Uttarakhand Assembly Elections 2022: कुछ भी कर ले कांग्रेस, मुकाबला तो मोदी से ही होगा
Uttarakhand Assembly Elections 2022 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने परेड मैदान से जयघोष कर साफ कर दिया कि विपक्ष चाहे जितनी भी कोशिश कर ले नमो मैजिक से पार पाना उसके लिए कतई आसान नहीं होगा। पिछले सात वर्षों से मोदी के नाम का डंका बज रहा है।
केदार दत्त, देहरादून। Uttarakhand Assembly Elections 2022: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मिशन 2022 की कामयाबी के लिए देहरादून के परेड मैदान से जयघोष कर साफ कर दिया कि विपक्ष चाहे जितनी भी कोशिश कर ले, नमो मैजिक से पार पाना उसके लिए कतई आसान नहीं होगा। राष्ट्रीय राजनीति में पदार्पण के बाद पिछले सात वर्षों से जिस तरह मोदी के नाम का डंका बज रहा है, उत्तराखंड में भी लगातार उसकी गूंज सुनाई दे रही है। चुनाव दर चुनाव जीत दर्ज करती आ रही भाजपा के लिए सबसे बड़ी राहत यह है कि मोदी फैक्टर के कारण काफी हद तक पार्टी एंटी इनकंबेंसी को न्यून कर सकती है।
नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री का पद संभाला था और तब से उत्तराखंड में भी भाजपा अविजित स्थिति में है। वर्ष 2014 में पांचों लोकसभा सीटों पर जीत के साथ इसकी शुरुआत हुई, जबकि वर्ष 2017 के पिछले विधानसभा चुनाव में 70 में से 57 सीटें हासिल कर भाजपा ने कदम आगे बढ़ाए। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में फिर पांचों सीटें भाजपा की झोली में। इन सभी चुनावों में मोदी ही भाजपा का सबसे बड़ा चेहरा रहे। मुख्य विपक्ष कांग्रेस के लिए यही चिंता का सबसे बड़ा सबब है कि लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनाव तक मुकाबला हमेशा मोदी से ही होता आया है।
यही वजह है कि कांग्रेस अब पूरी कोशिश कर रही है कि सत्तारूढ़ भाजपा के विधायकों की व्यक्तिगत एंटी इनकंबेंसी के सहारे घेराबंदी की जाए। अगर कांग्रेस इस रणनीति में सफल रहती है तो ही वह भाजपा को टक्कर देने की स्थिति में रहेगी, लेकिन प्रधानमंत्री जब भी चुनावी दौरे पर आते हैं, वह मुकाबले को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाते हैं। हर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी को भाजपा से तो लोहा लेना ही पड़ता है, मोदी के जादू से पार पाने को अतिरिक्त मशक्कत भी करनी पड़ती है। भाजपा को इससे सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि मोदी के आभामंडल के सामने उसके प्रत्याशियों का कमजोर पक्ष पूरी तरह दब जाता है।
उत्तराखंड में कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा और पार्टी के प्रदेश चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत कई दफा कह चुके हैं कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में उनका मुकाबला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं, प्रदेश भाजपा के नेताओं से है। रावत के इस राजनीतिक पैंतरे के मूल में कांग्रेस का वही भय है कि चुनाव कांग्रेस बनाम मोदी की शक्ल लेगा तो पार्टी के लिए ज्यादा मुश्किल होगी। शनिवार को हुई विजय संकल्प रैली को प्रधानमंत्री ने जिस अंदाज में संबोधित किया, उसने एक बार फिर कांग्रेस के लिए चुनौती बढ़ा दी है। महत्वपूर्ण बात यह कि प्रधानमंत्री की यह पहली चुनावी रैली थी और इसके बाद भाजपा ने उनकी छह अन्य रैलियों का कार्यक्रम तय किया है।
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