Unlock 5.0: पर्यटकों के लिए खुली योग-ध्यान और साधना का केंद्र चौरासी कुटि, जानें- इससे जुड़ी खास बातें
कोरोना के कारण पिछले छह माह से बंद विश्व विख्यात महर्षि महेश योगी द्वारा स्थापित चौरासी कुटी (शंकराचार्य नगर) को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। इस दौरान तीन पर्यटकों ने चौरासी कुटी घूमने के लिए निर्धारित शुल्क जमा करा कर अनुमति प्राप्त की।
ऋषिकेश, जेएनएन। ऋषिकेश, जेएनएन। राजाजी टाइगर रिजर्व की गौहरी रेंज में स्थित चौरासी कुटी को आखिर छह माह बाद पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। पहले दिन करीब आधा दर्जन पर्यटकों ने चौरासी कुटी का भ्रमण कर यहां नेचर ट्रैक बर्ड वॉचिंग का आनंद लिया।
कोरोना महामारी के चलते 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के साथ ही राज्य में शुरू हुए लॉकडाउन के साथ चौरासी कुटिया को भी पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया था। अनलॉक की प्रक्रिया में विभिन्न गतिविधियों को खोले जाने के साथ राजाजी टाइगर रिजर्व ने चौरासी कुटी को भी पर्यटकों के दर्शनार्थ खोलने की इजाजत मांगी थी। जिसके बाद जिलाधिकारी पौड़ी ने शुक्रवार से चौरासी कुटी को खोलने के आदेश दिये थे। शुक्रवार को विधिवत पूजा-अर्चना के बाद उप निदेशक राजाजी टाइगर रिजर्व पुनीत तोमर ने फीता काटकर चौरासी कुटी के गेट पर्यटकों के लिए खोले।
इस दौरान मौके पर मौजूद तीन पर्यटकों ने विधिवत निर्धारित शुल्क जमा कर चौरासी कुटी में घूमने की अनुमति प्राप्त की। चौरासी कुटी को खोलने के लिए वन विभाग ने पहले ही तैयारियां शुरू कर दी थी। यहां बनाए गए नेचर ट्रैक की सफाई और झाड़ी कटान का काम शुरू कर दिया गया है। पार्क प्रशासन को उम्मीद है कि चौरासी कुटी को खोले जाने के बाद यहां अच्छी संख्या में पर्यटक पहुंचेंगे। फिलहाल कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए चौरासी कुटी में कोविड-19 की गाइडलाइन के अनुसार ही पर्यटकों को चौरासी कुटी में जाने की अनुमति दी जा रही है। यहां प्रवेश द्वार पर ही पर्यटकों की थर्मल स्क्रीनिंग कर पूरा नाम व पता भी अंकित किया जा रहा है।
इसलिए खास है चौरासी कुटी
चौरासी कुटी में यूं तो कहने को कुछ खंडहर और गुंबदनुमा निर्माण ही देखने को मिलते हैं। मगर, वास्तव में यह योग, ध्यान और मेडिटेशन की समृद्धशाली विरासत को जीता-जागता नमूना है। भावातीत ध्यान योग के प्रणेता महर्षि महेश योगी ने साठ के दशक में यहां शंकराचार्य नगर की स्थापना की थी। उन्होंने यहां योग, ध्यान और साधना के लिए 84 गुंबदनुमा कुटियों का निर्माण कराया था, जो इतनी आकर्षक और भव्य थी कि यह शंकराचार्य नगर इन्हीं कुटियों के नाम से चौरासी कुटी के नाम से विख्यात हो गया।
सत्तर के दशक में यहां पहुंचे पश्चिम के मशहूर बीटल्स बैंड के चार सदस्यों जॉन लीनोन, पॉल नकार्टनी, जॉर्ज टेरिसन और रिंगो स्टार ने यहां रहते हुए योग, ध्यान के अलावा कई मशहूर धुनें रची थी। जिसके बाद चौरासी कुटी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना दी। वर्ष 1983 में राजाजी पार्क बनने के बाद यह विरासत पार्क में शामिल हो गई। कई लोग इसके बीटल्स आश्रम के नाम से भी जानते हैं।
