तंत्र के गण: बच्चों को जीवन के आदर्श सिखा रहे यह शिक्षक, अपने वेतन का 10 प्रतिशत करते स्कूल पर खर्च
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद में एक शिक्षक ऐसे हैं जो बच्चों को जीवन के आदर्श सिखा रहे हैं। इतना ही नहीं वह अपने वेतन का 10 प्रतिशत स्कूल पर भी खर्च करते हैं। इससे वह बच्चों को पुस्तकें पठन पाठन व लेखन सामग्री उपलब्ध कराते हैं।
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग। रुद्रप्रयाग जिले के सीमांत गांव कोटतल्ला में स्थित सरकारी विद्यालय पूरे प्रदेश में सरकारी विद्यालयों के लिए एक नजीर है। प्रदेश के अनेक सरकारी प्राथमिक विद्यालय जहां छात्र संख्या कम होने से बंद हो रहे हैं, वहीं इस विद्यालय में छात्र संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। वर्तमान में 35 छात्र यहां अध्ययनरत हैं। कोरोना काल में जब शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह पटरी से उतर गई थी, वहीं स्कूल में तैनात शिक्षक सतेंद्र ने कोरोना नियमों का पालन करते हुए गरीब छात्रों को पुस्तकें, पठन पाठन व लेखन सामग्री घर जाकर निश्शुल्क वितरित की।
जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग से 40 किमी दूरी पर सीमांत क्षेत्र में कोटतल्ला गांव धनपुर पट्टी के जसोली क्षेत्र में स्थित है। बावजूद विद्यालय में छात्रों के बैठने से लेकर पढ़ने समेत सभी आधुनिक व्यवस्था उपलब्ध हैं। अपने वेतन की 10 प्रतिशत धनराशि शिक्षक सतेंद्र विद्यालय में व्यवस्था जुटाने में खर्च करते हैं।
विद्यालय में प्रत्येक छात्र के लिए अलग से कुर्सी व मेज उपलब्ध है। विद्यालय में प्रत्येक सप्ताह में एक दिन कंप्यूटर शिक्षा बच्चों को दी जाती है। अंग्रेजी बोलना भी बच्चों को सिखाया जाता है। विद्यालय के कक्षा तीन से पांच में पढ़ने वाले छात्र अंग्रेजी में बात करते हैं। यह सब शिक्षक सतेंद्र भंडारी के प्रयास से ही संभव हुआ है।
दूसरी ओर, कोरोना संक्रमण के दौरान भी छात्रों को आनलाइन पढ़ाई के लिए प्रेरित किया। जनपद में कोरोना की पहली व दूसरी लहर के समय स्कूल बंद हो गए थे। इसके बाद आनलाइन पढ़ाई शुरू हुई। वहीं कोट गांव के प्राथमिक विद्यालय में तैनात शिक्षक सतेंद्र ने कोरोनाकाल में भी छात्रों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के प्रयास किए। आनलाइन पढ़ाई कराने के बाद बच्चों के स्वजन से संपर्क कर उनकी समस्याएं भी हल करते रहे। कंप्यूटर शिक्षा के इच्छुक बच्चों को कोरोना प्रोटोकाल के तहत उनके स्वजन की संस्तुति पर विद्यालय में शिक्षा दी। इतना ही नहीं विद्यालय में पर्यावरण के प्रति बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए समय-समय पर पौधारोपण भी किया जाता है।
शिक्षक सतेंद्र भंडारी बताते हैं कि छात्र छात्राओं को विद्यालय में जाकर आनलाइन काम देना, वीडियो बनाकर बच्चों को समझाने का प्रयास किया गया, जिसके परिणाम काफी सुखद रहे। बच्चों को जो गृहकार्य दिया गया उसका निरीक्षण करने वह बच्चों के स्वजन की सहमति पर उनके घरों में गए। साथ ही जिन बच्चों के पास शिक्षण सामग्री नहीं थी उन्हें वह समाग्री उपलब्ध करवाई। जिससे बच्चों और अभिभावकों में शिक्षा के प्रति जागरूकता पैदा हुई। विद्यालय में मछली के तालाब में दाना तथा 150 गमलों की देखभाल की व्यवस्था स्वयं की। बच्चों द्वारा लगाए गए पौधों में लगे फल व सब्जी को बच्चों में वितरित किया गया।
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