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जरा संभल कर, पवित्र कैलास भूक्षेत्र में 518 स्थानों पर भूस्खलन का खतरा

31 हजार 252 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर फैले कैलास भूक्षेत्र में भारत के हिस्से वाले 7120 वर्ग किलोमीटर भाग पर 518 भूस्खलन क्षेत्र चिह्नित किए गए हैं।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 16 Jan 2019 09:25 AM (IST)Updated: Wed, 16 Jan 2019 07:48 PM (IST)
जरा संभल कर, पवित्र कैलास भूक्षेत्र में 518 स्थानों पर भूस्खलन का खतरा
जरा संभल कर, पवित्र कैलास भूक्षेत्र में 518 स्थानों पर भूस्खलन का खतरा

देहरादून, सुमन सेमवाल। जिस पवित्र कैलास भूक्षेत्र को विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने के लिए भारत समेत चीन व नेपाल अपने-अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं, उसके संरक्षण की दिशा में बड़ी चुनौतियां सामने आई हैं। कुल 31 हजार 252 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर फैले इस भूक्षेत्र में भारत के हिस्से वाले 7120 वर्ग किलोमीटर भाग पर 518 भूस्खलन क्षेत्र चिह्नित किए गए हैं। इसके अलावा यह भी पता चला है कि यहां वन क्षेत्र भी घट रहे हैं। राज्य में इसरो की नोडल एजेंसी के रूप में काम कर रहे उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) की सेटेलाइट मैपिंग यह बात सामने आई।

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यूसैक की सेटेलाइट मैपिंग के अनुसार पवित्र भूक्षेत्र में बसे 36 गांव सीधे तौर पर भूस्खलन से प्रभावित हैं। 196 गांव भूस्खलन के 200 मीटर के दायरे में और 227 गांव 500 मीटर के दायरे में आ रहे हैं। ज्यादातर गांव सीमांत पिथौरागढ़ जिले में मुन्स्यारी व धारचूला ब्लॉक के हैं। 

वहीं, इस उच्च हिमालयी क्षेत्र में जैवविविधता के लिहाज से खड़ी हो रही चुनौती की करें तो 83 वर्ग किलोमीटर भाग वनाग्नि की चपेट में रहता है, जबकि 109 वर्ग किलोमीटर हिस्से पर वनस्पतियों की शत्रु प्रजाति लैंटाना व कालाबांसा से प्रभावित है। इस तरह कुल मिलाकर 258.72 वर्ग किलोमीटर भाग किसी न किसी रूप से बेहद संवेदनशील माना गया है।

35 साल में 7.5 फीसद घटा वन क्षेत्र

सेटेलाइट अध्ययन में पता चला कि वर्ष 1976 में 2388 वर्ग किलोमीटर (33.5 फीसद) भाग पर वन क्षेत्र थे, जो कि वर्ष 1999 में घटकर 2153.4 वर्ग किलोमीटर (30.2 फीसद) पर आ गए। वर्ष 2011 के सेटेलाइट चित्रों के मुताबिक यह क्षेत्र और भी घटकर 1880 वर्ग किलोमीटर (26 फीसद) रह गए हैं। 

46.5 वर्ग किलोमीटर घटा कृषि क्षेत्र

पवित्र कैलास भूक्षेत्र में 2000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर कृषि क्षेत्रों में बदलाव की बात करें तो वर्ष 1976 से लेकर 2011 के बीच 46.5 वर्ग किलोमीटर की कमी आई है। 1976 में कृषि क्षेत्र 713 वर्ग किलोमीटर पर पसरा था, जो 2011 में 666.5 वर्ग किलोमीटर तक सिमट गया है। 

चीन ने दिया धरोहर का दर्जा, अब भारत की बारी

पवित्र कैलास भूक्षेत्र में यूनेस्को संरक्षित विश्व धरोहर (सांस्कृतिक व प्राकृतिक) का दर्जा देने के लिए भारत, चीन व नेपाल विशेष प्रयास कर रहे हैं। नेपाल की अंतरराष्ट्रीय संस्था ईसीमोड इसमें विशेष सहयोग कर रही है। चीन ने एक कदम बढ़ाते हुए अपने हिस्से के क्षेत्र को राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर दिया है। 

अब भारत ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाए हैं और 17 जनवरी को संस्कृति मंत्रालय ने इस संबंध में बैठक बुलाकर वस्तुस्थिति तलब की है। भारतीय वन्यजीव संस्थान के निदेशक डॉ. वीबी माथुर ने बताया कि केंद्र व राज्य के आधा दर्जन से अधिक संस्थान इसके लिए प्रयासरत हैं और अब तक जो भी अध्ययन किए गए हैं, उन्हें संस्कृति मंत्रालय क समक्ष रखा जाएगा। ताकि विश्व धरोहर के लिए भारत की अपने क्षेत्र को राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर सके।

इसलिए विश्व धरोहर का हकदार है कैलाश क्षेत्र

पवित्र कैलास भूक्षेत्र अपनी प्राकृतिक व सांस्कृतिक विविधता दोनों के लिहाज से ही बेहद अहमियत रखता है। विश्वप्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर यात्रा इसका प्रमुख और साझा आकर्षण है।

प्राकृतिक व सांस्कृतिक विरासत पर एक नजर (भारतीय क्षेत्र)

-कैलास भूक्षेत्र में 140 छोटे-बड़े प्राकृतिक पवित्र स्थल हैं।

-यहां 15 हिमशिखर, 20 से अधिक प्राचीन मंदिर, 13 पर्वत चोटियां और छह विभिन्न नदियों के संगम हैं।

-क्षेत्र में 16 प्रकार के वन, 2389 पुष्पीय पौधे, 13 नग्नबीजी पौधे, 193 पक्षी प्रजातियां, 09 उभयचर, 19 सरीसृप, 90 मछली प्रजातियां व 38 स्तनधारी जीवों के प्राकृतिक वासस्थल हैं।

-30 छोटे-बड़े बुग्याल हैं, जिनमें 90 हजार से अधिक भेड़-बकरियां हर साल चुगान करती हैं। कुछ बुग्यालों का तेजी से विघटन हो रहा है, जिन्हें संरक्षण की जरूरत है।

-पवित्र भूक्षेत्र में काली, धौली, गोरी, रामगंगा व सरयू जैसी नदियां हैं, करीब 10 छोटी झील व 380 से अधिक हिमनद हैं।

-कृषि विविधता की बात करें तो अनाज की आठ, बाजरा की छह,दलहन की 15, तिलहन की 11, सब्जियों की 28, मसालों की 10 व फलों की 19 किस्मों समेत कुल 97 किस्में पायी जाती हैं।  

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