Move to Jagran APP

एम्स ऋषिकेश में Test Tube बेबी तकनीक शुरू, IVF सुविधा देने वाला राज्य का पहला सरकारी अस्पताल

AIIMS Rishikesh में आइवीएफ सुविधा शुरू कर दी गई है। स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में एम्स में शुरू हुई इस सुविधा का लाभ सीधे तौर पर उन दंपतियों को मिलेगा जिन दंपतियों के शारीरिक कमी की वजह से बच्चे नहीं हो पाते हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Mon, 11 Oct 2021 05:31 PM (IST)Updated: Mon, 11 Oct 2021 09:41 PM (IST)
एम्स ऋषिकेश में Test Tube बेबी तकनीक शुरू, IVF सुविधा देने वाला राज्य का पहला सरकारी अस्पताल
एम्स ऋषिकेश में Test Tube बेबी तकनीक शुरू।

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। एम्स ऋषिकेश में अब इन विट्रो फर्टिलाइजेशन सेंटर (आइवीएफ) सुविधा शुरू कर दी गई है। स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में एम्स में शुरू हुई इस सुविधा का लाभ सीधे तौर पर उन दंपतियों को मिलेगा, जिन दंपतियों के शारीरिक कमी की वजह से बच्चे नहीं हो पाते हैं। इस सुविधा को प्रदान करने वाला एम्स ऋषिकेश, उत्तराखंड का पहला सरकारी स्वास्थ्य संस्थान बन गया है।

loksabha election banner

एम्स ऋषिकेश के निदेशक और सीईओ प्रोफेसर अरविंद रघुवंशी ने सोमवार को संस्थान के गायनी विभाग में आईवीएफ सेंटर का विधिवत उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि देश में कई दंपति बांझपन की समस्या से जूझ रहे हैं। जो महिलाएं बांझपन की समस्या से ग्रसित हैं, उन्हें सामाजिक कलंक, वर्जना और मानसिक प्रभावों का भी सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि एम्स ऋषिकेश में आईवीएफ केंद्र खुलने से उत्तराखंड और आसपास के शहरों में रहने वाले ऐसे सभी लोगों को लाभ मिल सकेगा जो संतान सुख से वंचित हैं और इस सुविधा से माता-पिता का सुख प्राप्त करना चाहते हैं।

डीन एकेडेमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने कहा कि इस सुविधा को शुरू करने वाला एम्स अस्पताल स्वास्थ्य क्षेत्र में राज्य का पहला सरकारी संस्थान है। अभी तक यह बेहद एक जटिल और महंगा इलाज हुआ करता था, इसलिए अब एम्स ऋषिकेश में शुरू की गई इस सुविधा से मध्यम वर्ग के दंपति भी अपना उपचार करा सकेंगे। मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रो. अश्वनी कुमार दलाल ने कहा कि आज के दौर में ऐसे शादीशुदा दंपति की संख्या ज्यादा बढ़ रही है, जिनकी अपनी कोई संतान नहीं है। इस सुविधा से पुरुष बांझपन और महिला बांझपन दोनों की समस्याओं का निदान संभव है।

प्रसूति और स्त्री रोग विभाग की प्रमुख तथा एम्स के आईवीएफ केंद्र की प्रभारी प्रो. जया चतुर्वेदी ने इस बाबत बताया कि गायनी विभाग पिछले चार वर्षों से बांझपन वाले जोड़ों का प्रबंधन कर रहा है। इसमें बांझ दंपति का काम, ओव्यूलेशन इंडक्शन, फालिक्युलर मानिटरिंग, बांझपन के लिए लेप्रोस्कोपिक और हिस्टेरोस्कोपिक सर्जरी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि यह विभाग इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च की गाइडलाइन के अनुसार 45 वर्ष तक की महिलाओं और 50 वर्ष तक के पुरुषों के लिए यह सुविधा प्रदान करेगा।

कार्यक्रम के दौरान अस्पताल प्रशासन के प्रो. यूबी मिश्रा, प्रशासनिक अधिकारी शशिकांत, वित्तीय सलाहकार कमांडेंट पीके मिश्रा, गायनी विभाग की प्रो. शालिनी राजाराम, डा. अनुपमा बहादुर, डा. कविता खोईवाल, डा. अमृता गौरव आदि मौजूद थे।

आगे जरूरतमंदों को स्पर्म डोनर भी उपलब्ध कराए एम्स

आईवीएफ केंद्र की नोडल अधिकारी डा. लतिका चावला ने केंद्र में उपलब्ध सुविधाओं के बारे में जानकारी दी। बताया कि आईवीएफ केंद्र में पुरुष शुक्राणुओं की जांच हेतु एंड्रोलाजी लैब ने कार्य करना शुरू कर दिया है और केंद्र में अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान (आइयूआइ) की सुविधा भी उपलब्ध है। इसके अलावा इस केंद्र में आइवीएफ प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। उन्होंने बताया कि निकट भविष्य में एम्स ऋषिकेश संतान से वंचित ऐसे माता-पिता का भी इलाज करेगा, जिनके शरीर में अंडाणु या शुक्राणु नहीं बनते और जिन्हें स्पर्मदाता की आवश्यकता होती है।

सहायक प्रजनन तकनीकी है आइवीएफ

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आइवीएफ) एक सहायक प्रजनन तकनीक है, जहां भ्रूण के उत्पादन के लिए एक प्रयोगशाला में एक अंडे को शुक्राणु के साथ जोड़ा जाता है। इस प्रक्रिया में एक महिला रोगी के अंडाशय को हार्माेनल दवाओं के साथ उत्तेजित करना, अंडाशय (डिंब पिकअप) से अंडों को निकालना और शुक्राणु को एक प्रयोगशाला में एक विशेष तकनीक के माध्यम से उन्हें निषेचित करना शामिल है।

यह भी पढ़ें- एम्स ऋषिकेश में खुला Yellow Fever टीकाकरण केंद्र, जानिए क्या होता है येलो फीवर और लक्षण

निषेचित अंडे (जाइगोट) के दो से पांच दिनों के लिए भ्रूण संवर्धन से गुजरने के बाद, इसे एक सफल गर्भावस्था की स्थापना के लिए उसी या किसी अन्य महिला के गर्भाशय में डाला जाता है। इस तकनीक का उपयोग महिलाओं में बांझपन के प्रमुख कारणों (ट्यूबल क्षति, एंडोमेट्रियोसिस, खराब डिम्बग्रंथि रिजर्व, पीसीओएस आदि) या पुरुष कारक (असामान्य वीर्य पैरामीटर आदि) या दोनों वाले जोड़ों में किया जाता है।

यह भी पढ़ें- Uttarakhand Coronavirus Update: उत्तराखंड में कोरोना के 17 नए मामले, सूडान का छात्र भी संक्रमित; 173 केस एक्टिव


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.