उत्तराखंड के गांवों ने बढ़ाई सरकार की चुनौती, कोरोना के बढ़ते प्रसार को रोकने में जुटी
Uttarakhands Coronavirus News कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रहे उत्तराखंड में अब गांवों ने सरकार की चुनौती बढ़ा दी है। खासकर पहाड़ को लेकर चिंता अधिक बढ़ गई है जहां संक्रमण के मामले निरंतर सामने आ रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhands Coronavirus News कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रहे उत्तराखंड में अब गांवों ने सरकार की चुनौती बढ़ा दी है। खासकर, पहाड़ को लेकर चिंता अधिक बढ़ गई है, जहां संक्रमण के मामले निरंतर सामने आ रहे हैं। उस पर वहां स्वास्थ्य सेवाएं नाममात्र की ही है। हालांकि, सरकार इस चुनौती से निबटने की कोशिशों में मुस्तैदी से जुटी है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने गांवों में संक्रमण की रोकथाम व प्रबंधन के मद्देनजर सभी जिलाधिकारियों को खाका तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
टेस्टिंग, टीकाकरण और जनजागरण के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम प्रधानों की अध्यक्षता में गठित कोविड नियंत्रण समितियों को और अधिक सक्रिय किया जा रहा है। शहरी क्षेत्रों में तो कोरोना के मामले बढ़े ही हैं, अब पहाड़ के गांवों में भी ये रफ्तार पकड़ने लगे हैं। नतीजतन, चिंता व चुनौती में इजाफा हुआ है। विषम भूगोल वाले पर्वतीय क्षेत्र के गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल किसी से छिपा नहीं है। ब्लाक स्तर पर प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तो हैं, मगर इन्हें खुद उपचार की जरूरत है। सूरतेहाल, गांवों में संक्रमण को फैलने से कैसे रोका जाए, यही सबसे बड़ी चुनौती है।
विशुद्ध रूप से नौ पर्वतीय जिलों टिहरी, पौड़ी, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, चंपावत, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ व बागेश्वर को ही देखें तो यहां संक्रमण के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। ऐसे में संक्रमितों के उपचार, लक्षण वाले व्यक्तियों की जांच आदि को लेकर चुनौती बढ़ गई है।
एक से 15 मई तक की तस्वीर देखें तो इस अवधि में टिहरी जिले में 5154, पौड़ी में 4856 व अल्मोड़ा में 3279 व्यक्ति कोरोना संक्रमित पाए गए। अब टेस्टिंग पर नजर डालते हैं। 15 दिन में सबसे अधिक 15 विकासखंडों वाले पौड़ी जिले में 18507, टिहरी में 20668 व अल्मोड़ा में 21317 व्यक्तियों की कोरोना जांच हुई। ऐसी ही तस्वीर दूसरे पर्वतीय जिलों की भी है।हालांकि, अब सरकार ने गांवों पर फोकस किया है। ग्राम पंचायत स्तर पर गठित कोविड नियंत्रण समितियां को गांव लौटे प्रवासियों और अन्य व्यक्तियों पर निगरानी का जिम्मा सौंपा गया है।
औषधि किट का वितरण, प्रवासियों के लिए
क्वारंटाइन सेंटर, टेस्टिंग के मद्देनजर जनजागरण जैसे दायित्व भी उन्हें सौंपे गए हैं। स्वास्थ्य, स्थानीय प्रशासन, पंचायत समेत अन्य विभागों को अधिक सक्रियता से काम करने के निर्देश दिए गए हैं।
ये हैं चुनौतियां
-गांवों के नजदीक स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव
-विषम भूगोल और बिखरे गांवों तक स्वास्थ्य टीमों का पहुंचना
-तबीयत बिगड़ने पर संबंधित व्यक्ति को अस्पताल तक पहुंचाना
-एक ग्राम पंचायत के तोक ग्रामों में हर व्यक्ति पर निगरानी रखना
-गांवों में टेस्टिंग कैंप, पर्याप्त मात्रा में औषधि किट, मैनपाव
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि गांवों में कोरोना संक्रमण की रोकथाम को सरकार यथासंभव प्रयास कर रही है। निश्चित रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में आने-जाने समेत अन्य दिक्कतें हैं, मगर ये भी सही है कि टेस्टिंग कैंपों में लोग जांच कराने से हिचकिचा रहे हैं। मेरी सभी से अपील है कि यदि कोई लक्षण नजर आता है तो जांच अवश्य कराएं।
जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे संक्रमण की रोकथाम व प्रबंधन के लिए खाका तैयार करें। इसमें यह बिंदु भी शामिल हो कि किस गांव में कितने घंटे में पहुंचा जा सकता है। टीकाकरण व टेस्टिंग को कदम भी उठाए जा रहे हैं। ग्राम पंचायतों में कोविड संबंधी कार्यों के लिए धन की व्यवस्था की गई है। कोविड नियंत्रण समितियों को ज्यादा सक्रिय करने को कहा गया है।
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