फाइलों में उलझी उत्तराखंड की बहुचर्चित एनएचएम घोटाले की जांच
राज्य के बहुचर्चित राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन यानी एनआरएचएम (अब एनएचएम नेशनल हेल्थ मिशन) दवा घोटाले की विजिलेंस जांच का मसला अभी फाइलों में ही उलझा हुआ है। सरकार ने इस मामले में विजिलेंस जांच कराने का निर्णय लिया था जिसका अभी तक आदेश जारी नहीं हुआ है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। राज्य के बहुचर्चित राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, यानी एनआरएचएम (अब एनएचएम, नेशनल हेल्थ मिशन) दवा घोटाले की विजिलेंस जांच का मसला अभी फाइलों में ही उलझा हुआ है। सरकार ने इस मामले में विजिलेंस जांच कराने का निर्णय लिया था, जिसका अभी तक आदेश जारी नहीं हुआ है।
एनएमएच में दवा घोटाले का मामला वर्ष 2010 में सामने आया था। रुड़की के एक नाले में बड़ी मात्रा में दवाइयां मिलने के बाद इसकी जांच शुरू की गई। विभागीय जांच में किसी को दोषी नहीं पाया गया। इस बीच मामला सूचना आयोग तक पहुंचा। आयोग के निर्देश पर शासन स्तर से मामले की जांच कराई गई, लेकिन इसमें भी कोई स्पष्ट रिपोर्ट नहीं आई। ऐसे में आयोग ने इसकी जांच सीबीआइ से कराने की संस्तुति कर दी। आयोग के निर्देश पर सरकार ने वर्ष 2014 में सीबीआइ को जांच के लिए पत्र लिखा, मगर सीबीआइ की ओर से इसका कोई जवाब नहीं मिला।
सितंबर 2019 में अचानक सीबीआइ ने यह मामला हाथ में लेते हुए सरकार को एक पूर्व सीएमओ समेत सात लोगों के नामों की सूची दी और इन पर कार्रवाई की अनुमति मांगी। इस पर स्वास्थ्य विभाग ने इस पूरे प्रकरण की पत्रावली मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी। इस पर उच्च स्तरीय बैठक भी हुई। इस बैठक में बताया गया कि मामले में जिन लोगों को आरोपित बनाया गया है, उनमें से कई सेवानिवृत्त हो चुके हैं। ऐसे में सरकार ने मामला सीबीआइ से हटाकर विजिलेंस को देने का निर्णय लिया। इसके लिए शासन ने बाकायदा एनएचएम दवा खरीद घोटाले के मामले की सीबीआइ जांच के लिए अप्रैल 2014 में की गई अधिसूचना को निरस्त कर दिया। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने विजिलेंस जांच के लिए पत्रावली गृह विभाग को भेजी। सारे दस्तावेज भी गृह विभाग को भेजे गए। सूत्रों की मानें तो इस मामले में विजिलेंस जांच के आदेश अब जारी नहीं हो पाए हैं।