अब इस योजना से लगेगा पता, कितनी निर्मल हैं देवभूमि की नदियां
उत्तराखंड में स्वीकृत तीन वाटर टेस्टिंग लैब के लिए धनराशि स्वीकृत की गर्इ है। इनके निर्माण के बाद नदियां कितनी निर्मल है इस बात का सही से पता लग पाएगा।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: देवभूमि उत्तराखंड में नदियां कितनी स्वच्छ और निर्मल हैं, अब इसकी सही तस्वीर सामने आ सकेगी। इसके लिए नमामि गंगे परियोजना के तहत राज्य में स्वीकृत तीन वाटर टेस्टिंग लैब को 14.40 करोड़ की राशि मंजूर कर दी गई है। यह लैब देहरादून, रुड़की व काशीपुर में स्थापित होंगी। इनके अस्तित्व में आने पर राज्य में इन लैब की संख्या बढ़कर पांच हो जाएगी। जाहिर है कि इससे उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अब नदी-नालों के साथ ही औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले पानी के नमूनों की अधिक से अधिक संख्या में जांच कर सकेगा।
उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के पास वर्तमान में पानी के नमूनों की जांच के लिए देहरादून व हल्द्वानी में ही टेस्टिंग लैब हैं। जाहिर है कि ऐसे में इन दोनों पर पानी के नमूनों की जांच का जिम्मा है। इस सबको देखते हुए लंबे समय से यहां वाटर टेस्टिंग लैब की संख्या बढ़ाए जाने की मांग उठ रही थी। इस कड़ी में नमामि गंगे परियोजना में तीन वाटर टेस्टिंग लैब के लिए प्रस्ताव भेजा गया था, जिसे मंजूरी मिल गई है।
पीसीबी के मुख्य पर्यावरण अधिकारी एसएस पाल के मुताबिक इन लैब के लिए नमामि गंगे के तहत 14.40 करोड़ की राशि मंजूर हो गई हैं। उन्होंने बताया कि इन लैब के लिए देहरादून व रुड़की में जगह चिह्नित कर ली गई है। देहरादून में आइटी पार्क के पास, रुड़की में सिंचाई विभाग कार्यालय परिसर में यह स्थापित होंगी। अलबत्ता, काशीपुर में इसके लिए जगह तलाशी जा रही है। उन्होंने कहा कि इन लैब के अस्तित्व में आने के बाद राज्य में नदी-नालों के अलावा औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाली पानी की निरंतर जांच की जाएगी। इससे पता चल सकेगा कि वहां पानी कितना स्वच्छ है। जहां कमियां होंगी, वहां कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
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