लैंसडौन और कालागढ़ प्रभागों में कैंपा के कार्यों पर शासन सख्त; इन्हें भेजे गए कारण बताओ नोटिस
कैंपा के अंतर्गत लैंसडौन और कालागढ़ वन प्रभागों में हुए कार्यों पर शासन ने सख्त रुख अपनाया है। इस मामले में कैंपा के सीईओ को भेजे गए कारण बताओ नोटिस का जवाब मिलने के बाद अब अपर मुख्य सचिव वन एवं पर्यावरण ने सीईओ से कई बिंदुओं पर जानकारी मांगी।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। प्रतिकरात्मक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैंपा) के अंतर्गत लैंसडौन और कालागढ़ वन प्रभागों में हुए कार्यों पर शासन ने सख्त रुख अपनाया है। इस मामले में कैंपा के सीईओ को भेजे गए कारण बताओ नोटिस का जवाब मिलने के बाद अब अपर मुख्य सचिव वन एवं पर्यावरण आनंद बर्द्धन ने सीईओ से कई बिंदुओं पर फिर जानकारी मांगी है। इसके लिए उन्हें 15 जनवरी तक का समय दिया गया है।
लैंसडौन वन प्रभाग से पूर्व में वन मुख्यालय संबद्ध किए गए डीएफओ ने वन विभाग के मुखिया को पत्र भेजा था। इसमें उन पर लगाए गए अवैध खनन को न रोक पाने के आरोप को निराधार बताया गया। साथ ही पत्र में कैंपा के अंर्तगत हुए कार्यों को लेकर भी अंगुली उठाई गई थी। इसके अलावा कालागढ़ टाइगर वन प्रभाग में हुए कैंपा के कार्यों में अनियमितता की शिकायत शासन को मिली थी। इस सबके मद्देनजर अपर मुख्य सचिव आनंद बद्र्धन ने कैंपा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) को कारण बताओ नोटिस भेजा था। नोटिस का जवाब मिलने के बाद अब कई अन्य बिंदुओं पर उनसे जानकारी मांगी गई है।
अपर मुख्य सचिव की ओर से कैंपा के सीईओ को पत्र भेजकर जानकारी मांगी गई है कि लैंसडौन व कालागढ़ वन प्रभागों में वर्ष 2020-21 और 2021-22 में कैंपा से किन-किन मदों में कितनी-कितनी धनराशि व्यय की गई और इससे क्या-क्या कार्य कराए गए। यह भी पूछा गया है कि क्या ये कार्य केंद्र से स्वीकृत कैंपा की वार्षिक कार्ययोजना में अनुमोदित थे। इन कार्यों से कहीं वन एवं वन्यजीव अधिनियम का किसी प्रकार उल्लंघन तो नहीं हुआ।
पत्र में सीईओ से पूछा गया है कि दोनों प्रभागों में कैंपा के कार्यों के क्रियान्वयन के लिए कार्यदायी संस्थाएं नामित करने को क्या किसी स्तर पर अनुमोदन लिया गया था। जो कार्य कराए गए क्या उनकी वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति थी। कैंपा के सीईओ से कहा गया है कि वे इन सभी बिंदुओं पर विस्तार से विवरण उपलब्ध कराएं।
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