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जानिए क्यों त्रिवेंद्र सिंह रावत नहीं लड़ेंगे विधानसभा चुनाव, फैसले में छिपा है एक बड़ा राजनीतिक संदेश

Uttarakhand Election 202 राजनीतिक प्रेक्षक पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के विधानसभा चुनाव न लड़ने के संबंध में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भेजे गए पत्र के पीछे भी कुछ इसी तरह का संदेश छिपा होना मानते हैं। त्रिवेंद्र अब पार्टी संगठन में अपनी भूमिका चाहते हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 08:36 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 08:36 AM (IST)
जानिए क्यों त्रिवेंद्र सिंह रावत नहीं लड़ेंगे विधानसभा चुनाव, फैसले में छिपा है एक बड़ा राजनीतिक संदेश
Uttarakhand Election 2022: जानिए क्यों त्रिवेंद्र सिंह रावत नहीं लड़ेंगे विधानसभा चुनाव। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Election 2022 उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव में नेतृत्व को लेकर भाजपा हाईकमान किसी भी तरह का संशय नहीं रखना चाहता। राजनीतिक प्रेक्षक पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के विधानसभा चुनाव न लड़ने के संबंध में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भेजे गए पत्र के पीछे भी कुछ इसी तरह का संदेश छिपा होना मानते हैं। त्रिवेंद्र अब पार्टी संगठन में अपनी भूमिका चाहते हैं। यह भी उनके पत्र से जाहिर होता है। कुल मिलाकर यह कि सरकार बनने की स्थिति में युवा नेतृत्व के लिए किसी तरह की चुनौती पेश न होने पाए, इसी को ध्यान में रखते हुए रणनीतिक तौर पर चुनावी अभियान को आगे बढ़ाया जा रहा है।

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भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व धामी को प्रदेश सरकार की कमान सौंपने के वक्त ही साफ कर चुका था कि अगला चुनाव उन्हीं के कंधों पर लड़ा जाएगा। यह भी स्पष्ट कर दिया गया था कि धामी ही मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे। बुधवार को अपना फैसला सार्वजनिक करके पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक तरह से यह संदेश देने का प्रयास किया है कि वह धामी की राह निष्कंटक करना चाहते हैं। त्रिवेंद्र को चार साल का कार्यकाल पूरा करने से नौ दिन पहले जिस तरह मुख्यमंत्री पद से हटाया गया, उससे वे आहत जरूर हुए, लेकिन उन्होंने इस बारे में कहीं कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की।

पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा पर अंगुली उठाने का मौका भी किसी को नहीं दिया। अब त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चुनाव न लड़ने की इच्छा जताकर यह भी साफ कर दिया है कि उनकी अगली मंजिल विधानसभा नहीं है। त्रिवेंद्र ने पत्र में अपने अनुभव का उल्लेख भी किया है और इस क्रम में बताया है कि विभिन्न राज्यों में चुनावों के दौरान वह कई जिम्मेदारी निभा चुके हैं। उनके पत्र की भाषा से यह भी साफ होता है कि अब वे पार्टी संगठन में अपनी भूमिका चाहते हैं। यानी, चुनाव लडऩे की बजाय वह चुनाव लड़ाने वाला बनना चाहते हैं।

डोईवाला सीट पर उलझन खत्म

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के चुनाव लड़ने या न लड़ने को लेकर ऊहापोह खत्म होने के बाद अब भाजपा के लिए डोईवाला सीट पर काफी हद तक उलझन खत्म हो गई है। सिटिंग विधायक होने के नाते त्रिवेंद्र यहां स्वाभाविक रूप से प्रबल दावेदार थे। अन्य दावेदारों की लंबी सूची यहां है। त्रिवेंद्र सिंह रावत के पूर्व सीएम और वरिष्ठ होने के चलते यहां टिकट पर मुहर लगाने को लेकर अभी तक अनिर्णय की स्थिति में थी। सीट पर त्रिवेंद्र के अलावा अन्य दावेदार भी हैं। अब त्रिवेंद्र की ओर से स्थिति साफ कर दिए जाने के बाद पार्टी यहां नए चेहरे को टिकट देगी। इसे देखते हुए इस सीट पर दावेदारी कर रहे पार्टी नेताओं ने जोड़-तोड़ शुरू कर दी है। किसकी लाटरी लगती है, इसे लेकर जल्द ही तस्वीर साफ हो जाएगी।

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