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Uttarakhand Congress Crisis: उत्तराखंड कांग्रेस में चुनावी चेहरे पर निर्णायक फैसला लेगा हाईकमान

Uttarakhand Congress Crisis उत्तराखंड में पांच अध्यक्षों को आगे कर सबको साधने की कांग्रेस की कोशिश चुनावी चेहरे के सवाल पर उलझने लगी है। चेहरे को लेकर पिछले लंबे समय से चल रही तकरार प्रदेश कांग्रेस में बड़े बदलाव के बाद भी थमती नहीं दिख रही है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 25 Jul 2021 06:45 AM (IST)Updated: Sun, 25 Jul 2021 06:45 AM (IST)
Uttarakhand Congress Crisis: उत्तराखंड कांग्रेस में चुनावी चेहरे पर निर्णायक फैसला लेगा हाईकमान
विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, प्रदेश में कांग्रेस के भीतर चेहरे को लेकर लड़ाई और तेज होने लगी है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Congress Crisis उत्तराखंड में पांच अध्यक्षों को आगे कर सबको साधने की कांग्रेस की कोशिश चुनावी चेहरे के सवाल पर उलझने लगी है। चेहरे को लेकर पिछले लंबे समय से चल रही तकरार प्रदेश कांग्रेस में बड़े बदलाव के बाद भी थमती नहीं दिख रही है। हालात ऐसे ही रहने की स्थिति में पार्टी हाईकमान के स्तर से निर्णायक फैसले की नौबत आ सकती है।

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विधानसभा चुनाव का वक्त जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, प्रदेश में कांग्रेस के भीतर चेहरे को लेकर लड़ाई और तेज होने लगी है। हालांकि पार्टी हाईकमान नए बदलाव के साथ कई संकेत दे चुका है। चुनाव प्रचार की कमान पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय महासचिव को सौंपकर पार्टी ने जता दिया है कि उसे राज्य में अपने इसे बड़े चेहरे पर भरोसा है। साथ ही पार्टी ने सामूहिक नेतृत्व को लेकर अपना पुराना रुख भी बरकरार रखा है। प्रदेश संगठन में बड़े बदलाव के समीकरण बैठाते वक्त पार्टी नेतृत्व ने गुट विशेष की जगह सभी को साथ लेकर चलने पर जोर दिया है।

प्रदेश के भीतर उठने वाले शोर से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर अंजाम दी गई कसरत के बावजूद पार्टी की उलझन कम नहीं हुई है। चुनावी चेहरे के सवाल पर पार्टी अब भी खेमों में बंटी हुई है। चुनाव प्रचार समिति की कमान हरीश रावत को सौंपे जाने और उनकी पसंद को प्रदेश अध्यक्ष पद पर तरजीह मिलने के बाद रावत खेमा खासा उत्साहित है। रावत समर्थकों का साफतौर पर मानना है कि पार्टी ने अगले विधानसभा चुनाव की बागडोर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के सुपुर्द कर दी है। नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल कह चुके हैं कि हरीश रावत प्रदेश में सबसे लोकप्रिय चेहरा हैं।

वहीं प्रदेश अध्यक्ष पद से हटने के बाद नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में आए प्रीतम सिंह दोहरा रहे हैं कि पार्टी अगला चुनाव किसी चेहरे के बजाय सामूहिक नेतृत्व में लड़ेगी। रावत के नेतृत्व में चुनाव लड़ने को लेकर उनके समर्थकों की बयानबाजी के बाद प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव को हस्तक्षेप करते हुए सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने के रुख को दोहराने के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा, चुनाव के नतीजे पक्ष में आने से पहले ही पत्ते खोलने को पार्टी तैयार नहीं है। चुनाव में नेतृत्व के सवाल पर पार्टी के भीतर की खेमेबाजी ये इशारा देने लगी है कि सांगठनिक बदलाव के बावजूद इस अहम मसले पर पेच बरकरार है।

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