Uttarakhand Lockdown: फार्मा और फूड उद्योग में न रुके उत्पादन, इसके लिए उठाए गए कड़े कदम
लॉकडाउन से फार्मा और फूड प्रोसेसिंग उद्योगों का उत्पादन न रुके इसे लेकर सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं।
देहरादून, जेएनएन। कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन से फार्मा और फूड प्रोसेसिंग उद्योगों का उत्पादन न रुके इसे लेकर सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं। मंगलवार को प्रमुख सचिव उद्योग मनीषा पंवार ने सोशल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये उद्योगपतियों के साथ बातचीत की। उन्होंने कहा कि राज्य में अति आवश्यक सेवाओं से जुड़े फार्मा और फूड प्रोसेसिंग की 718 इकाइयों को सरकार की ओर से उत्पादन जारी रखने की अनुमति दी गई है। इसके साथ ही प्रदेशभर में 67 इकाइयों को सैनिटाइजर बनाने की अनुमति प्रदान की गई है।
प्रमुख सचिव मनीषा पंवार ने कहा कि जो उद्योग सैनिटाइजर, मास्क और अन्य मेडिकल उपकरणों को बनाने की तैयारी कर रहे हैं वह जिला उद्योग महाप्रबंधक और सिडकुल के क्षेत्रिय निदेशक कार्यालय में ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। उद्योग निदेशालय में केंद्रीय कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है जिसमें कोई भी उद्योगपति सुझाव व समस्याओं को ऑनलाइन भेज सकते हैं। उनका तत्काल समाधान किया जाएगा।
टेक्सटाइल और स्पोर्ट्सवियर को मौका
प्रमुख सचिव उद्योग ने उद्योगपतियों के साथ बातचीत में बताया कि प्रदेश में कोरोना की रोकथाम के लिए जीवन रक्षक उपकरणों जैसे वेंटिलेटर आदि की अधिक जरूरत पड़ने की स्थिति में राज्य को तैयार रहना होगा। इसे देखते हुए टेक्सटाइल कि स्पोर्ट्सवियर से जुड़े उद्योग मेडिकल से संबंधित जीवन रक्षक उपकरण बना सकते हैं। उन्हें केवल उद्योग निदेशालय और जिला उद्योग विभाग में ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
दो माह से अटकी पेंशन, पूर्व कर्मियों को दवा की भी टेंशन
पेयजल निगम के पूर्व कार्मिक लॉकडाउन के बीच आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। दो माह से पेंशन का भुगतान न होने के कारण पूर्व कर्मियों को आवश्यक वस्तुओं समेत दवा के लिए भी परेशान होना पड़ रहा है। अब उन्होंने मुख्यमंत्री से पेंशन जारी कराने की गुहार लगाई है।
इस संबंध में उत्तराखंड जल निगम सेवानिवृत्त अधिकारी-कर्मचारी वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र भेजा गया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश भंडारी ने बताया कि पिछले दो माह से पूर्व कर्मियों को पेंशन का भुगतान नहीं किया जा रहा है। उनके सामने खाद्य सामग्री ही नहीं, दवा खरीदने का भी संकट बना हुआ है। ऐसे में मुख्यमंत्री से अपील है कि पूर्व कर्मचारियों की आर्थिक दशा को समझते हुए उनकी पेंशन जारी करवाएं। उन्होंने कहा कि इससे पहले फरवरी में भी तीन माह की पेंशन के लिए आंदोलन करना पड़ा था। पेयजल निगम के मुख्य गेट पर तालाबंदी के बाद शासन ने उनकी सुध ली थी।
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वित्तीय वर्ष के आखिरी दिन 47 करोड़ के बिल पास
वित्तीय वर्ष 2019-20 के आखिरी दिन देहरादून का मुख्य कोषागार कार्यालय सुबह से ही अति व्यस्त रहा। देर रात तक कोषागार कार्यालय से 47 करोड़ रुपये के बिल पर मुहर लगा दी गई। मुख्य कोषाधिकारी नरेंद्र सिंह ने बताया कि दोपहर दो बजे तक ही बिल लिए गए और इसके बाद इन्हें पास करने का काम शुरू कर दिया गया था। देर रात तक विभिन्न विभागों के 47 करोड़ रुपये के बिल पास किए गए।
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