जानिए कैसे उत्तराखंड चुनाव 2022 से ठीक पहले कांग्रेस भाजपा की उम्मीदों को देना चाहती है झटका, प्लानिंग पूरी
Uttarakhand Election 2022 बगावत का झटका झेल चुकी कांग्रेस भाजपा को उसी अंदाज में जवाब देने जा रही है। भाजपा सरकार में मंत्री रहे यशपाल आर्य और उनके पूर्व विधायक बेटे की वापसी के बाद अब पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत को शामिल करने की तैयारी है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Election 2022 साल 2016 में बगावत का झटका झेल चुकी कांग्रेस भाजपा को उसी अंदाज में जवाब देने जा रही है। भाजपा सरकार में मंत्री रहे यशपाल आर्य और उनके पूर्व विधायक बेटे की वापसी के बाद अब पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत को शामिल करने की तैयारी है। उनके साथ कांग्रेस की पृष्ठभूमि के कुछ विधायक भी भाजपा छोड़ सकते हैं। बागियों की घर वापसी के माध्यम से कांग्रेस की कोशिश है कि भाजपा की दोबारा प्रचंड बहुमत पाने की कोशिशों को झटका दिया जाए।
पांच साल पहले कांग्रेस जिस बड़े असंतोष से गुजरकर बिखरने की हालत में पहुंच गई थी, उसे फिर से दोहराने की तैयारी प्रमुख विपक्षी पार्टी कर रही है। हालांकि पार्टी की यह मंशा किस हद तक पूरी होती है, यह तो समय ही बताएगा। कांग्रेस चुनाव के मौके पर भाजपा को बड़ी चोट पहुंचाने का मौका कांग्रेस हाथ से जाने नहीं देना चाहती है। कांग्रेस ने इस हसरत को पूरी करने के लिए सोमवार को हरक सिंह रावत की वापसी को टाला है। मंगलवार को वह कुछ अन्य विधायकों के साथ कांग्रेस का दामन फिर थाम सकते हैं।
सत्ता विरोधी रुझान दिखाने की तैयारी
भाजपा के असंतुष्टों की कांग्रेस में वापसी को बड़े स्तर पर सत्ता विरोधी रुझान के रूप में संदेश देने के रूप में भी इस्तेमाल किया जाएगा। कांग्रेस में बागियों की वापसी को लेकर चर्चाएं लंबे समय से चलती रही हैं। इनमें पिछली कांग्रेस सरकार से बगावत करने वालों की वापसी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत भी आपत्ति जताते रहे हैं। उत्तराखंड में सत्ता की वापसी को पूरी ताकत झोंक रही पार्टी का रुख बागियों को लेकर नरम पड़ा है।
बागियों की वापसी से मिली ताकत
संकेत ये भी है कि इस मामले में हरीश रावत को भी मना लिया जाएगा। दरअसल पार्टी की रणनीति जिताऊ समझे जाने वाले चेहरों को आगे कर भाजपा की मुश्किल बढ़ाना भी है। 2017 के चुनाव में भाजपा को मिला प्रचंड बहुमत कांग्रेस को सालता रहा है। पिछले चुनाव में पार्टी को महज 11 सीटों पर सिमटना पड़ा था। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए नेताओं की वापसी को पार्टी अपनी बढ़ती ताकत के रूप में देख रही है।
चुनाव प्रचार में लाभ लेने पर जोर
पूर्व मंत्री यशपाल आर्य और उनके विधायक रहे पुत्र संजीव आर्य की वापसी को पार्टी ने अनुसूचित जाति के बड़े चेहरे के रूप में प्रस्तुत किया गया। अब हरक सिंह के साथ कुछ विधायकों की वापसी को भी भाजपा को मिले बड़े घाव के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। चुनाव प्रचार के दौरान इसे भुनाया भी जाएगा, ताकि भाजपा को बैकफुट पर लाया जा सके।
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