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नहीं काम आई गांधीगीरी, पुलिस को अपनाना पड़ रहा सख्त रवैया

अब पुलिस महानिदेशक ने सभी जिलों की पुलिस को स्पष्ट निर्देश दिया है कि मास्क का इस्तेमाल न करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए। गांधीगीरी का असर तो नहीं हुआ।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 27 Aug 2020 09:30 AM (IST)Updated: Thu, 27 Aug 2020 09:30 AM (IST)
नहीं काम आई गांधीगीरी, पुलिस को अपनाना पड़ रहा सख्त रवैया
नहीं काम आई गांधीगीरी, पुलिस को अपनाना पड़ रहा सख्त रवैया

देहरादून, संतोष तिवारी। कोरोना वायरस के प्रति बेपरवाही देखकर पिछले महीने ही सरकार ने पुलिस और प्रशासन को निर्देश दिया था कि बाजार में जो लोग बिना मास्क के मिलें, उन्हें मास्क देकर इसके फायदे बताए जाएं। उद्देश्य यह था कि लोग कोरोना से उपजे हालात को समझें और दूसरों के लिए खतरा बनने से बचें, लेकिन लगता नहीं कि प्रदेश में सरकार की इस अपील का कुछ असर हुआ है। शहर से लेकर गांव-कस्बों तक में लोग अभी भी बिना मास्क के ही सार्वजनिक स्थलों पर घूम रहे हैं। आखिरकार उत्तराखंड पुलिस को एक बार फिर सख्त रवैया अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। अब पुलिस महानिदेशक ने सभी जिलों की पुलिस को स्पष्ट निर्देश दिया है कि मास्क का इस्तेमाल न करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए। गांधीगीरी का असर तो नहीं हुआ। अब पुलिस की कार्रवाई कितना असर दिखा पाती है, यह भी जल्द सामने आ जाएगा।

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आतंकी का सरपरस्त कौन

दिल्ली में पकड़े गए आतंकी मोहम्मद यूसुफ को लेकर इन दिनों कई राज्यों में हलचल मची हुई है। चर्चा यह भी है कि यूसुफ पांच साल पहले उत्तराखंड आया था। इससे सरकार से लेकर पुलिस अधिकारियों तक की पेशानी पर बल पड़ गए हैं। सबसे पहला सवाल जो जेहन में कौंधता है, वो यह है कि आखिर यूसुफ उत्तराखंड क्यों आया होगा? इसका जवाब खोजना शुरू भी कर दिया गया है। फिलहाल तो खुफिया एजेंसियां यही कह रही हैं कि यूसुफ उत्तराखंड किसी निजी काम से आया था। लेकिन, यह बात भी साफ है कि उसके आतंकी बनने की शुरुआत यहीं से हुई। उत्तराखंड हमेशा से अपराधियों के छिपने की मनपसंद जगह रहा है। यहां हिजबुल से लेकर आइएसआइएस के स्लीपर सेल तक पकड़े जा चुके हैं। अब पुलिस को अपराधियों और आतंकियों को लेकर खास रणनीति बनानी होगी। साथ ही उन्हें सरपरस्ती देने वालों पर भी शिकंजा कसना होगा।

चुनाव को मुकदमे जरूरी

सत्ताधारी दल भाजपा के खिलाफ सड़क पर उतरने के मामलों में कांग्रेस पर कई मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। अब आम आदमी पार्टी के कार्यकत्‍ताओं पर भी मुकदमा दर्ज हो गया है। सवाल यह उठता है कि जब दोनों ही पार्टियों को मालूम है कि इस समय उत्तराखंड ही नहीं पूरे देश में महामारी एक्ट लागू है। जुलूस, धरना-प्रदर्शन इत्यादि पर प्रतिबंध है। ऐसे में विरोध-प्रदर्शन की आखिर क्या जरूरत है? इस सवाल का जवाब यह है कि नेताजी को अपनी चुनावी तैयारी करनी है, फिर मुकदमे होते हैं तो होते रहें। कोरोना संक्रमण का खतरा होगा तो प्रशासन निपटेगा। उन्हें क्या करना। दो साल बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर अभी कमजोर पड़ गए तो मौका दोबारा लौटकर नहीं आएगा। वहीं, कुछ नेता यह भी कहते सुने जा रहे हैं कि चुनाव की तैयारी करनी है तो मुकदमे तो होंगे ही। चुनाव में कमजोर नहीं पड़ना है।

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किस काम की एसओपी 

कोरोना संक्रमण उत्तराखंड पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। अभी तक प्रदेश में सवा दो सौ से अधिक पुलिसकर्मी संक्रमित हो चुके हैं। राहत की बात यह है कि इनमें से सवा सौ से अधिक पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं। लेकिन, खतरा अभी भी बरकरार है। इस खतरे को भांपते हुए ही जून में उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय ने पुलिसकर्मियों के लिए एसओपी जारी की थी, जिसमें पुलिसकर्मियों को अपराधियों की गिरफ्तारी से लेकर ड्यूटी करने तक के दौरान अपनाई जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया गया था। इसके बाद भी इतनी बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों का संक्रमित होना हैरान करता है। इसकी दो ही वजह हो सकती हैं, पहली यह कि एसओपी में कोई कमी है या फिर उसका ठीक तरह से पालन नहीं किया जा रहा। अब देखने वाली बात यह है कि पुलिसकर्मियों को कोरोना से बचाने के लिए अधिकारी क्या कदम उठाते हैं। 

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