यहां 100 बीघा भूमि पर्यटन की और पैमाइश करा रहा कोई और, विभाग को कानों-कान नहीं लगी खबर; जानिए
पर्यटन विभाग की करीब 100 बीघा भूमि को बेचने की तैयारी चल रही है। वर्ष 1987 में पर्यटन विभाग ने ये जमीन खरीदी थी जिसकी पैमाइश कराने की अर्जी किसी अन्य व्यक्ति ने दाखिल की है।
देहरादून, सुमन सेमवाल। जिस तरह क्यारकुली भट्टा में आइटीबीपी की 800 बीघा भूमि पर कब्जा करने की तैयारी कर ली गई थी, ठीक उसी तरह अब पर्यटन विभाग की करीब 100 बीघा भूमि को बेचने की तैयारी चल रही है। वर्ष 1987 में पर्यटन विभाग ने जो जमीन मसूरी के पास झड़ीपानी में अम्यूजमेंट पार्क बनाने के लिए खरीदी थी, उसकी पैमाइश कराने की अर्जी किसी अन्य व्यक्ति ने दाखिल की है। गंभीर यह है कि पर्यटन विभाग को इसकी कानों-कान खबर भी नहीं थी। हालांकि, अब जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने मामले की जांच के आदेश कर दिए हैं।
झड़ीपानी की यह भूमि पर्यटन विभाग ने वर्ष 1987 में शमशेर जंग बहादुर राणा नाम के व्यक्ति से चार लाख रुपये में खरीदी थी। इसकी रजिस्ट्री निदेशक पर्यटन के नाम पर है। हालांकि, रजिस्ट्री के बाद कभी म्यूटेशन (दाखिल खारिज) कराया ही नहीं गया। खतौनी में अभी भी शमशेर जंग बहादुर राणा का नाम दर्ज है। यह मामला तब खुला जब मिथिलेश कुमार नाम के व्यक्ति ने जमीन की पैमाइश के लिए तहसील सदर कार्यालय में अर्जी दाखिल की। मिथिलेश कुमार ने इस जमीन की खुद के नाम पर पावर ऑफ अटार्नी होने के प्रमाण दिए हैं। अर्जी के अनुरूप तहसील की टीम पैमाइश करने भी पहुंची। इस बीच जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव को जब भूमि के पर्यटन विभाग के होने की जानकारी मिली तो उन्होंने तहसीलदार दयाराम को जांच करने के आदेश जारी किए। फिलहाल, पैमाइश की कार्रवाई भी रोक दी गई है। तहसीलदार दयाराम ने बताया कि पैमाइश की अर्जी के साथ जो दस्तावेज लगाए गए हैं, वह प्रथम दृष्ट्या पर्यटन विभाग की भूमि के ही लग रहे हैं। सोमवार को जांच कर स्थिति स्पष्ट कर दी जाएगी।
भूमि पर कुछ कब्जे भी हो चुके
पर्यटन विभाग की भूमि पर कुछ व्यक्तियों ने झोपड़ियां भी बनाई हैं। क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी जसपाल चौहान ने बताया कि यदि अतिक्रमण विभाग की भूमि पर पाया गया तो उन्हें तत्काल हटाया जाएगा। विभाग की तरफ से तहसील सदर में पैमाइश को लेकर मौखिक आपत्ति की गई है। सोमवार को लिखित में भी आपत्ति दाखिल कर दी जाएगी।
पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर का कहना है कि यह गंभीर मामला है। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वह जिला प्रशासन से संपर्क कर विभाग के नाम पर दाखिल खारिज विभाग की प्रक्रिया पूरी करें। जो व्यक्ति विभाग की भूमि पर कब्जा करने की कोशिश में है, उसके खिलाफ भी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
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दून जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि इसका पता किया जा रहा है कि इतने साल तक पर्यटन विभाग के नाम पर म्यूटेशन क्यों नहीं किया गया। यदि इसमें किसी कार्मिक की भूमिका पाई गई तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। इस तरह का फर्जीवाड़ा रोकने के लिए जिले की सभी सरकारी भूमि के रिकॉर्ड तलब किए जा रहे हैं।
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