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उत्तराखंड में अस्पताल पहुंचने में देरी के कारण हो रही 76 फीसद मृत्यु, लगातार बढ़ रहा आंकड़ा

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर काफी घातक साबित हो रही। इस बार कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है। कोरोना से होने वाली मृत्यु के मामले में यह बात सामने आई है कि 76 फीसद मृत्य अस्पताल आने में हो रही देरी के कारण हो रही।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Tue, 11 May 2021 06:10 AM (IST)Updated: Tue, 11 May 2021 06:10 AM (IST)
उत्तराखंड में अस्पताल पहुंचने में देरी के कारण हो रही 76 फीसद मृत्यु, लगातार बढ़ रहा आंकड़ा
उत्तराखंड में अस्पताल पहुंचने में देरी के कारण हो रही 76 फीसद मृत्यु। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर काफी घातक साबित हो रही है। इस बार कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है। कोरोना से होने वाली मृत्यु के मामले में यह बात सामने आई है कि 76 फीसद मृत्य अस्पताल आने में हो रही देरी के कारण हो रही हैं। इसे देखते हुए सरकार और शासन ने आमजन से अपील की है कि कोविड के लक्षण नजर आते ही तत्काल उपचार शुरू करवाएं। इससे कोरोना से मौत के आंकड़ों में कमी आ सकती है। 

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मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कोरोना में सावधानी बेहद जरूरी है। प्रतिदिन 25 से 30 हजार लोगों की जांच की जा रही है इसे आगे और बढ़ाया जाएगा। आरटीपीसीआर के साथ ही एंटीजन टेस्ट पर भी जोर दिया जा रहा है ताकि संक्रमण की जानकारी जल्द मिल सके। उन्होंने कहा कि आइसीयू के गैरजरूरी उपयोग की निगरानी को समिति बनाई गई है जो अस्पतालों की निगरानी करेगी। 

सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी ने कहा कि सभी अस्पतालों को निर्देश दिए गए हैं कि आक्सीजन बेड की उपलब्धता की स्थिति को लगातार अपडेट करते रहें। जनता को परेशानी न हो, इसके लिए अस्पतालों की वेबसाइट पर लिखे गए सभी पीआरओ के नंबर भी अपडेट करने के निर्देश दिए गए हैं। वेबसाइट में बेड की उपलब्धता की सही जानकारी के लिए एक टास्क फोर्स भी गठित की गई है, जो सभी शिकायतों पर संज्ञान लेकर आगे कार्रवाई करेगी। सचिव स्वास्थ्य पंकज पांडेय ने कहा कि जांच करने और नतीजे आने में लग रहे समय को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि कोरोना की जांच के साथ ही दवाओं का किट भी मुहैया कराया जाए। यह व्यवस्था लागू कर दी गई है। यह कार्य चरणबद्ध तरीके से चल रहा है। 

उन्होंने बताया कि रेमडेसिवीर की जो कीमत केंद्र सरकार ने तय की है, उसी कीमत पर प्रदेश सरकार अस्पतालों को मुहैया करा रही है। निजी अस्पतालों को भी यह निर्देश दिए गए हैं कि वे भी मरीजों को उसी कीमत पर उपलब्ध कराएं। पुलिस महानिरीक्षक अमित सिन्हा ने बताया कि दवाओं की कालाबाजारी पर अब तक प्राप्त 1150 शिकायतों का संज्ञान लेकर जांच की गई। अब तक 22 एफआइआर हो चुकी है, जिसके तहत 33 आरोपी गिरफ्तार हुए हैं।

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