Uttarakhand Board Examination: बोर्ड परीक्षा के पुराने पैटर्न पर बन सकती है सहमति
Uttarakhand Board Examination उत्तराखंड बोर्ड की इंटर की परीक्षा के पैटर्न को लेकर ऊहापोह जल्द खत्म होगा। परीक्षा बहुविकल्पीय प्रश्नों के नए पैटर्न के बजाय पुराने पैटर्न पर हो सकती है। इस मामले में अंतिम फैसला कई पहलुओं पर मंथन के बाद लिया जाएगा।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Board Examination उत्तराखंड बोर्ड की इंटर की परीक्षा के पैटर्न को लेकर ऊहापोह जल्द खत्म होगा। परीक्षा बहुविकल्पीय प्रश्नों के नए पैटर्न के बजाय पुराने पैटर्न पर हो सकती है। इस मामले में अंतिम फैसला कई पहलुओं पर मंथन के बाद लिया जाएगा। परीक्षार्थियों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर स्वकेंद्र की व्यवस्था लागू करने पर भी विचार किया जा रहा है। कोरोना महामारी ने शिक्षा को तमाम बेड़ियों में जकड़कर रख दिया है।
प्रदेश सरकार उत्तराखंड बोर्ड की हाईस्कूल की परीक्षा निरस्त कर चुकी है। बोर्ड की इंटर की परीक्षा कराने पर सहमति बनी है। सरकार इस मामले में सीबीएसई बोर्ड और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से उठाए जाने वाले कदमों को भी देखा जाएगा। इसका इंतजार किया जा रहा है। केंद्रीय मंत्रालय के साथ बैठक में इंटर में बोर्ड परीक्षा में प्रतियोगी परीक्षाओं की तर्ज पर बहुविकल्पीय प्रश्नों के आधार पर प्रश्नपत्र तैयार करने को लेकर भी चर्चा हुई। हालांकि, सीबीएसई ने भी इस बारे में अभी अंतिम फैसला नहीं लिया है।
उत्तराखंड बोर्ड की इंटर परीक्षा में 1,22,184 परीक्षार्थी पंजीकृत हैं। परीक्षा की तमाम व्यवस्थाओं को अंतिम रूप देने में छात्र-छात्राओं की सुरक्षा को सबसे ज्यादा तरजीह दी जा रही है। ऐसे में परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाना तकरीबन तय है। साथ ही परीक्षा के लिए स्वकेंद्र व्यवस्था लागू करने पर मंथन जारी है। स्वकेंद्र व्यवस्था लागू होने की स्थिति में परीक्षार्थियों को अपने विद्यालयों में ही परीक्षा देने की सुविधा मिल जाएगी।
उनके परीक्षा देने को अन्यत्र केंद्र जाने की अपेक्षा इसे अच्छा विकल्प माना जा रहा है। इसी तरह परीक्षा में प्रश्नपत्र के पुराने और नए पैटर्न के विभिन्न पहलुओं को खंगाला जा रहा है। एक पक्ष ये भी सामने आया है कि परीक्षार्थी पिछले दो साल से जिस पैटर्न पर परीक्षा की तैयारी है, उसमें बदलाव ठीक नहीं रहेगा।
बहुविकल्पीय प्रश्नों की व्यवस्था में एक पेच इस बात पर भी फंस रहा है कि इससे सही-गलत का आकलन तो संभव है, छात्र-छात्राओं के समझ के स्तर का मूल्यांकन करने में होने वाली परेशानी को भी विमर्श के केंद्र में रखा गया है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय का कहना है कि बोर्ड परीक्षा में सबसे पहली प्राथमिकता छात्र-छात्राओं की सुरक्षा है। साथ ही उन्हें खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों के परीक्षार्थियों को दिक्कत न आने पाए, इसे ध्यान में रखकर भी फैसला लिया जाएगा।
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