Year Ender 2021: उत्तराखंड की सूरत संवारेगी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन और आल वेदर रोड परियोजना
Year Ender 2021 सड़कें किसी भी प्रदेश के विकास का मानक होती हैं। सड़कों से ही प्रदेश की खुशहाली और संपन्नता की नींव पड़ती है। सड़क निर्माण के साथ ही तमाम अवस्थापना सुविधाओं को भी जुड़ने में समय नहीं लगता।
विकास गुसाईं , देहरादून: Year Ender 2021 सड़कें किसी भी प्रदेश के विकास का मानक होती हैं। सड़कों से ही प्रदेश की खुशहाली और संपन्नता की नींव पड़ती है। सड़क निर्माण के साथ ही तमाम अवस्थापना सुविधाओं को भी जुड़ने में समय नहीं लगता। यही कारण है कि सड़कों को प्रदेश की लाइफ लाइन माना जाता है। उत्तराखंड में भी सड़कें यहां के लोगों के जीवन से जुड़ी हुई हैं। बीते कुछ वर्षों में प्रदेश में सड़कों को दुरुस्त करने की दिशा में काम हुआ है। इनमें सबसे अहम चार धाम को जोडऩे वाली आल वेदर रोड परियोजना शामिल है। केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना से प्रदेश को भी खासी उम्मीदें हैं। तकरीबन 11 हजार सात सौ करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली इस परियोजना के लिए अभी तक चार हजार करोड़ से अधिक के कार्य स्वीकृत हो चुके हैं। अब नजरें केंद्र सरकार की लगातार निगरानी व शेष बजट जारी करने पर लगी हैं ताकि जल्द से जल्द यह परियोजना मूर्त रूप ले ले।
उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थिति के हिसाब से यहां सड़कों की बेहद ही अहम भूमिका है। प्रदेश सरकार, केंद्रीय एजेंसियों व स्वयं सेवी संगठनों के उत्तराखंड में किए गए सर्वे में सड़कों को दुरुस्त करने की बातें आ चुकी हैं। प्रदेश सरकार के साथ ही समय समय पर केंद्रीय सड़क निधि योजना व प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत सड़कों के निर्माण कार्य चल रहे हैं और कई अन्य प्रस्ताव केंद्र स्तर पर विचाराधीन हैं। इसमें सबसे अहम चारधाम आल वेदर रोड है। इस परियोजना के तहत राज्य के चारों धाम यानी बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री एक-दूसरे से जुड़ जाएंगे।
यह परियोजना उत्तराखंड के लिए तो महत्वपूर्ण है ही, इसका राष्ट्रीय और सामरिक महत्व भी है। राज्य के तीन जिले उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ चीन सीमा से सटे हैं। इस लिहाज से उत्तरकाशी व चमोली जिलों तक आल वेदर रोड बनने से बड़े वाहनों की आवाजाही का रास्ता भी साफ होगा।
दूर होगी सालों से चली आ रही परेशानी
चार धाम यात्रा के दौरान सड़कें खराब होने से कई बार यात्रा बाधित होती है। कई बार तो दो से तीन दिन तक यात्रियों को एक ही स्थान पर सड़क खुलने का इंतजार करना पड़ता है। आल वेदर रोड बनने से यह परेशानी दूर हो जाएगी। यहां तक कि यह यात्रा वर्ष भर संचालित हो सकेगी। इसके साथ ही स्थानीय निवासियों को भी बारह महीने रोजगार के अवसर भी बने रहेंगे। इससे न केवल चारधाम यात्रा मार्ग के अंतर्गत आने वाले जिलों के भीतर यातायात का भार कम होगा, बल्कि संपर्क मार्गों को पक्का करने में भी मदद मिलेगी।
चार धाम आलवेदर रोड परियोजना
- परियोजना की कुल लंबाई - 889 किमी
- योजना की लागत- तकरीबन 11700 करोड़ रुपये।
- प्रस्तावित मार्ग की चौड़ाई- दो लेन
- प्रस्तावित टनल - दो (चंबा व राडी टाप)
