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अगली चुनावी जंग में किसी एक को सेनापति बनाने के पक्ष में नहीं कांग्रेस हाईकमान

Uttarakhand Assembly Election 2022 कांग्रेस अगले वर्ष होने वाले उत्तराखंड विधानसभा चुनाव की जंग में किसी एक नेता यानी सेनापति के भरोसे नहीं रहने जा रही है। पार्टी चुनाव से पहले किसी तरह खींचतान के मूड में नहीं है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Tue, 12 Jan 2021 01:23 PM (IST)Updated: Tue, 12 Jan 2021 01:23 PM (IST)
अगली चुनावी जंग में किसी एक को सेनापति बनाने के पक्ष में नहीं कांग्रेस हाईकमान
अगली चुनावी जंग में किसी एक को सेनापति बनाने के पक्ष में नहीं कांग्रेस हाईकमान।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। कांग्रेस अगले वर्ष होने वाले उत्तराखंड विधानसभा चुनाव की जंग में किसी एक नेता यानी सेनापति के भरोसे नहीं रहने जा रही है। पार्टी चुनाव से पहले किसी तरह खींचतान के मूड में नहीं है। प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने राज्य में अपने कुमाऊं और गढ़वाल मंडल के तीन दिनी दौरे में यही संकेत दिए हैं। यही नहीं उन्होंने प्रदेश संगठन और विधानमंडल दल में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चलने वाली चर्चाओं पर भी सख्ती से विराम लगाते हुए ये संदेश भी दे दिया कि पार्टी चुनाव में सामूहिक नेतृत्व को तवज्जो देने जा रही है। 

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कांग्रेस हाईकमान उत्तराखंड को लेकर बेहद गंभीर नजर आ रहा है। प्रदेश में अपनी मजबूत सांगठनिक उपस्थिति के चलते पार्टी सत्ता में वापसी को पूरी ताकत लगा रही है। ऐसे में हाईकमान पार्टी के भीतर किसी भी तरह की खींचतान और उससे आगामी चुनाव को प्रभावित नहीं होने देना चाहता। हालांकि तीन महीने पहले उत्तरप्रदेश के अनुभवी नेता अनुग्रह नारायण सिंह से प्रदेश प्रभारी का दायित्व लेकर दिल्ली के युवा नेताओं में शुमार देवेंद्र यादव को यह जिम्मेदारी सौंपने के साथ प्रदेश संगठन के नेतृत्व को बदलने के कयास जोर पकड़ने लगे थे। नए प्रभारी ने अपने पहले दौरे में पूरे प्रदेश के कार्यकर्त्ताओं की बैठक में ही यह साफ संकेत दे दिए थे कि पार्टी सभी दिग्गज नेताओं के साथ तालमेल को बढ़ाते हुए ही आगे बढ़ेगी। 

यादव का इस बार का दौरा खास महत्वपूर्ण है। इस दफा उनका दौरा सिर्फ देहरादून या किसी मंडल विशेष तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने दोनों मंडलों में कार्यकर्त्ताओं के साथ बैठकें कीं। अपने दौरे की शुरुआत उन्होंने कुमाऊं मंडल में ऊधमसिंहनगर जिले से की थी। इसके बाद वह कुमाऊं की राजनीति के केंद्र हल्द्वानी भी पहुंचे थे। वहां भी उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कही। 

इसके बाद देहरादून में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों की बैठक में भी उन्होंने इसे मजबूती से दोहराया। माना जा रहा है कि सामूहिक नेतृत्व की बात कहकर उन्होंने हाईकमान के संदेश को सामने रखा। उनके इस रुख को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और उनके समर्थकों के लिए झटके के तौर पर देखा गया। पार्टी के भीतर एक मजबूत गुट हरीश रावत के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की पैरोकारी करता रहा है।

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