Uttarakhand Chamoli Glacier Tragedy Rescue Operation: 72 घंटे से ज्यादा मशक्कत के बाद बदली रेस्क्यू की रणनीति
Uttarakhand Chamoli Glacier Tragedy Rescue Operation तपोवन-विष्णुगाड हाइड्रो प्रोजेक्ट की टनल में फंसे 34 व्यक्तियों को बचाने को रेस्क्यू आपरेशन की रणनीति को चौथे दिन बदलना पड़ा। एनटीपीसी से प्राप्त सूचना के आधार पर अब तक ये माना जा रहा था कि टनल में टी-प्वाइंट पर उक्त व्यक्ति फंसे हैं।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Chamoli Glacier Tragedy Rescue Operation तपोवन-विष्णुगाड हाइड्रो प्रोजेक्ट की टनल में फंसे 34 व्यक्तियों को बचाने के लिए रेस्क्यू आपरेशन की रणनीति को चौथे दिन बदलना पड़ा। एनटीपीसी से प्राप्त सूचना के आधार पर अब तक ये माना जा रहा था कि टनल में टी-प्वाइंट पर उक्त व्यक्ति फंसे हैं। बुधवार को एनटीपीसी ने प्रशासन को जानकारी दी कि टी-प्वाइंट के बजाय एसएफटी (सिल्ट फ्लशिंग टनल) में उक्त लोग काम कर रहे थे। यह टनल मुख्य टनल से 12 मीटर नीचे है। 72 घंटे से ज्यादा समय से लगातार चल रहे रेस्क्यू आपरेशन का नतीजा सामने नहीं आने से टनल में फंसे व्यक्तियों के परेशानहाल स्वजनों ने आज हंगामा भी किया। इस हंगामे के बाद एनटीपीसी के नई जानकारी के साथ सामने आने पर गढ़वाल मंडलायुक्त रविनाथ रमन ने नाराजगी जताई।
मंडलायुक्त ने कहा कि अब मुख्य टनल में ही करीब 12 मीटर ड्रिल कर कैमरे के जरिये फंसे व्यक्तियों का पता लगाया जाएगा। बुधवार को दो और शव बरामद हुए। अब तक मिले कुल 34 में से 10 शव की शिनाख्त हो पाई। रेस्क्यू आपरेशन में ड्रोन की मदद ली जा रही है। नेवी के मार्कोस ने कोटेश्वर झील में सर्च आपरेशन चलाया। आपदा प्रभावित क्षेत्रों के साथ अलकनंदा नदी तटों पर लापता व्यक्तियों की खोजबीन की जा रही है। अब भी 170 व्यक्ति लापता हैं।
उधर लापता माने जा रहे दो व्यक्तियों के जीवित होने की जानकारी बुधवार को मिली। ये ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट के ये दो व्यक्ति अपने आवास पर पाए गए। आपदा में सड़क टूटने से सीमांत क्षेत्र के 13 गावों के 360 परिवार प्रभावित हुए हैं। इन गांवों में आज भी हेलीकाप्टर से राशन किट समेत राहत सामग्री पहुंचाई गई। अब सिर्फ पैंग और मुराडा गांवों में ही बिजली नहीं है। इन गांवों में सोलर लाइट भेजी गई हैं। वहीं 11 गांवों में विद्युत आपूर्ति और 10 गांवों में पेयजल आपूर्ति बहाल की गई है। पुल टूटने से संपर्क से कट गए गांवों तपोवन, रैणी, जुआग्वाड में आवाजाही के लिए ट्राली व वैली ब्रिज की वैकल्पिक व्यवस्था पर काम शुरू कर दिया गया है।
सीमांत जिले चमोली के रैणी गांव के समीप बीते रविवार को ग्लेशियर टूटने से मची तबाही का शिकार लापता व्यक्तियों को ढूंढऩे का काम बुधवार को भी जारी रहा। तपोवन-विष्णुगाड प्रोजेक्ट की टनल में अब तक टी-प्वाइंट तक पहुंचने को लक्ष्य बनाकर आपरेशन को अंजाम दिया जा रहा था। लगातार चौथे दिन जारी इस आपरेशन के दौरान टनल में फंसे व्यक्तियों और स्थानीय निवासियों का धैर्य जवाब दे गया। उन्होंने हंगामा किया। इसके बाद मंडलायुक्त ने एनटीपीसी के अधिकारियों को तलब कर टनल के भीतरी मैप और वहां कार्यरत रहे व्यक्तियों के बारे में स्पष्ट जानकारी तलब की। एनटीपीसी ने बताया कि जिस मुख्य टनल में करीब 100 मीटर तक मलबा हटाकर रेस्क्यू आपरेशन किया जा रहा है। उससे 12 मीटर नीचे एसएफटी है। अब नई रणनीति ये बनी है कि मुख्य टनल में 100 मीटर आगे 12 मीटर तक ड्रिल किया जाएगा, ताकि एसएफटी तक कैमरे की पहुंच बन सके। एसएफटी का जायजा लेकर रेस्क्यू आपरेशन आगे बढ़ाया जाएगा।
बताया गया कि जिस एसएफटी में काम चल रहा था वह 560 मीटर तक बननी है। 120 मीटर के लगभग यह बन भी चुकी है। इससे प्रोजेक्ट में जाने वाले पानी से सिल्ट व मिट्टी की निकासी होनी थी। मंडलायुक्त रविनाथ रमन ने बताया कि अब रेस्क्यू की रणनीति परिवर्तित की गई है। जिस एसएफटी में 34 व्यक्तियों के फंसे होने की जानकारी है, वहां पहुंचने के लिए अब 12 मीटर तक ड्रिल किया जाएगा।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के मुताबिक 170 लोग अभी लापता हैं। पूर्व में लापता बताए गए ऋषि गंगा कम्पनी के दो व्यक्ति सुरक्षित अपने आवास पर पाए गए हैं। आज दो शव की शिनाख्त की गई। ये सूरज पुत्र बेचू लाल (बाबूपुर बेलराय, लखीमपुर खीरी, उप्र), रविंद्र पुत्र नैन सिंह (ग्राम बजानी, धारचूला, पिथौरागढ़) हैं। बीते रोज आठ शव की शिनाख्त की गई थी।
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