- प्रस्तावित बड़े पुल - 15 नंबर
- प्रस्तावित छोटे पुल - 107 नंबर
- प्रस्तावित एलीवेटेड मार्ग - तीन नंबर
- घनी आबादी क्षेत्र में बाइपास - 16 नंबर
- भूस्खलन उपचार क्षेत्र - 39 स्थान
- विश्राम स्थल व सुविधा केंद्र - 42
- कहां से कहां तक कितना मार्ग
- ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग - 140 किमी
- रुद्रप्रयाग से माणा गांव - 160 किमी
- ऋषिकेश से धरासू - 144 किमी
- धरासू से गंगोत्री - 124 किमी
- धरासू से यमुनोत्री - 95 किमी
- रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड - 76 किमी
- टनकपुर से पिथौरागढ़ - 150 किमी
- कितने पुल और बस स्टैंड व सुरंग
- ऋषिकेश से यमुनोत्री- दो बाइपास, एक पुल, तीन बड़े पुल, 27 छोटे पुल, दो सुरंग, 73 बस बे, चार ट्रक बे ।
- धरासू से गंगोत्री - दो बाइपास, एक पुल, चार बड़े पुल।
- रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड - तीन बाइपास, तीन बड़े पुल, 23 छोटे पुल।
- ऋषिकेश से बद्रीनाथ - तीन बाइपास, एक पुलि, 11 बड़े पुल, 38 छोटे पुल, 59 बस स्टेंड, दो ट्रक स्टैंड।
- टनकपुर से पिथौरागढ़ - तीन बाइपास, चार बड़े पुल, 19 छोटे पुल, 13 बस बे व तीन ट्रक बे।
कार्य की प्रगति
- चौड़ीकरण का कार्य - 546.66 किमी (88 प्रतिशत पूर्ण)
- डीबीएम स्तर के कार्य - 531.07 किमी (83 प्रतिशत पूर्ण)
- यूटिलिटी डक्ट डालने का कार्य - 589.55 किमी पूर्ण
- कल्वर्ट निर्माण का कार्य - 2824 नंबर पूर्ण
- प्रोटेक्शन कार्य (रिटेनिंग वाल) - 377.39 किमी लंबाई पूर्ण
- क्रैश बैरियर - 262.70 किमी पूर्ण
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना की प्रगति
उत्तराखंड में 16216 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हो रही ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर पूरे प्रदेश की नजर टिकी हुई है। इस परियोजना के पूरा होने से पर्वतीय जिलों में विकास की बहार बहने की उम्मीद है। 125 किलोमीटर लंबी इस रेल परियोजना में 105 किलोमीटर रेल लाइन 17 सुरंगों के भीतर से गुजरेगी। इस परियोजना के निर्माण के लिए रेल विकास निगम नौ पैकेज और 54 फेज में काम को बांटा है। इन सभी पैकेजों में रेल टनल, एडिट टनल, रेल ब्रिज तथा रोड ब्रिज के कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है। इन नौ पैकेज में 80 फेज में काम किया जा रहा है। इस परियोजना पर बनने वाली 17 सुरंगों में से कई सुरंगों का काम जारी है।
अब तक अलग-अलग टनलों पर कुल 21 किलोमीटर टनल का निर्माण पूरा हो चुका है। परियोजना पर बनने वाले 18 रेल ब्रिज में से तीन रेल ब्रिज का काम लगभग अंतिम चरण में है। नैथाणा में बनने वाला रेड ब्रिज का काम पूरा हो चुका है। गौचर व रानो के बीच भी रोड ब्रिज का काम पूरा कर दिया गया है। वहीं कालेश्वर में बनने वाले रोड ब्रिज का काम भी अखिरी चरण में है। परियोजना पर बनने वाली सबसे लंबी डबल ट्यूब रेल सुरंग (14.08 किमी) को तैयार करने के लिए टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) की मदद ली जाएगी। इसके लिए जर्मनी से दो मशीनें मंगाई जा रही हैं, जो अगले वर्ष जून और अगस्त में भारत पहुंचेंगी।
यह भी पढ़ें:- Year Ender 2021: उम्मीदों को लगे पंख, उत्तराखंड को मिली नई ऊर्जा; जानिए इनके बारे में