Move to Jagran APP

उत्‍तराखंड में हाथियों के पारंपरिक गलियारे अभी तक हैं बंद

उत्‍तराखंड में मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। इसका एक कारण हाथियों के पारंपरिक गलियारों का अभी तक बंद होना है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 03 Jul 2020 04:50 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2020 04:50 PM (IST)
उत्‍तराखंड में हाथियों के पारंपरिक गलियारे अभी तक हैं बंद
उत्‍तराखंड में हाथियों के पारंपरिक गलियारे अभी तक हैं बंद

देहरादून, विकास गुसाईं। प्रदेश में मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। इसका एक कारण हाथियों के पारंपरिक गलियारों का अभी तक बंद होना है। इन गलियारों में कहीं मानव बस्तियों ने बाधाएं खड़ी की हैं तो कहीं सड़क व रेलवे लाइनों ने। परिणामस्वरूप गजराज के स्वच्छंद विचरण पर असर तो पड़ा ही, मानव और हाथी संघर्ष में भी इजाफा हुआ। वर्तमान में हाथियों की आवाजाही के 11 परंपरागत गलियारे हैं, मगर बदली परिस्थितियों में तमाम ऐसे स्थल सामने आए हैं, जहां से वे निरंतर आवागमन कर रहे हैं। इस दौरान उनकी मनुष्य से भिड़ंत भी हो रही है। जब भी हाथी व मानव के बीच संघर्ष की बात सामने आती है तो हाथियों के आवागमन के गलियारों को लेकर फिर से मंथन शुरू हो जाता है। राज्य गठन के बाद कई योजनाएं कागजों पर भी उतारी गईं, लेकिन ये आज तक धरातल पर मूर्त रूप नहीं ले पाई हैं।

loksabha election banner

शहीदों के नाम पर स्कूल कॉलेज

उत्तराखंड को वीरों की धरती कहा जाता है। यहां लगभग हर परिवार से एक व्यक्ति सेना में है। सरहदों की सुरक्षा का मामला हो या फिर आंतरिक सुरक्षा का, प्रदेश के वीरों ने हमेशा अपना अपना सर्वस्व दांव पर लगाया है। प्रदेश सरकार ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों को सम्मान देने के लिए इनके नाम पर सड़कों व स्कूल कॉलेजों का नाम रखने का निर्णय लिया। इस पर शुरुआती दौर में तेजी से अमल हुआ। बाकायदा लोक निर्माण विभाग की ओर से 91 सड़कों का नाम इन शहीदों के नाम पर रखने का निर्णय लिया गया। सभी जिलाधिकारियों को जिलों में सड़क व स्कूल कॉलेजों के नाम शहीदों के नाम पर रखने के निर्देश दिए गए। समय गुजरा, अब स्थिति यह है कि गाहे-बगाहे ही सड़कों के नाम शहीदों के नाम पर रखे जा रहे हैं, जबकि शहादत देने वालों की सूची खासी लंबी चौड़ी है।

कब शुरू होगी स्मार्ट मीटर योजना

ऊर्जा प्रदेश में बिजली की कमी को देखते हुए सरकार ने अहम निर्णय लिया। लाइन लॉस के कारण बिजली की बर्बादी के मद्देनजर स्मार्ट मीटर लगाने का फैसला हुआ। दिखाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कुछ स्थानों पर ये मीटर लगाए गए। मीटर की खूबी यह थी कि पता चल सकता कि कितनी बिजली की खपत हुई और बिलिंग कितनी बिजली की हुई। निश्चित अवधि में बिल जमा न होने और मीटर से छेड़छाड़ होने पर बिजली आपूर्ति स्वत: बंद हो जाएगी। कनेक्शन की क्षमता से अधिक बिजली खर्च होने पर भी आपूर्ति बंद हो जाएगी। बिजली की कमी होने पर कंट्रोल रूम से ही उपभोक्ता का लोड कम किया जा सकता है। इस मीटर का इस्तेमाल प्रीपेड और पोस्टपेड दोनों तरह से किया जा सकेगा। कुछ स्थानों पर मीटर ट्रायल के तौर पर लगाने पर काम हुआ, लेकिन योजना पूरी तरह धरातल पर नहीं उतर पाई है।

यह भी पढ़ें: राजाजी टाइगर रिजर्व में फिर से सुनाई देगी सोन कुत्ते की 'सीटी'

अच्छी योजना, कोरोना की चपेट में

प्रदेश में युवाओं को रोजगार देने के लिए प्रदेश सरकार ने वीर चंद्रसिंह गढ़वाली योजना के अंतर्गत बसों को खरीदने की छूट दी। इस योजना के तहत इलेक्ट्रिक व अन्य महंगी बस खरीदने वालों को सरकार ने 50 फीसद तक की सब्सिडी देने का निर्णय लिया। यहां तक कहा गया कि इलेक्ट्रिक बसों की खरीद करने पर ये बसें परिवहन निगम में संचालन को लगाई जाएंगी। उम्मीद जताई गई कि इसमें काफी युवा आगे आएंगे। इसी वर्ष यह योजना फरवरी में धरातल पर उतारी गई। मार्च में कोरोना के कारण पूरे देश में लॉकडाउन हो गया। अब चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन खोला जा रहा है लेकिन इस समय यात्री वाहनों का संचालन न के बराबर हो रहा है। परिवहन कारोबार बुरी तरह प्रभावित है। हालात ये हैं कि इनके परमिट लगातार सरेंडर हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में यह योजना युवाओं को आकर्षित करने में नाकाम साबित हो रही है।

यह भी पढ़ें: Uttarakhand Wildlife News: उत्तराखंड में हाथियों के बढ़े कुनबे के साथ बढ़ी ये चुनौतियां भी, जानिए


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.