 लाख जुर्माना
एनजीटी के सख्त रुख के बाद अब प्रदेश में गंगा की स्वच्छता को लेकर शासन ने कड़ा रुख अपनाया है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के सख्त रुख के बाद अब प्रदेश में गंगा की स्वच्छता को लेकर शासन ने कड़ा रुख अपनाया है। नमामि गंगे के तहत राज्य गंगा समिति की बुधवार को सचिवालय में हुई बैठक में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने एनजीटी के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि नमामि गंगे में निर्माणाधीन एसटीपी प्रोजेक्ट के कैचमेंट एरिया से गंगा में सीवरेज जाने पर एक जुलाई 2020 से संबंधित प्रोजेक्ट पर 10 लाख रुपए प्रतिमाह का अर्थदंड केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में जमा करना पड़ेगा, इसका दायित्व संबंधित विभागीय अधिकारी पर निर्धारित किया जाएगा।
मुख्य सचिव ने नमामि गंगे में निर्माणाधीन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से जुड़े कार्य 31 दिसंबर तक पूर्ण कराने के निर्देश दिए। अन्यथा की स्थिति में ऐसे प्रकरणों में राज्य पर प्रतिमाह लगने वाले अर्थदंड को संबंधित विभागीय अधिकारी भरेंगे। उन्होंने कहा कि जिन स्वीकृत एसटीपी पर कार्य शुरू नहीं हो पाया है, वहां बायोरिमेडिएशन या अन्य कोई निर्धारण सीवेज उपचार एक नवंबर 2019 तक पूरा करने के निर्देश दिए गए थे। इसमें भी अन्यथा की स्थिति में पांच लाख प्रतिमाह की प्रतिपूर्ति केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में जमा करने का प्रावधान है।
बैठक में बताया गया कि जिन नालों को टैप करने में विलंब था, उनमें प्राथमिकता के आधार पर बायोरिमेडिएशन के जरिये ट्रीटमेंट कर लिया गया है और एसटीपी पूर्ण होने पर नालों को इससे जोड़ा जाएगा। रुद्रप्रयाग, चमोली, ऋषिकेश, गोपेश्वर में ये कदम उठाए गए हैं। कागजी आंकड़ों पर नहीं भरोसा मुख्य सचिव ने दो टूक कहा कि नमामि गंगे का उद्देश्य सभी पूर्ण होगा, जब गंगा और उसके घाटों की सफाई की पुष्टि तीर्थयात्री स्वयं करेंगे। उन्होंने कहा कि वह कागजी आंकड़ों पर विश्वास नहीं करते। साथ ही अधिकारियों को परिणामपरक कार्य करने के निर्देश दिए, ताकि उसका लाभ सीधा दिखाई दे।
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डीएम करें हर पखवाड़े समीक्षा
मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया कि वे एनजीटी के निर्देशों के क्रम में हर पखवाड़े नमामि गंगे के कार्यों की समीक्षा करें। इसमें एसटीपी में उपचारित सीवेज के मानकों की जांच, घाटों की सफाई जैसे विषयों की निरंतर मॉनीटरिंग की जाए। यदि अपरिहार्य कारणों से डीएम तय तिथि को उपलब्ध न हो तो उस दिन वे अधिकारी तैनात करें।
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चार विभाग गंगा समिति में शामिल
बैठक में ग्राम्य विकास, कृषि, शिक्षा और युवा कल्याण विभागों को उत्तराखंड राज्य गंगा समिति में शामिल करने को स्वीकृति दी गई। इस संबंध में पूर्व में केंद्र ने निर्देश जारी किए थे। बैठक में सचिव वन अरविंद सिंह ह्यांकी, कार्यक्रम निदेशक नमामि गंगे उदयराज, पीसीबी के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि आदि मौजूद थे।
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