जिला सहकारी बैंक की प्रबंधक ने लिखा पत्र, किन कार्मिकों को भर्ती पर आपत्ति; नाम-पद्नाम बताएं
सहकारी बैंकों में प्रस्तावित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई जा चुकी है। मुख्यमंत्री ने यह रोक भर्ती प्रक्रिया में धांधली की शिकायतें मिलने पर लगाई। हालांकि अधिकारी यहीं नहीं रुके और तृतीय श्रेणी की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी।
जागरण संवाददाता, देहरादून। सहकारी बैंकों में प्रस्तावित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई जा चुकी है। मुख्यमंत्री ने यह रोक भर्ती प्रक्रिया में धांधली की शिकायतें मिलने पर लगाई। हालांकि, अधिकारी यहीं नहीं रुके और तृतीय श्रेणी की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी। इस पर भी सवाल उठाए गए तो अधिकारियों ने निर्णय की समीक्षा करने की जगह कर्मचारियों पर दबाव बनाने की रणनीति अपना ली। जिला सहकारी बैंक देहरादून की महाप्रबंधक की तरफ से सभी कार्मिकों को पत्र लिखकर पूछा है कि जिनको भी भर्ती पर आपत्ति है, वह अपना, नाम व पद्नाम बताएं।
तृतीय श्रेणी के कार्मिकों की संविदा के आधार पर नई नियुक्त को लेकर को-ओपरेटिव बैंक इंपलाइज यूनियन (उत्तराखंड), देहरादून ने आपत्ति जताई है। यूनियन के अध्यक्ष वैभव सकलानी ने जिला सहकारी बैंक देहरादून सचिव/महाप्रबंधक को पत्र लिखकर कहा है कि तृतीय श्रेणी के पदों की भर्ती विभागीय चयन प्रक्रिया के माध्यम से होनी चाहिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि संविदा आधारित प्रक्रिया में चहेतों को चिपकाया जा रहा है। कई अभ्यर्थी उत्तर प्रदेश मूल के भी हैं। इस तरह की कार्रवाई से बैंक की छवि भी निरंतर धूमिल हो रही है। तमाम कार्मिक भी भर्ती के विरोध में खड़े होने लगे और भर्ती प्रतियोगिता के माध्यम से चयनित होने वाले अभ्यर्थियों के अधिकारों पर भी कुठाराघात होने का अंदेशा बढ़ गया।
इस विरोध के बाद अधिकारियों ने सभी कार्मिकों के लिए जो पत्र जारी किया, उससे भी कार्मिक सकते में हैं, क्योंकि व्हिसल ब्लोअर पॉलिसी के तहत भी गलत प्रक्रिया या भ्रष्टाचार का विरोध करने वाले कार्मिकों/व्यक्तियों का नाम गोपनीय रखा जाता है। ताकि उन पर अनावश्यक दबाव न बनाया जा सके। न ही उन्हें किसी तरह का नुकसान पहुंचाया जा सके। इस मामले में सहकारिता के निबंधक बीएल मिश्र का कहना है कि उन्हें इस तरह के किसी पत्र की जानकारी नहीं है। न ही वह यह जानते हैं कि भर्ती प्रक्रिया का विरोध किया जा रहा है। यदि उन्हें शिकायत मिलती है तो इस बाबत आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
यूनियन पूरी करे कार्मिकों की कमी
महाप्रबंधक के पत्र में अजीब ढंग से इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि यदि भर्ती के विरोध में अधिक नाम मिलते हैं तो कार्मिकों की कमी पूरी करने की जिम्मेदारी कर्मचारी यूनियन की होगी। सीधा मतलब है कि प्रबंधन के पास भर्ती प्रक्रिया का एकमात्र यही विकल्प बचा है। या तो वह विरोध को दरकिनार कर मनमुताबिक भर्ती करे या भर्ती निरस्त होने का ठीकरा यूनियन के सिर डाल दे। वहीं, सचिव सहकारिता आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि इस मामले की जांच कर आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश निबंधक को दिए जाएंगे
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