चुनाव से पहले भी भिड़ रहे कांग्रेस के धुरंधर, किशोर उपाध्याय ने फिर हरीश रावत की तल्खी पर किया पलटवार
Uttarakhand Assembly Elections 2022 किशोर उपाध्याय ने 2017 की हार को लेकर टिप्पणी पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की तल्खी पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि 2012 में कांग्रेस सरकार बनने पर अपने विधानसभा क्षेत्र टिहरी में सक्रिय नहीं होने देने का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Assembly Elections 2022 उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने 2017 की हार को लेकर टिप्पणी पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की तल्खी पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि 2012 में कांग्रेस सरकार बनने पर अपने विधानसभा क्षेत्र टिहरी में सक्रिय नहीं होने देने का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा।
किशोर उपाध्याय कभी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के प्रमुख सिपहसालारों में शुमार रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद से ही दोनों के संबंध में खिंचाव हो चुका है। बीते दिनों इंटरनेट मीडिया पर अपनी पोस्ट में किशोर ने हरीश रावत को निशाने पर लेते हुए कहा था कि 2017 में सहसपुर सीट से चुनाव वह बड़ी साजिश के चलते हारे थे। इसके जवाब में हरीश रावत ने तंज भी कसा तो चेतावनी भी दी। साथ ही यह भी कहा कि टिहरी से लेकर कई विधानसभा क्षेत्रों का जिक्र करते हुए कहा था कि सहसपुर से टिकट किशोर ने ही तय कराया था।
किशोर ने इस बयान को लेकर हरीश रावत को फिर निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि 2012 में उन्होंने काफी कम मतों के अंतर से चुनाव हारने के बावजूद पार्टी को आगे बढ़ाने को तरजीह दी। कांग्रेस सरकार होने पर भी उन्हें सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा। वह जब भी अपने विधानसभा क्षेत्र टिहरी में सक्रिय होते तो दिल्ली से संदेश आता कि कांग्रेस की सरकार निर्दलीयों पर टिकी है। उनके सक्रिय होने पर सरकार गिरने का हवाला दिया गया। टिहरी से निर्दलीय प्रत्याशी को मंत्री बनाया गया, लेकिन उन्हें जानकारी तक नहीं दी गई। किशोर के तेवरों से पार्टी में खलबली है। वह इन दिनों टिहरी विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं।
राज्यपाल से आइएमए कमांडेंट से की मुलाकात
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) से राजभवन में आइएएम के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल हरिन्दर सिंह ने भेंट की। इस दौरान उन्होंने राज्यपाल को पासिंग आउट परेड में आने का न्योता भी दिया। इसके अलावा लेखक शीशपाल गुसाईं ने भी राज्यपाल से मुलाकात कर उन्हें पुस्तक 'भारत के सबसे बड़े सस्पेंशन पुल डोबरा-चांटी की गाथा' की प्रति भी भेंट की।
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