पिरुल से तैयार किए जाएंगे कपड़े
सरकार की कवायद परवान चढ़ी तो निकट भविष्य में प्रदेश में पिरुल (चीड़ की पत्तियों) से कपड़े तैयार किए जा सकेंगे।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: सरकार की कवायद परवान चढ़ी तो निकट भविष्य में प्रदेश में पिरुल (चीड़ की पत्तियों) से कपड़े तैयार किए जा सकेंगे। नार्दन इंडिया टेक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन (निट्रा) के सहयोग से यह संभव हो सकेगा। प्रदेश सरकार ने निट्रा को प्रदेश के प्राकृतिक रेशों पर शोध करने के लिए अल्मोड़ा में शोध संस्थान खोलने को एक एकड़ जमीन दी है। प्रदेश में यह संस्थान कैसे कार्य करेगा, इस संबंध में मंगलवार को नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की अध्यक्षता में बैठक होगी।
उत्तराखंड में प्रतिवर्ष 23 लाख मीट्रिक टन पिरुल होता है। यह जंगल की आग का एक बड़ा कारण है। पिरुल के उपयोग को लेकर तमाम योजनाएं बनाई जा रही हैं। इसमें पिरुल से ऊर्जा बनाने की योजना भी शामिल है। अब पिरुल से रेशा तैयार करने की दिशा में शोध करने की तैयारी चल रही है। दरअसल, प्रदेश सरकार ने निट्रा को प्रदेश के प्राकृतिक रेशों पर शोध करने के उद्देश्य से शोध संस्थान खोलने के लिए भूमि मुहैया कराई है। इस शोध संस्थान में ऊन के उत्पादन के साथ ही भीमल, भांग, कंडाली और रामबांस से अच्छा रेशा बनाने का काम किया जाएगा। हालांकि, विशेष फोकस पिरुल से रेशा बनाने पर रहेगा।
निट्रा भारत सरकार का उपक्रम है। निट्रा अल्मोड़ा में किस तरह से काम करेगा, इस संबंध में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने मंगलवार को नई दिल्ली में एक बैठक बुलाई है। बैठक में उत्तराखंड की ओर से प्रमुख सचिव उद्योग मनीषा पंवार, सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर और निदेशक उद्योग एससी नौटियाल शामिल होंगे।