'भादौ की थौला' और 'घी-त्यार' में दिखी उत्तराखंड की परंपरा
भादौ की थौला एवं घी त्यार में उत्तराखंड की परंपरा देखने को मिली। ये त्योहार पारंपरिक रीति रिवाजों के साथ मनाया गया।
देहरादून, [जेएनएन]: 'भादौ की थौला' (दुबुड़ी) एवं 'घी-त्यार' (घी संग्रांद) कार्यक्रम पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया गया। भादौ में एक स्थान पर लोग मिले और हाल-चाल जाना और जब घी के साथ खीर परोसी गई तो पहाड़ के आंचल में 'घी संग्रांद' मनाया गया। वहीं, लोकगायिका पूनम सती ने लोकगीतों से लोक संस्कृति का जादू बिखेरा।
रविवार को अंबीवाला स्थित एक वेडिंग प्वाइंट में अनमोल ग्राम स्वराज संस्था की ओर से आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत स्कूली छात्राओं ने वंदे मातरम से की। इसके बाद लोकगायिका पूनम सती ने माइक संभाला तो माहौल खुशनुमा हो गया। पूनम सती के 'बधाण की नंदा..', 'मेरा मोहना..' जैसे लोकप्रिय लोकगीतों से समां बांधा। इसके अलावा छात्राओं ने गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी लोकगीतों की प्रस्तुति दी।
मुख्य अतिथि वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि आधुनिकता में हमें अपनी संस्कृति नहीं भूलनी चाहिए। आज मैं जहां भी हूं, अपनी संस्कृति, परंपराओं को नहीं भूलता। इस दौरान शांति ठाकुर व प्रताप सिंह राणा को सम्मानित भी किया गया। मसूरी विधायक गणेश जोशी, विरेंद्र सिंह रावत, डॉ. संतोष खंडूड़ी, राजेंद्र सेमवाल कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
मातृत्व वंदना, नंदा-गौरा की दी जानकारी
कार्यक्रम में मुख्य विकास अधिकारी के निर्देश पर बहुद्देश्यीय शिविर भी लगाया गया। शहरी परियोजना अधिकारी क्षमा बहुगुणा ने ग्र्रामीणों को पीएम मातृत्व वंदना, नंदा-गौरा योजनाओं की जानकारी दी। 40 पात्रों से आवेदन भी कराए गए। इस दौरान बाल विकास परियोजना अधिकारी (सहसपुर) देवेंद्र थपलियाल भी मौजूद रहे। शिविर में समाज कल्याण, वन विभाग, पशुपालन विभाग की ओर से स्टॉल लगाई गईं।
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