अनिल बलूनी की कार्यशैली के मुरीद हुए विधायक, विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान की तारीफ
अनिल बलूनी की ओर से राज्य के विकास में दिए जा रहे योगदान के सत्तापक्ष के साथ ही विपक्ष के विधायक भी कायल हैं। विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान उनके द्वारा कराए गए कार्यों की गूंज सदन में भी सुनाई दी।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य और भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी की ओर से राज्य के विकास में दिए जा रहे योगदान के सत्तापक्ष के साथ ही विपक्ष के विधायक भी कायल हैं। विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान उनके द्वारा कराए गए कार्यों की गूंज सदन में भी सुनाई दी। कांग्रेस विधायक हरीश धामी के बाद अब निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के मद्देनजर राज्यसभा सदस्य बलूनी के कार्यों का सदन में उल्लेख करते हुए उनकी सराहना की। उन्होंने कहा कि सरकार को बलूनी की कोशिशों से सबक लेते हुए स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार को कदम उठाने चाहिए।
मानसून सत्र के दौरान हाल में कांग्रेस विधायक हरीश धामी ने मोबाइल कनेक्टिविटी के मामले में राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी के प्रयासों की सदन में सराहना की थी। इस कड़ी में उन्होंने देहरादून-दिल्ली मार्ग पर डाटकाली से मोहंड तक के क्षेत्र में मोबाइल कनेक्टिविटी के लिए किए गए प्रयासों का उल्लेख किया था।शुक्रवार को सदन में निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने राज्यसभा सदस्य बलूनी द्वारा राज्य में कराए जा रहे विकास कार्यों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल में बलूनी ने उत्तरकाशी समेत विभिन्न जिलों में आइसीयू स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने गढ़वाल और कुमाऊं मंडलों में कैंसर अस्पताल की स्थापना के लिए किए जा रहे प्रयासों के लिए भी बलूनी की तारीफ की।
सशक्त भू-कानून को विधानसभा कूच
भू-अध्यादेश अधिनियम अभियान उत्तराखंड संगठन ने प्रदेश में भू-कानून हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर सशक्त करने की मांग को लेकर विधानसभा कूच किया। अभियान के पदाधिकारी व कार्यकत्र्ता शुक्रवार को फव्वारा चौक पर पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ एकत्रित हुए थे। पुलिस ने कार्यकर्त्ताओं को रिस्पना पुल से पहले बेरिकेडिंग पर रोक दिया। जिसके बाद अभियान के कार्यकर्त्ता सड़क पर ही धरने पर बैठ गए।
भू-अध्यादेश अधिनियम अभियान उत्तराखंड संगठन के प्रदेश अध्यक्ष शंकर सागर ने मुख्यमंत्री को प्रेषित किए गए ज्ञापन में कहा कि उत्तराखंड का भू-कानून हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर सशक्त किया जाए, जिससे ऊंचे पदों पर बैठे लोग जमीन की खरीद फरोख्त न करें। वर्ष 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय नारायण दत्त तिवाड़ी ने जनता की मूलभावना का सम्मान करते हुए राज्य में बाहरी व्यक्ति को केवल पांच सौ वर्ग मीटर जमीन खरीदने का अधिकार दिया था। वर्ष 2007 में भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंड्री ने पांच सौ वर्ग मीटर की भूमि को और कम कर ढाई सौ वर्ग मीटर का नियम लागू करवाया, लेकिन वर्ष 2018 में राज्य सरकार ने सभी नियमों को बदलते हुए भूमाफिया के लिए प्रदेश के द्वार खोल दिए जोकि निंदनीय है।
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