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रोहिंग्याओं का पता लगाने में नाकाम रही उत्तराखंड पुलिस

दूसरे राज्यों से इनपुट मिलने के बाद भी उत्तराखंड में पुलिस रोहिंग्याओं का पता नहीं लगा पाई। हरिद्वार ऊधमसिंह नगर और देहरादून में इनकी मौजूदगी की आशंका को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता है। इसे देखते हुए पुलिस इनकी तलाश में अभियान चलाने का दावा कर रही है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 18 Mar 2021 12:34 PM (IST)Updated: Thu, 18 Mar 2021 12:34 PM (IST)
रोहिंग्याओं का पता लगाने में नाकाम रही उत्तराखंड पुलिस
दूसरे राज्यों से इनपुट मिलने के बाद भी उत्तराखंड में पुलिस रोहिंग्याओं का पता नहीं लगा पाई।

विकास गुसाईं, देहरादून। दूसरे राज्यों से इनपुट मिलने के बाद भी उत्तराखंड में पुलिस रोहिंग्याओं का पता नहीं लगा पाई। हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और देहरादून में इनकी मौजूदगी की आशंका को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता है। इसे देखते हुए पुलिस इनकी तलाश में अभियान चलाने का दावा कर रही है, लेकिन हासिल अभी तक कुछ नहीं हुआ। अब इसे पुलिस की नाकामी मानें या फिर रोहिंग्याओं का मजबूत नेटवर्क कि राज्य में उनके ठिकानों का पता नहीं चल पा रहा है। बहरहाल, पुलिस आधिकारिक तौर पर राज्य में रोहिंग्याओं की मौजूदगी न होने की बात कहकर किनारा करती दिख रही है।

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पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में कुछ समय पहले रोहिंग्याओं के पकड़े जाने के बाद उत्तराखंड में भी सतर्कता की बात कही जा रही है, लेकिन रोहिंग्याओं के नेटवर्क तक पुलिस नहीं पहुंच पाई है। उत्तराखंड में इनकी मौजूदगी का मामला 2017 में चर्चा में आया था। तब सत्तारुढ़ भाजपा के एक विधायक ने सदन में हरिद्वार में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्याओं और बांग्लोदशियों का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था। तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार ने इसकी जांच के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाने की बात कही थी, अभियान चलाने का दावा भी हुआ, लेकिन एक भी रोहिंग्या हाथ नहीं आया। उत्तराखंड के तराई वाले इलाके यानी हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, देहरादून व नैनीताल में रोहिंग्याओं के होने की आशंका शुरू से ही जताई जा रही है। हरिद्वार को सबसे अधिक संवेदनशील माना जा रहा है। यहां 47 मलिन बस्तियां हैं, जिनकी आबादी 80 हजार से एक लाख के मध्य है। इनमें बांग्लादेशियों के साथ ही रोहिंग्याओं के छिपे होने की शिकायतें आती रहती हैं।

पिछले दिनों हरिद्वार पुलिस को उत्तर प्रदेश से ऐसे इनपुट भी मिले थे। आशंका जताई गई थी कि रोहिंग्या कुंभ मेले के दौरान अप्रिय घटना को अंजाम दे सकते हैं। इस इनपुट के आधार पर हरिद्वार पुलिस ने एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया था, लेकिन बाद में उसकी पहचान अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशी नागरिक के रूप में बताई गई। कहा जा रहा है कि ऊधमसिंह नगर जिले में रोहिंग्या अपनी पहचान छिपा कर रह रहे हैं। बांग्लाभाषी आबादी वाले लोगों के आसपास रहने और उनके साथ घुल-मिल जाने के चलते भी इनकी पहचान करने में खासी चुनौती पेश आ रही है।

देहरादून में बाहरी क्षेत्रों में भी बड़ी संख्या में अवैध बस्तियां हैं, जहां रोहिंग्याओं की मौजूदगी को सीधे तौर पर नकारा नहीं जा सकता है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि राजनीतिक सरपरस्ती के चलते इन लोगों ने बिजली-पानी के कनेक्शन ले लिए हैं। मतदाता पहचान पत्र भी बनवा लिए हैं, लेकिन सरकारी सिस्टम इस सच को स्वीकार करने को तैयार नहीं है।

अशोक कुमार (पुलिस महानिदेशक, उत्तराखंड) ने कहा कि प्रदेश में अभी तक रोहिंग्याओं की मौजूदगी का कोई मामला सामने नहीं आया है। कुंभ के दृष्टिगत भी वृहद अभियान चलाया गया, इसमें भी कोई रोहिंग्या नहीं मिला।

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