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Uttarakhand Election: उत्तराखंड बसपा की चुनाव रणनीति को बहनजी पर नजर, आंकड़ों पर भी करें गौर

Uttarakhand Assembly Elections 2022 बहुजन समाज पार्टी (बसपा) एक बार फिर अपने पुराने वोट बैंक को वापस पाने की जुगत में लगी है। हालांकि चुनावी रणनीति बनाने में प्रदेश बसपा की नजरें अभी पार्टी सुप्रीमों मायावती (बहनजी) पर ही टिकी हुई हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 09:58 AM (IST)Updated: Mon, 29 Nov 2021 09:58 AM (IST)
Uttarakhand Election: उत्तराखंड बसपा की चुनाव रणनीति को बहनजी पर नजर, आंकड़ों पर भी करें गौर
Uttarakhand Election: उत्तराखंड बसपा की चुनाव रणनीति को बहनजी पर नजर।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Assembly Elections 2022 उत्तराखंड में कभी तीसरे सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में पहचान रखने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) एक बार फिर अपने पुराने वोट बैंक को वापस पाने की जुगत में लगी है। हालांकि, चुनावी रणनीति बनाने में प्रदेश बसपा की नजरें अभी पार्टी सुप्रीमों मायावती (बहनजी) पर ही टिकी हुई हैं। चुनावी रणनीति तय करने और प्रत्याशियों के चयन को लेकर बसपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आकाश आनंद, राष्ट्रीय समन्वयक व राज्यसभा सदस्य रामजी गौतम व आनंद कुमार आज (रविवार) किच्चा, ऊधमसिंह नगर में पार्टी पदाधिकारियों संग बैठक करेंगे।

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उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद यहां बसपा का मजबूत जनाधार रहा है। राज्य गठन के बाद वर्ष 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में बसपा ने 10.93 मत प्रतिशत लेकर सात सीट पर कब्जा जमाया था और तीसरे सबसे बड़े दल के रूप में सामने आई। 2007 में हुए दूसरे विधानसभा चुनाव में बसपा ने 11.76 फीसद मत प्रतिशत के साथ आठ सीटें कब्जाई। इसके साथ ही बसपा ने तीसरे सबसे बड़े दल के रूप में अपनी पकड़ को और अधिक मजबूत किया।

सीटों के लिहाज से यह बसपा का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा। वर्ष 2012 में बसपा का मत प्रतिशत तो बढ़ कर 12.19 प्रतिशत तक पहुंचा, लेकिन सीटों की संख्या घट कर तीन पहुंच गई। वहीं 2017 के विधानसभा चुनावों में न केवल बसपा के मतों की संख्या गिरकर 6.98 प्रतिशत हो गई। उसकी झोली खाली रही और विधानसभा में एक भी सीट नहीं मिली। अब 2022 में विधानसभा चुनावों को देखते हुए बसपा नई उम्मीद के साथ तैयारियों में जुट गई है।

मैदानी सीटों पर ही सीमित रही बसपा

बसपा का जनाधार मैदानी सीटों तक ही सीमित रहा है। बीते चुनावों में नजर डालें तो पहले दो चुनावों में बसपा को हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर की विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी। हालांकि 2012 में बसपा केवल हरिद्वार की तीन सीटों पर ही सिमट गई। पार्टी के सामने चुनौती मैदानी जिलों के साथ ही पर्वतीय जिलों में वोट बैंक को मजबूत करने की है।

सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी

आगामी विधानसभा चुनावों में बसपा सभी 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लडऩे की तैयारी कर रही है। बसपा सुप्रीमो मायावती इसी वर्ष जुलाई में बिना गठबंधन अपने ही बूते सभी सीटों पर चुनाव लडऩे की बात कह चुकी है।

बसपा के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी शीशपाल ने कहा, भाजपा ने प्रदेशवासियों को धोखा दिया है। केंद्र सरकार ने वायदों को पूरा नहीं किया है। बसपा बूथ कमेटी, सेक्टर व विधानसभा कमेटी पर फोकस कर रही है। प्रदेश में कितनी सीटों पर चुनाव लड़ना है यह बहनजी तय करेंगी। सूची जारी करने के विषय में वह ही निर्णय लेगी। शिक्षा, स्वास्थ्य व बेरोजगारी को लेकर पार्टी जनता के बीच जाएगी।

बसपा से ये रहे विधायक

2002 विधानसभा

चौधरी यशवीर सिंह- इकबालपुर

हरिदास- लंढौरा

निजामुद्दीन - मंगलौर

मोहम्मद शहजाद- बहादराबाद

तस्लीम अहमद - लालढांग

प्रेम चंद्र महाजन- पंतनगर गदरपुर

नारायण - सितारगंज

2007 विधानसभा

चौधरी यशवीर सिंह - इकबालपुर

हरिदास - लंढौरा

काजी मोहम्मद निजामुद्दीन - मंगलौर

मोहम्मद शहजाद- बहादराबाद

सुरेंद्र राकेश - भगवानपुर

तस्लीम अहमद - लालढांग

प्रेमचंद्र महाजन - पंतनगर गदरपुर

नारायण - सितारगंज

2012 विधानसभा

सरवत करीम अंसारी- मंगलौर

सुरेंद्र राकेश - भगवानपुर

हरिदास - झबरेड़ा


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