उत्तराखंड: घाटे से उबरने को संपत्तियां बेचेगा परिवहन निगम, इस वक्त 520 करोड़ के घाटे में है रोडवेज
वेतन देने में नाकाम रोडवेज प्रबंधन ने देहरादून में अपनी तीन कीमती संपत्तियों की नीलामी के लिए हामी भर दी है। इनमें मंडल कार्यालय गांधी रोड व पुराने बस अड्डे समेत हरिद्वार रोड स्थित कार्यशाला की जमीन सम्मिलित है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। करोड़ों के वित्तीय घाटे के कारण कार्मिकों को वेतन देने में नाकाम रोडवेज प्रबंधन ने देहरादून में अपनी तीन कीमती संपत्तियों की नीलामी के लिए हामी भर दी है। इनमें मंडल कार्यालय गांधी रोड व पुराने बस अड्डे समेत हरिद्वार रोड स्थित कार्यशाला की जमीन सम्मिलित है। एमडीडीए इन तीनों जमीनों की एवज में सर्किल रेट का दोगुना 153 करोड़ रुपये देने को तैयार है, लेकिन निगम बाजार में कीमत लगाना चाह रहा। नीलामी में यदि बाजार में कीमत अधिक मिलती है तो जमीनें सरकारी एजेंसी को नहीं बेची जाएंगी। निगम प्रबंधन की ओर से तैयार यह प्रस्ताव सचिवालय में बुधवार को होने जा रही बोर्ड बैठक में रखा जाएगा।
रोडवेज इस समय 520 करोड़ रुपये के घाटे में है। कोरोना के कारण घाटा लगातार बढ़ता जा रहा। हालात ये हैं कि पिछले वर्ष मार्च से इस वर्ष जुलाई तक का वेतन राज्य सरकार से मिली आर्थिक सहायता पर दिया गया। अब सरकार ने भी मदद देने से हाथ खड़े कर दिए हैं और रोडवेज को ठोस कार्य योजना बनाने के आदेश दिए हैं, ताकि उसे वेतन के लिए मुंह न तांकना पड़े। इसी क्रम में प्रबंधन ने कार्य योजना तैयार कर ली है, जिसमें तीन प्रमुख प्रस्ताव हैं।
पहला करीब 600 कार्मिकों को जबरन सेवानिवृत्ति, 600 बसों में सीएनजी किट और देहरादून में तीन प्रमुख संपत्तियों की नीलामी। प्रबंधन चाहता है कि उसे सर्किल रेट से दोगुना या अधिक राशि मिले। ऐसे में मंडल प्रबंधक कार्यालय की अनुमानित राशि 10 करोड़ जबकि पुराने बस अड्डे की राशि 17 करोड़ रुपये आंकी गई है। वहीं, हरिद्वार रोड स्थित कार्यशाला की 126 करोड़ रुपये निकाली गई है। सूत्रों के अनुसार यह रकम एमडीडीए ने सर्किल रेट का दोगुना बताकर तय की है और इसी राशि पर एमडीडीए तीनों जमीनें खरीदने को तैयार भी है, लेकिन रोडवेज प्रबंधन बाजारी भाव भी देखना चाह रहा। अब बोर्ड बैठक में इस पर अंतिम निर्णय होगा।
600 बसों में सीएनजी का प्रस्ताव, 50 करोड़ की होगी सालाना बचत
रोडवेज प्रबंधन ने खर्च में कटौती के लिए अपनी 600 बसों में सीएनजी किट लगवाने का फैसला किया है। बोर्ड बैठक में इसका प्रस्ताव लाया जा रहा। प्रबंधन के मुताबिक इससे सालाना लगभग 50 करोड़ रुपये की बचत होगी। वर्तमान में रोडवेज की अपनी 1050 जबकि 200 अनुबंधित बस हैं। यह सभी डीजल पर हैं। केंद्र सरकार की योजना के तहत पांच सीएनजी बसों को दून-दिल्ली मार्ग पर चलाया जा रहा, जिन पर कम खर्च आ रहा।
रोडवेज की करीब 60 फीसद बसें दिल्ली मार्ग पर दौड़ती हैं। दून से दिल्ली के एक फेरे में एक बस 525 किमी चलती है। रोडवेज की मानें तो सीएनजी पर डीजल के मुकाबले लगभग साढ़े तीन हजार रुपये प्रति फेरे की बचत होगी। सीएनजी बस पर ईंधन में प्रति किमी सात रुपये तक की बचत आ रही। डीजल बस एक लीटर में पांच किमी चल रही हैं, जबकि सीएनजी बस पौने छह किमी प्रति लीटर का एवरेज देती हैं।
