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सरकारी विश्वविद्यालयों के नए प्रस्तावित अंब्रेला एक्ट में राज्यपाल को ज्यादा अधिकार

सरकारी विश्वविद्यालयों के नए प्रस्तावित अंब्रेला एक्ट में राज्यपाल यानी कुलाधिपति के अधिकारों में इजाफा होगा। कुलपतियों की नियुक्तियों में सरकार की सहमति जरूरी नहीं होगी।

By Edited By: Published: Wed, 15 Jul 2020 10:07 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jul 2020 09:19 AM (IST)
सरकारी विश्वविद्यालयों के नए प्रस्तावित अंब्रेला एक्ट में राज्यपाल को ज्यादा अधिकार
सरकारी विश्वविद्यालयों के नए प्रस्तावित अंब्रेला एक्ट में राज्यपाल को ज्यादा अधिकार

देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश के सरकारी विश्वविद्यालयों के नए प्रस्तावित अंब्रेला एक्ट में राज्यपाल यानी कुलाधिपति के अधिकारों में इजाफा होगा। कुलपतियों की नियुक्तियों में सरकार की सहमति जरूरी नहीं होगी। इस मामले में सरकार सिर्फ अपने सुझाव रखेगी। 

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प्रदेश के सरकारी विश्वविद्यालयों को तकरीबन 20 वर्ष बाद अपना अंब्रेला एक्ट मिल सकेगा। एक्ट के मसौदे को अंतिम रूप देने को गठित मंत्रिमंडलीय उपसमिति ने अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे दिया है। काबीना मंत्री डॉ हरक सिंह रावत की अध्यक्षता में गठित मंत्रिमंडलीय उपसमिति के सदस्यों में काबीना मंत्री सुबोध उनियाल और उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ धन सिंह रावत शामिल हैं। इस रिपोर्ट को अगली कैबिनेट में रखा जाएगा। सबकुछ ठीकठाक रहा तो नया अंब्रेला एक्ट जल्द अस्तित्व में आएगा। 

कुलपति चयन को पैनल तैयार करने को सर्च कमेटी के सदस्यों की संख्या तीन से बढ़ाकर पांच करने की सिफारिश की गई है। अभी तीन सदस्यों में एक प्रतिनिधि राजभवन, एक यूजीसी या समकक्ष प्रतिष्ठित संस्थाओं से रखा जाता है। इस कमेटी में सदस्य संयोजक और सरकार के प्रतिनिधि के रूप में उच्च शिक्षा प्रमुख सचिव व सचिव होते हैं। कमेटी में अब विश्वविद्यालय की विशेषज्ञता वाले क्षेत्रों या संबंधित नियामक संस्थाओं से भी एक प्रतिनिधि के साथ ही सरकार का भी एक अन्य प्रतिनिधि नामित किया जाएगा। 

सूत्रों के मुताबिक कुलपति के लिए पैनल तैयार करने में समिति के सदस्यों में मतभेद की स्थिति में बहुमत से फैसला हो सकेगा। साथ ही अतिरिक्त सदस्यों की वजह से कुलपति की शैक्षिक योग्यता समेत पात्रता से जुड़े बिंदुओं पर नजर रखी जा सकेगी। कुलपति की नियुक्ति तीन साल के लिए होगी। साथ ही इस पद पर 65 वर्ष से 70 वर्ष आयु के शिक्षाविदों की नियुक्ति हो सकेगी। समिति ने अधिकतम आयु 70 वर्ष करने की सिफारिश की है। कुलपति का कार्यकाल छह-छह माह के लिए दो बार बढ़ाया जा सकेगा। 

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कुलपति का पद रिक्त होने पर विश्वविद्यालय के सीनियर प्रोफेसर अथवा संबद्ध कॉलेज के सीनियर प्रोफेसर को बतौर कार्यवाहक पदभार सौंपने की सिफारिश उपसमिति ने की है। उपसमिति ने कुलपति, कुलसचिव, सहायक कुलसचिव, वित्त अधिकारी समेत तमाम अहम पदों पर नियुक्तियों के लिए पात्रता शर्तों में एकरूपता को लेकर सिफारिश की है। इससे उक्त पदों पर नियुक्ति की अलग-अलग व्यवस्था समाप्त होने में मदद मिलेगी। संपर्क करने पर उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ धन सिंह रावत ने कहा कि नए एक्ट के प्रस्ताव पर कैबिनेट में निर्णय लिया जाएगा। 

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