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चुनाव ड्यूटी से नाम कटवाने को बहाने भी ऐसे, जो नहीं उतर रहे अधिकारियों के गले; आप भी जानिए

Uttarakhand Election 2022 कार्मिक नाक-भौं सिकोड़न लगते हैं। ड्यूटी का पर्चा हाथ में आते ही वह इस जुगत में लग जाते हैं कि किसी तरह उनका नाम ड्यूटी से कट जाए। अभी चुनाव प्रशिक्षण शुरू हुआ ही है और ड्यूटी कटवाने के लिए 110 आवेदन भी पहुंच चुके।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 03:18 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 03:18 PM (IST)
चुनाव ड्यूटी से नाम कटवाने को बहाने भी ऐसे, जो नहीं उतर रहे अधिकारियों के गले; आप भी जानिए
चुनाव ड्यूटी से नाम कटवाने को बहाने भी ऐसे, जो नहीं उतर रहे अधिकारियों के गले।

जागरण संवाददाता, देहरादून। Uttarakhand Election 2022 निर्वाचन ड्यूटी के नाम पर तमाम कार्मिक नाक-भौं सिकोड़न लगते हैं। ड्यूटी का पर्चा हाथ में आते ही वह इस जुगत में लग जाते हैं कि किसी तरह उनका नाम ड्यूटी से कट जाए। अभी चुनाव प्रशिक्षण शुरू हुआ ही है और ड्यूटी कटवाने के लिए 110 आवेदन नोडल अधिकारी कार्मिक/अपर जिलाधिकारी केके मिश्रा के पास पहुंच चुके हैं।

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ड्यूटी कटवाने को दिए गए आवेदनों में तरह-तरह के बहाने बनाए गए हैं। बहाने भी ऐसे जो अधिकारियों के गले नहीं उतर रहे। अपर जिलाधिकारी केके मिश्रा के मुताबिक एक कार्मिक के पिता की मृत्यु एक माह पहले हो चुकी है और वह अब कह रहे हैं कि उन्हें क्रिया में बैठना है। दूसरी तरफ यही कार्मिक रोजाना अपने कार्यालय जा रहे हैं। उन्हें दिक्कत बस चुनाव ड्यूटी से है।

वहीं, एक कार्मिक का कहना है कि दूर के रिश्तेदार के यहां किसी का देहांत हुआ है और उन्हें वहां जाना है। इसके अलावा पत्नी के प्रसव, सास की बीमारी, माता-पिता के उपचार के लिए भी कार्मिक चुनाव ड्यूटी से नाम कटवाना चाह रहे हैं। अपर जिलाधिकारी ने कहा कि सभी आवेदनों का परीक्षण कराया जा रहा है। बिना वाजिब कारण के ड्यूटी नहीं काटी जाएगी। वहीं, यदि कोई कार्मिक बीमार है तो उसे मेडिकल बोर्ड के समक्ष उपस्थित होकर सहमति प्राप्त करनी होगी।

चुनाव ड्यूटी लगाने से दिव्यांग शिक्षक संघ नाराज

दिव्यांग राजकीय शिक्षक संघ ने विधानसभा चुनाव में दिव्यांग शिक्षकों की ड्यूटी लगाए जाने पर नाराजगी जताई है। संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मक्खन लाल शाह ने कहा कि चुनाव में दिव्यांग शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जा रही है, जो गलत है। कहा सुविधाओं के अभाव में दिव्यांगों को परेशानियां झेलनी पड़ रही है। पिछले दस सालों से निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर समस्या से अवगत कराया जा रहा है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

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