दून में डीजल की मौजूदा कीमत लगभग 90 रुपये प्रतिलीटर है, जबकि दिल्ली में सीएनजी 45 रुपये प्रति लीटर है। यदि रोडवेज 600 बस सीएनजी में बदल देता है तो उसे हर साल 50 करोड़ की बचत होगी। रोडवेज डीजल पर सालाना 235 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। रोडवेज की ट्रांसपोर्टनगर कार्यशाला में सीएनजी पंप भी लगाया जा चुका है।
सवा माह में दूसरी बार बैठक
ऐसा पहली बार हो रहा, जब सवा माह के भीतर दूसरी बार बोर्ड बैठक बुलाई गई है। गत पांच जुलाई को हुई बोर्ड बैठक के फैसले विवादों में घिर गए थे व सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा था। इसके बाद सरकार की कैबिनेट की बैठक में निगम से संबंधित समस्त फैसलों की कमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दी गई थी। करोड़ों का घाटा दूर करने के लिए मुख्यमंत्री ने प्रबंधन को ठोस कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए थे। इसी क्रम में निगम ने कार्य योजना में 600 कार्मिकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति, संपत्ति की नीलामी व बसों में सीएनजी का प्रस्ताव बनाया है।
कर्मचारियों नेताओं को बुलाया
बोर्ड बैठक के प्रस्तावों को लेकर सबसे ज्यादा विरोध कर्मचारी संगठन ही करते हैं, ऐसे में इस बार रोडवेज प्रबंधन ने कर्मचारी नेताओं को अपने पाले में लेने का पासा भी फेंक दिया है। बोर्ड बैठक शाम चार बजे है जबकि प्रबंधन ने सुबह साढ़े दस बजे सभी छह प्रमुख कर्मचारी संगठन के नेताओं को वार्ता के लिए बुला लिया है। इस संबंध में महाप्रबंधक प्रशासन हर गिरी ने यूनियन के दो-दो प्रांतीय नेताओं को बुलाया है। इसमें कर्मचारी नेताओं के साथ चर्चा की जाएगी। यह भी देखा जाएगा कि नेताओं को प्रबंधन के किस प्रस्ताव पर ऐतराज है। गुजरी बोर्ड बैठक में कर्मचारियों का विरोध ही रोडवेज प्रबंधन पर भारी पड़ा था।
अब परिसंपत्तियों के बंटवारे पर कल बैठक
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच परिवहन निगम की परिसंपत्तियों और उनके बंटवारे को लेकर नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश पर दिल्ली में होने वाली वर्चुअल बैठक अब कल यानि गुरुवार की सुबह 11 बजे होगी। पहले यह बैठक सोमवार सुबह होनी थी, लेकिन उत्तराखंड में विधानसभा का सत्र होने के कारण बैठक स्थगित कर दी गई। केंद्रीय परिवहन सचिव ने दोनों राज्यों के अधिकारियों को बैठक में बुलाया है। इससे पहले इस प्रकरण में केंद्रीय सचिव पिछले वर्ष दो बैठक ले चुके हैं।
पिछले साल 28 फरवरी और 16 मार्च को हुई बैठक में तय हुआ था कि उत्तर प्रदेश अक्टूबर 2003 में दोनों राज्यों के बीच हुए समझौते के तहत उत्तराखंड रोडवेज को भुगतान करेगा, मगर उत्तर प्रदेश इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चला गया। परिसंपत्ति के बंटवारे का मसला बीते 18 साल से लंबित है। उत्तराखंड चार परिसपंत्तियों के बंटवारे का बाजारी भाव से 250 करोड़ रुपये भुगतान चाहता है लेकिन उत्तर प्रदेश यह देने को तैयार राजी नहीं है।
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