राजाजी टाइगर रिजर्व के वन क्षेत्राधिकारी बृज बिहारी शर्मा ने बताया कि जिलाधिकारी पौडी के आदेश के बाद चौरासी कुटी को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। पहले दिन यहां करीब आधा दर्जन पर्यटकों ने चौरसी कुटी के दर्शन के अलावा नेचर ट्रेल व बर्ल्ड वॉचिंग का आनंद लिया। चौरासी कुटी क्षेत्र में सुरक्षा को देखते हुए दो दर्जन से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाने का प्रस्ताव भी शासन को भेजा गया है। इसके लिए चौरासी कुटी में कैंटीन संचालन के लिए भी टेंडर हो चुके हैं जल्द ही सभी व्यवस्थाएं पूरी कर ली जाएंगी।
गुरु को शिष्य ने दी थी एक लाख डॉलर की धनराशि दान
चौरासी कुटिया के निर्माण को 38 सालों के लिए लीज पर ली गई भूमि के लिए महर्षि की शिष्य अमेरिकन महिला डोरिक ड्यूक ने उन्हें एक लाख डॉलर की धनराशि दान में दी थी। यहां गुफाओं के आकार में बनी चौरासी कुटियों के बीच में ध्यान केंद्र बना हुआ है। साधकों के रहने के लिए केंद्र में 135 गुंबदनुमा कुटिया भी बनी हुई हैं। अथितियों के लिए तीन मंजिला अथिति गृह, एक बड़ा सभागार, महर्षि ध्यान विद्यापीठ और महर्षि का आवास बना हुआ है। 84 कुटियों और अन्य आवासों को गंगा नदी के छोटे पत्थरों से सजाया गया है और गुफाओं की दीवारों पर इन्ही पत्थरों से 84 योग आसनों की मुद्राएं अंकित की गई हैं।
इन्होंने दिलाई नई पचान
चौरासी कुटिया महर्षि महेश योगी और भावातीत ध्यान के कारण ही नहीं, मशहूर इंग्लिश रॉक बैंड द बीटल्स के कारण भी चर्चाओं में रही। इंग्लैंड के लिवरपूल के 4 युवकों जॉन लेनन, पॉल मैक-कार्टने, रिंगो स्ट्रार्र और जॉर्ज हैरिसन ने वर्ष 1960 में इस बैंड की स्थापना की थी।
16 फरवरी 1968 को ये युवक अपनी पत्नियों और महिला मित्र के साथ पहली बार ऋषिकेश महर्षि महेश योगी के ध्यान केंद्र में आए थे। नशे के आदी ये चारों युवक नशे के जरिये शांति तलाशने यहां आए थे, लेकिन यहां महर्षि के संपर्क में आने के बाद योग और अध्यात्म के अनुभव ने उनकी जिंदगी और जीने का नजरिया ही बदल डाला।
फेब फोर के नाम से हुए मशहूर
करीब 45 दिन महर्षि के आश्रम में रहे बीटल्स से जुड़े ये चारों युवा 'फेब फोर' के नाम से मशहूर हुए। जिस नशे के जरिये फेब फोर शांति की खोज कर रहे थे, वही अब नशे की दुनिया छोड़ योग और अध्यात्म की दुनिया में इस कदर लीन हो गए कि यहां के शांत वातावरण में उन्होंने 'ऊं शांति' का जाप करते हुए 48 गीतों की रचना कर डाली। इन गीतों ने व्हाइट एलबम और ऐबी रोड नामक पाश्चात्य एलबम में जगह पाकर दुनियाभर में धूम मचाई। 80 के दशक में चौरासी कुटिया के राजाजी नेशनल पार्क के अधीन आने के कारण महर्षि महेश योगी यहां से चले गए।
दुनिया को अनुभवातीत ध्यान से जोड़ा
पश्चिम में जब हिप्पी संस्कृति का बोलबाला था, तब दुनियाभर में लाखों लोग महर्षि महेश योगी के दीवाने हो रहे थे। वो महर्षि महेश योगी ही थे, जिन्हें योग और ध्यान को दुनिया के कई देशों में पहुंचाने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने ट्रान्सेंडैंटल मेडिटेशन (अनुभवातीत ध्यान) के जरिये दुनियाभर में अपने लाखों अनुयायी बनाए थे।