15वें वित्त आयोग में काम आई पैरवी, 3335 करोड़ ज्यादा मिलेंगे
15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के मुताबिक केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी राजस्व घाटा अनुदान समेत करीब 3335 करोड़ का सालाना लाभ उत्तराखंड के खाते में आएगा।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। 15वें वित्त आयोग में राज्य की ओर से की गई पैरवी रंग लाई है। आयोग की सिफारिशों के मुताबिक केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी, राजस्व घाटा अनुदान समेत करीब 3335 करोड़ का सालाना लाभ उत्तराखंड के खाते में आएगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि आपदा राहत निधि में इजाफा होने से राज्य को बड़ी मदद मिली है। साथ में शहरी निकायों और त्रिस्तरीय पंचायतों को भी विकास कार्यों के लिए अधिक धन मिलेगा।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि 15वें वित्त आयोग में पुरजोर पैरवी कारगर रही है। आयोग ने राज्य की दिक्कतों को समझते हुए अहम सिफारिशें कीं। इससे राज्य को अगले पांच सालों में राहत मिलने जा रही है। पिछले 14वें वित्त आयोग ने उत्तराखंड को राजस्व घाटा अनुदान नहीं दिया था। लगातार राजस्व घाटा उठा रही सरकार को इस फैसले से बड़ा झटका लगा था। लिहाजा इस बार राजस्व घाटा अनुदान देने के लिए पूरा जोर लगाया गया। आयोग की सिफारिशों के अनुसार राज्य को सालाना 2000 करोड़ का राजस्व घाटा अनुदान मिलेगा।
उन्होंने कहा कि आयोग की सिफारिशों में केंद्रीय करों में राज्य का अंश 1.052 से बढ़ाकर 1.104 किया गया है। इससे राज्य को सालाना करीब 300 से 400 करोड़ का लाभ मिलेगा। उत्तराखंड पूरे देश को बहुमूल्य ईको सिस्टम सेवाएं प्रदान कर रहा है। इस वजह से आयोग से करों के निर्धारण के फार्मूले में वन सेवाओं के अंश को बढ़ाने का अनुरोध किया गया था। आयोग ने अपने फार्मूले में वनों का अंश 7.5 फीसद से बढ़ाकर 10 फीसद किया है। इस वजह से राज्य की कर हिस्सेदारी में वृद्धि हुई है। इसे ग्रीन बोनस कहा जा सकता है।
यह भी पढ़ें: पूरे उत्तराखंड में अब बनाई जाएगी एक समान परमिट नीति
उत्तराखंड को आपदा प्रबंधन के तहत राज्य आपदा निधि के अंश के रूप में बीते वर्ष 254 करोड़ की धनराशि मिली थी। आपदा के प्रति संवेदनशील राज्य के बारे में सरकार ने आयोग के समक्ष प्रस्तुतीकरण दिया था। आयोग ने आपदा राहत निधि के अंश को बढ़ाया है, इससे राज्य को सालाना 1041 करोड़ मिलेंगे। प्रति वर्ष 787 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है। इसीतरह पिछले वित्त आयोग ने शहरी निकायों व पंचायतीराज संस्थाओं के लिए कुल 704.10 करोड़ की सिफारिश की थी। आयोग ने शहरी निकायों व पंचायतीराज संस्थाओं के लिए अनुदान में वृद्धि करते हुए वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए कुल 852 करोड़ अनुदान की सिफारिश की गई है। पिछले आयोग की तुलना में 148 करोड़ रुपये की वृद्धि उक्त अनुदान में की गई है।
यह भी पढ़ें: Budget 2020: बजट से उत्तराखंड को तेजस हाई स्पीड ट्रेन की उम्मीद