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Uttarakhand Chunav 2022: कांग्रेस में टिकट में ज्यादा हिस्सेदारी में बदली चुनावी जंग

Uttarakhand Vidhan Sabha Chunav 2022 कांग्रेस हाईकमान प्रदेश के दिग्गजों में मनमुटाव को लेकर खासा सतर्क है किसी के पक्ष में कोई कदम जाता दिख रहा है तो तुरंत दूसरे पक्ष को साधने की तैयारी भी की जा रही है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 07:05 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 07:05 AM (IST)
Uttarakhand Chunav 2022: कांग्रेस में टिकट में ज्यादा हिस्सेदारी में बदली चुनावी जंग
कांग्रेस में विधानसभा चुनाव में चेहरे को लेकर छिड़ी जंग अब टिकट में ज्यादा हिस्सेदारी का रूप ले चुकी है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। कांग्रेस में विधानसभा चुनाव में चेहरे को लेकर छिड़ी जंग अब टिकट में ज्यादा हिस्सेदारी का रूप ले चुकी है। पार्टी का अंदरूनी तापमान इससे बढ़ा हुआ है। टिकट कटने की स्थिति में असंतोष भड़कने के अंदेशे से पार्टी सतर्क है। कोशिश की जा रही है कि टिकट वितरण के माध्यम से भी संतुलन साधने का संदेश दिया जाए। यही नहीं प्रत्याशी घोषित करने से पहले ही मनमुटाव और असंतोष को साधने के लिए हाल ही में वरिष्ठ पर्यवेक्षक नामित किए गए पूर्व राष्ट्रीय महासचिव मोहन प्रकाश मोर्चे पर आ डटे हैं।

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70 सीटों वाली उत्तराखंड विधानसभा के टिकट तय करने के लिए पार्टी को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। तकरीबन हफ्तेभर की मशक्कत के बावजूद आम सहमति से प्रत्याशियों के नाम तय नहीं किए जा सके हैं तो इसकी वजह भी बड़ी साफ है। हाईकमान के सख्त संदेश के बाद यह स्पष्ट हो चुका है कि प्रदेश में चुनाव सामूहिक नेतृत्व में होंगे। पार्टी ने किसी चेहरे विशेष को चुनाव में आगे नहीं किया है। हालांकि चुनाव की बागडोर पूरी तरह पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को सौंपी गई है। चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री का चेहरा तय करने में ये टिकट ही बड़ी भूमिका निभाने जा रहे हैं।

टिकट वितरण में संतुलन साधने पर जोर

टिकट आम सहमति से तय किए जाने का मसला भी इसी वजह से उलझा है। सभी को साधे रखने के अंदाज में पार्टी हाईकमान ने संबंधित पक्षों से उनके पसंदीदा प्रत्याशियों की जिताऊ क्षमता का पूरा ब्योरा लिखित में लिया है। निर्णय इसी ब्योरे के आधार पर लिया जाना है। पार्टी हाईकमान इस लिखित ब्योरे और विभिन्न सर्वे में मिले कांग्रेस प्रत्याशियों के बारे में मिले फीडबैक के आधार पर निर्णय लेगा। दिग्गजों की खींचतान और धड़ेबंदी का असर टिकट तय होने के बाद पार्टी में असंतोष के रूप में सिर उठा सकता है। बताया जा रहा है कि इस अंदेशे की वजह से टिकटों के वितरण में भी संतुलन को सबसे ज्यादा तरजीह दी जा रही है।

टिकट से पहले सिर उठा रहा असंतोष

सूत्रों की मानें तो पार्टी हाईकमान ने टिकटों के वितरण से पहले दिग्गजों से उनकी पसंद के दावेदारों का लिखित ब्योरा सोच-समझकर लिया है। चुनाव में इस दावे की भी परीक्षा होनी है। फिलहाल पूरा जोर इस पर है कि सभी को एकजुट कर पूरी ताकत से चुनाव लड़ा जाए, ताकि जीत के लिए आवश्यक बहुमत हासिल किया जा सके। जिन्हें टिकट नहीं मिलेगा, उनमें असंतोष स्वाभाविक है। यह दिखने भी लगा है। नैनीताल सुरक्षित सीट से टिकट नहीं मिलने की वजह से प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष सरिता आर्य पार्टी को बाय-बाय कर भाजपा का दामन थाम चुकी हैं।

सभी का सहयोग लेंगे: मोहन प्रकाश

पार्टी नेताओं की नाराजगी पर काबू पाने के लिए टिकट बंटने से पहले ही वरिष्ठ नेताओं को मोर्चे पर भेजा गया है। हाल ही में वरिष्ठ पर्यवेक्षक नामित किए गए मोहन प्रकाश अब उत्तराखंड आ चुके हैं। कार्यकर्त्ताओं व नेताओं से मुलाकात कर अलग-अलग फीडबैक लेना प्रारंभ किया है। उन्होंने कहा कि जिन्हें टिकट नहीं मिलता, उनमें नाराजगी होना बड़ी बात नहीं है। पार्टी का लक्ष्य भाजपा को हराना है। ऐसे में सभी के सहयोग की दरकार है। जो नाराज होंगे, उन्हें पार्टी मनाएगी। परिवार के सदस्यों को मनाने में गुरेज नहीं होना चाहिए।


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