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इलाज को कभी करना पड़ता था दिल्ली या चंडीगढ़ का रुख, अब हौले-हौले सुधर रही उत्तराखंड की 'सेहत'

उत्तराखंड के लोग को बेहतर उपचार के लिए दिल्ली अथवा चंडीगढ़ का रुख करना पड़ता था। पर बीते कुछ वर्षों में न केवल सार्वजनिक बल्कि निजी क्षेत्र में भी स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार हुआ है जिससे स्वास्थ्य के विभिन्न सूचकांक में भी सुधार आया है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 11:47 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 11:47 AM (IST)
इलाज को कभी करना पड़ता था दिल्ली या चंडीगढ़ का रुख, अब हौले-हौले सुधर रही उत्तराखंड की 'सेहत'
ले-हौले सुधर रही उत्तराखंड की 'सेहत'। जागरण

जागरण संवाददाता, देहरादून। ज्यादा वक्त नहीं गुजरा, जब उत्तराखंड के लोग को बेहतर उपचार के लिए दिल्ली अथवा चंडीगढ़ का रुख करना पड़ता था। पर बीते कुछ वर्षों में न केवल सार्वजनिक, बल्कि निजी क्षेत्र में भी स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार हुआ है, जिससे स्वास्थ्य के विभिन्न सूचकांक में भी सुधार आया है।

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उत्तराखंड राज्य गठन से पहले स्वास्थ्य प्राथमिकता का क्षेत्र नहीं रहा। पर्वतीय क्षेत्रों में अस्पतालों और स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति काफी चिंताजनक थी। अलग राज्य की मांग स्वास्थ्य सुविधा भी एक बड़ा मुद्दा था। राज्य गठन के बाद उत्तराखंड ने स्वास्थ्य के मोर्चे पर लंबी छलांग लगाई है। राज्य बनने के समय राज्य में एक भी राजकीय मेडिकल कालेज नहीं था। वर्तमान में एम्स ऋषिकेश और देहरादून, हल्द्वानी, श्रीनगर में राजकीय मेडिकल संचालित हैं। वहीं, अल्मोड़ा में इसी साल से मेडिकल कालेज शुरू हो जाएगा। जबकि हरिद्वार, रुद्रपुर और पिथौरागढ़ में भी मेडिकल कालेज प्रस्तावित हैं। यानी सार्वजनिक क्षेत्र में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे का आकार बढ़ा है।

कई नामचीन मल्टी स्पेशिलिटी हास्पिटल भी यहां खुले हैं। इससे स्वास्थ्य के क्षेत्र में आधुनिक सुविधाओं में इजाफा होने के साथ ही स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच भी सुगम हुई। वहीं, कई गंभीर रोगों का उपचार राज्य में ही मुमकिन हुआ है। अच्छी बात ये है कि अटल आयुष्मान योजना ने भी निम्न व निम्न मध्यम वर्ग को कुछ हद तक राहत दी है। इसमें वह किसी भी अनुबंधित अस्पताल में पांच लाख रुपये सालाना का निश्शुल्क इलाज करा सकते हैं।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत सुदृढ़ हुई स्वास्थ्य सेवा

उत्तराखंड में स्वास्थ्य क्षेत्र के बुनियादी ढांचे के विकास में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का बड़ा योगदान रहा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने 2005 से उत्तराखंड में कार्य करना शुरू किया था। जिसके तहत हर साल स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए करोड़ों रुपये का बजट मिलता है। इस रकम से स्वास्थ्य सेवाओं का विकास और विस्तार किया गया। मुफ्त दवा व पैथोलाजी जांच से लेकर 108 आपातकालीन सेवा और अस्पतालों में डायलिसिस यूनिट, निक्कू वार्ड समेत तमाम अवस्थापना इसी की बदौलत है। भविष्य में भी कैंसर केयर यूनिट, कार्डियक केयर यूनिट आदि की स्थापना एनएचएम के तहत होनी है।

प्रदेश में स्वास्थ्य इकाईयां

13 जिला चिकित्सालय

21 उप जिला चिकित्सालय

80 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र

52 पीएचसी टाइप-बी

526 पीएचसी टाइप-ए

23 अन्य चिकित्सा इकाईयां

1897 उप स्वास्थ्य केंद्र

3 राजकीय मेडिकल कालेज

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