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उत्तराखंड में जंगल की आग से फौरी राहत, 17 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित

उत्तराखंड में बुधवार को जंगल में आग लगने की घटनाओं से फौरी राहत रही। पूरे दिन में प्रदेश में आग की तकरीबन डेढ़ दर्जन घटनाएं ही सामने आईं। इसमें 17 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। वहीं मंगलवार को 190 घटनाओं में 166 हेक्टेयर के करीब वन क्षेत्र प्रभावित हुआ।

By Sumit KumarEdited By: Published: Thu, 15 Apr 2021 03:47 PM (IST)Updated: Thu, 15 Apr 2021 11:38 PM (IST)
उत्तराखंड में जंगल की आग से फौरी राहत, 17 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित
पूरे दिन में प्रदेश में आग की तकरीबन डेढ़ दर्जन घटनाएं ही सामने आईं।

जागरण संवाददाता, देहरादून: उत्तराखंड में बुधवार को जंगल में आग लगने की घटनाओं से फौरी राहत रही। पूरे दिन में प्रदेश में आग की तकरीबन डेढ़ दर्जन घटनाएं ही सामने आईं। इसमें 17 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। वहीं, एक दिन पहले मंगलवार को प्रदेश में 190 घटनाओं में 166 हेक्टेयर के करीब वन क्षेत्र प्रभावित हुआ था। 

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बीते एक माह से प्रदेश में जंगल धधक रहे हैं। रोजाना कई हेक्टेयर जंगल आग की भेंट चढ़ रहा है। इसके चलते अब तक कई जानें भी जा चुकी हैं। वन विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार बीते 24 घंटे में कुमाऊं में महज दो स्थानों पर जंगल में आग लगी, जबकि गढ़वाल में ऐसी 13 घटनाएं सामने आईं। संरक्षित वन क्षेत्र में भी चार जगह आग लगी। वन विभाग के मुताबिक आग बुझाने के लिए तमाम संसाधनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। विभाग के साथ एनडीआरएफ की टीमें भी आग पर काबू पाने में जुटी हैं। इधर, मौसम विभाग ने प्रदेश में शुक्रवार और शनिवार को ओलावृष्टि व बारिश की संभावना जताई है। इससे जंगल की आग से राहत मिलने की उम्मीद है। उधर, पिथौरागढ़ में एक व्यक्ति को वन विभाग की टीम ने जंगल में आग लगाते हुए गिरफ्तार किया। आरोपित की पहचान सौड़लेख निवासी देवराम के रूप में हुई है। 

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पहाड़ में जंगल की आग से वन्यजीवों पर मंडराया खतरा 

कुमाऊं के पर्वतीय जिलों के जंगल में लगी आग थमने का नाम नहीं ले रही है। इतना ही नहीं वनाग्नि के कहर से अब वन्यजीव भी संकट में पड़ गए हैं। सल्ट ब्लॉक के मानिला में भीषण लपटों से बेजार गुलदार सुरक्षित ठिकाने की तलाश में दिनदहाड़े आबादी क्षेत्रों में दिखने लगे हैं। रानीखेत में आग की लपटों से घिरे घुरड़ व काकड़ (हिरन प्रजाति) के बच्चों को वन कर्मियों ने बचा लिया। इसके अलावा पिथौरागढ़, चम्पावत व बागेश्वर के जंगल भी सुलग रहे हैं। 

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