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अब फूंक-फूंक कर उठाएंगे बाजार से उधार, संबंधित विभागों को पाई-पाई का रखना होगा हिसाब

कर्ज पर उत्तराखंड की बढ़ती निर्भरता से चिंतित सरकार अब फूंक-फूंक कर बाजार से उधार लेगी। अनाप-शनाप तरीके से कर्ज नहीं लिया जाएगा। साथ में विकास योजनाओं के लिए नाबार्ड और अन्य वित्तीय संस्थाओं से लिए जाने वाले कर्ज की एक-एक पाई का हिसाब संबंधित विभागों को रखना होगा।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sun, 06 Jun 2021 07:10 AM (IST)Updated: Sun, 06 Jun 2021 07:10 AM (IST)
अब फूंक-फूंक कर उठाएंगे बाजार से उधार, संबंधित विभागों को पाई-पाई का रखना होगा हिसाब
अब फूंक-फूंक कर उठाएंगे बाजार से उधार।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। कर्ज पर उत्तराखंड की बढ़ती निर्भरता से चिंतित सरकार अब फूंक-फूंक कर बाजार से उधार लेगी। अनाप-शनाप तरीके से कर्ज नहीं लिया जाएगा। साथ में विकास योजनाओं के लिए नाबार्ड और अन्य वित्तीय संस्थाओं से लिए जाने वाले कर्ज की एक-एक पाई का हिसाब संबंधित विभागों को रखना होगा। उत्तराखंड पब्लिक डेट प्रोसीजर मैनुअल लागू होने के बाद विकास और निर्माण कार्यों से जुड़े विभागों की जिम्मेदारी बढ़ गई है।

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नाबार्ड और अन्य वित्तीय संस्थाओं से उन्हें कर्ज की पहली या अगली किस्त मिलना इस पर निर्भर करेगा कि जमीनी स्तर पर कितनी पुख्ता तैयारी की गई है। उधार लिए गए फंड की उपयोगिता की समीक्षा होगी। विकास परियोजनाओं के प्रस्तावों को जांचा-परखा जाएगा। मकसद ये है कि कर्ज का हर हाल में सदुपयोग किया जाए। वित्त सचिव अमित नेगी ने बताया कि अब ऋण प्रबंधन रणनीति की समीक्षा करने के बाद ही कर्ज लेने के संबंध में नीतिगत फैसले लिए जाएंगे।

कर्ज लेने की सिफारिश ऋण और नकद प्रबंधन का कार्य देखने वाली समिति करेगी। अभी तक सरकारी विभाग कर्ज लेने को तत्पर दिखाई देते हैं, लेकिन धनराशि के उपयोग को लेकर सतर्कता नहीं बरतते। अब ऐसा नहीं हो सकेगा। विभागों को इस संबंध में पूरा डाटा दुरुस्त रखना होगा। नाबार्ड से विभिन्न योजनाओं के लिए मिलने वाले कर्ज को लेकर अब लोक निर्माण विभाग, सिंचाई, पेयजल, लघु सिंचाई, ग्रामीण अभियंत्रण सेवा समेत तमाम कार्यदायी एजेंसियों को अब अधिक सावधानी और सतर्कता से काम करना होगा।

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