इन्हें इंदिरा गांधी ने किया था कांग्रेस में शामिल, 1985 में चकराता सीट पर रचा इतिहास, अब बेटे बढ़ा रहे विरासत को आगे
Uttarakhand Election 2022 पहले मसूरी और बाद में चकराता के नाम से पहचान रखने वाली विधानसभा सीट से आठ बार विधायक रहे कांग्रेस के कद्दावर नेता स्व. गुलाब सिंह ने वर्ष 1985 के चुनाव में इतिहास रचा था। तब वह निर्विरोध चुनकर विधानसभा पहुंचे थे।
चंदराम राजगुरु, चकराता(देहरादून)। Uttarakhand Election 2022 अविभाजित उत्तर प्रदेश में पहले मसूरी और बाद में चकराता के नाम से पहचान रखने वाली विधानसभा सीट से आठ बार विधायक रहे कांग्रेस के कद्दावर नेता स्व. गुलाब सिंह ने वर्ष 1985 के चुनाव में इतिहास रचा था। तब वह निर्विरोध चुनकर विधानसभा पहुंचे थे। वर्ष 1990 में गुलाब सिंह के राजनीति से संन्यास लेने के बाद इस विरासत को उनके बेटे प्रीतम सिंह आगे बढ़ा रहे हैं। अविभाजित उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में वह पांच बार यहां जीत दर्ज कर चुके हैं।
देहरादून जिले के जौनसार-बावर के बृनाड़ निवासी गांधीवादी विचारक एवं सरल स्वभाव के स्व. गुलाब सिंह छात्र जीवन से ही सक्रिय राजनीति में आ गए थे। क्षेत्र के संभ्रांत परिवार से संबंध रखने वाले गुलाब सिंह ने वर्ष 1952 में पहली बार हुए विधानसभा चुनाव में मसूरी सीट से निर्दल उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। तब वह कांग्रेस के शांति प्रपन्न शर्मा से हार गए थे। इसके बाद वर्ष 1957 में गुलाब सिंह फिर से निर्दल चुनाव लड़े। तब वह कांग्रेस के सूरत सिंह को हराकर पहली बार मसूरी सीट से विधायक बने। उनके चुनाव जीतने के बाद वर्ष 1957 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ ही इंदिरा गांधी चकराता दौरे पर आईं। इसी दौरान उन्होंने गुलाब सिंह को कांग्रेस में शामिल किया।
कांग्रेस में शामिल होने के बाद गुलाब सिंह ने यहां वर्ष 1957, 1962, 1967, 1969, 1974 के चुनावों में जीत दर्ज की। जीत का उनका यह सिलसिला वर्ष 1977 में आपात काल के दौरान टूटा। इस चुनाव में जनता पार्टी के प्रत्याशी शूरवीर सिंह ने उन्हें पराजित किया। वर्ष 1980 से गुलाब सिंह ने फिर से यहां चुनाव जीता। इसके बाद वर्ष 1985 व 1989 में भी जीत दर्ज कर आठ बार इस सीट पर आठ बार जीतने का रिकार्ड भी बनाया। वर्ष 1985 के चुनाव में गुलाब सिंह ने इस सीट से निर्विरोध विधायक बनकर उत्तर प्रदेश विधानसभा में नया कीर्तिमान स्थापित किया। उस वक्त की विधानसभा में वह निर्विरोध चुने जाने वाले इकलौते विधायक थे। गुलाब सिंह वर्ष 1971 से लेकर 1989 के बीच उत्तर प्रदेश की सरकारों में चार बार राज्यमंत्री भी रहे। वर्ष 1990 में उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास लिया और अपने पुत्र प्रीतम सिंह को राजनीतिक विरासत सौंपी। इसके बाद वह इसे आगे बढ़ा रहे हैं। 3 दिसंबर 2000 को गुलाब सिंह दुनिया से विदा हो गए।
सादगी के मुरीद थे लोग
जनजातीय क्षेत्र जौनसार में संयुक्त परिवार परंपरा के हिमायती रहे गुलाब सिंह को जौनसार-बावर का विकास पुरुष एवं जननायक कहा जाता है। सामाजिक जीवन में उनकी सादगी और सरलता के लोग मुरीद थे। उन्होंने जून 1967 में केंद्र सरकार से विशेष संस्कृति के आधार पर जौनसारी जनजाति-एसटी का दर्जा दिलाया था।
1974 में चकराता नाम से अस्तित्व में आई सीट
आजादी के बाद मसूरी विधानसभा के नाम से रही चकराता विधानसभा सीट वर्ष 1974 में अस्तित्व में आई। तब मसूरी विधानसभा का क्षेत्र जौनसार बावर तक फैला था। केंद्र से जौनसार-बावर को जनजातीय क्षेत्र का दर्जा मिलने पर चकराता सीट अनुसूचित जनजाति-एसटी के लिए आरक्षित हो गई। राज्य गठन के बाद हुए नए परिसीमन में चकराता विधानसभा का भौगोलिक क्षेत्र कम हो गया। तब यहां विकासनगर और सहसपुर के नाम से सीटें वजूद में आ गईं।
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