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कोरोना काल के बाद से शुरू नहीं हो पाई उड़ान योजना, केंद्र सरकार से सहयोग से हुई थी शुरू

केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई उड़ान योजना शुरू नहीं हो पाई है। स्थिति यह है कि उड़ान सेवा के तहत शुरू की गई देहरादून से पिथौरागढ़ हवाई सेवा और देहरादून से टिहरी श्रीनगर तथा गौचर हेली सेवा कुछ दिनों तक चलने के बाद अब तक बंद पड़ी हुई है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Fri, 09 Apr 2021 09:45 AM (IST)Updated: Fri, 09 Apr 2021 09:45 AM (IST)
कोरोना काल के बाद से शुरू नहीं हो पाई उड़ान योजना, केंद्र सरकार से सहयोग से हुई थी शुरू
कोरोना काल के बाद से शुरू नहीं हो पाई उड़ान योजना।

विकास गुसाईं, देहरादून। उत्तराखंड में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई उड़ान योजना कोरोना काल के बाद से शुरू नहीं हो पाई है। स्थिति यह है कि उड़ान सेवा के तहत शुरू की गई देहरादून से पिथौरागढ़ हवाई सेवा और देहरादून से टिहरी, श्रीनगर तथा गौचर हेली सेवा कुछ दिनों तक चलने के बाद अब तक बंद पड़ी हुई है। दरअसल, प्रदेश में केंद्र सरकार के सहयोग से उड़ान योजना शुरू की गई। इस योजना के तहत प्रदेश में दो फिक्सड विंग हवाई सेवा और 13 स्थानों से हेली सेवाओं का संचालन किया जाना है। इसमें देहरादून से पंतनगर और देहरादून से पिथौरागढ़ की हवाई सेवा संचालित होनी थी, जो बीते एक साल से संचालित नहीं हो रही है। हेली सेवाओं में सरकार ने वर्ष 2019 के अंत में नई टिहरी, चिन्यालीसौड़, गौचर, श्रीनगर व देहरादून को शुरू किया। ये हवाई सेवाएं भी कोरोना काल के बाद से ही बंद पड़ी हुई हैं।

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नई सरकार के रुख पर नजर

पिछली त्रिवेंद्र सरकार ने जीरो टालरेंस की नीति अपनाते हुए भ्रष्ट व नाकारा कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने की योजना बनाई। इसके लिए बाकायदा शासनादेश जारी किया गया। विभागाध्यक्षों को जिम्मेदारी दी गई कि 50 साल से अधिक उम्र के ऐेसे कर्मचारियों की सूची तैयार कर शासन को सौंपी जाए, ताकि इन कर्मचारियों की कुंडली खंगाली जा सके। जिन पर गंभीर आरोप हों और इतिहास भी ठीक न हो, उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाए। सरकार का आदेश मिलते ही विभागों में सूचियां को बनाने का काम शुरू हुआ लेकिन जाने क्यों कुछ दिनों बाद ही इससे नजरें फेर ली गईं। इससे नाकारा कर्मचारियों ने राहत की सांस ली। शासन ने रिमाइंडर भेजा तो कागजी प्रक्रिया फिर शुरू हुई। अब प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन होने के बाद से पूरी प्रक्रिया लंबित पड़ी हुई है। अब शासन व कर्मचारी, दोनों की नजरें ही नए सरकार के रुख पर टिकी हुई है।

योग से कब मिलेगा सरकारी रोजगार

उत्तराखंड योग प्रदेश के रूप में अब तेजी से पहचान बना रहा है। हरिद्वार, ऋषिकेश समेत आसपास के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में देश-विदेश से साधक योग सीखने आते हैं। सरकार ने योग को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं। इनमें से एक योजना योग प्रशिक्षितों को रोजगार देने की है। वर्ष 2016 में तत्कालीन प्रदेश सरकार ने 21 जून, यानी विश्व योग दिवस के दिन 20 हजार योग प्रशिक्षितों को रोजगार देने का एलान किया। इसके लिए योजना भी बनाने की बात कही गई। स्कूलों में योग को पाठ्यक्रम के रूप में शामिल करने पर सहमति बनी। सरकार के इस कदम से योग प्रशिक्षितों को इस क्षेत्र में रोजगार मिलने को लेकर आस भी जगी। अभी स्थिति यह है कि प्रदेश में योग प्रशिक्षितों की संख्या 25 हजार से अधिक पहुंच चुकी है, लेकिन पांच साल पहले की गई घोषणा धरातल पर उतर ही नहीं पाई है।

घोषणा तक सीमित विभागों का एकीकरण

प्रदेश सरकार ने केंद्र की तर्ज पर खेल एवं युवा कल्याण विभाग का एकीकरण का निर्णय लिया। कहा गया कि इससे युवाओं के कल्याण के कार्यों में तेजी लाई जा सकेगी। खिलाड़ियों को भी इसका लाभ मिलेगा। इसके लिए वर्ष 2018 में कवायद शुरू की गई। कैबिनेट से इसका प्रस्ताव भी पारित कराया गया। शासन के अधिकारियों ने तो अधिकारिक आदेश से पहले ही दोनों विभागों के अधिकारियों में कार्यविभाजन भी कर डाला। इसे लेकर कर्मचारियों में विरोध शुरू हो गया। ऐसे में शासन द्वारा दोनों विभागों के कार्मिकों से आपत्तियां व सुझाव आमंत्रित किए गए। इस पर अधिकांश कर्मचारियों ने एकीकरण को लेकर अपना तीव्र विरोध दर्ज कराया है। कहा गया कि दोनों विभागों की कार्यशैली बिल्कुल अलग है। खेल अलग विधा है और युवा कल्याण विभाग के अधिकारियों को खेल का अनुभव नहीं है। बढ़ते विरोध को देखते हुए फिलहाल सरकार ने इससे कदम पीछे खींचे हुए हैं।

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