Move to Jagran APP

ऋषिकेश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में गोवंश की हो रही दुर्दशा

तीर्थनगरी के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में गोवंश की ही दुर्दशा हो रही है। निकाय हो या पंचायत कहीं भी इसकी सुध लेने को कोई तैयार नहीं दिख रहा है।

By Edited By: Published: Mon, 07 Oct 2019 10:41 PM (IST)Updated: Tue, 08 Oct 2019 08:03 AM (IST)
ऋषिकेश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में गोवंश की हो रही दुर्दशा
ऋषिकेश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में गोवंश की हो रही दुर्दशा

ऋषिकेश, जेएनएन। गो, गंगा और गायत्री को पूजने वाले तीर्थनगरी के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में गोवंश की ही दुर्दशा हो रही है। निकाय हो या पंचायत कहीं भी इसकी सुध लेने को कोई तैयार नहीं दिख रहा है। कहने को गोधाम की स्थापना की जा चुकी है मगर, सड़कों पर आवारा घूमने वाले इन पशुओं को स्थायी ठौर अब तक नहीं मिल पाया है।

loksabha election banner

ऋषिकेश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में स्थित मुख्य मार्गों को लावारिस गोवंश से मुक्ति नहीं मिल पा रही है। इंद्रमणि बडोनी चौक, गुमानीवाला, श्यामपुर ,बाईपास, खत्री मुख्य मार्ग, आइपीएल चैनल गेट, सिटी गेट डिग्री कॉलेज चौराहा इन पशुओं की समस्या से सर्वाधिक परेशान हैं। नगर निगम ने तीन माह पूर्व इस दिशा में सार्थक पहल की थी। मां शकुंतला गो सेवा ट्रस्ट खदरी खड़कमाफ को गोधाम संचालन के लिए नगर निगम ने अधिकृत किया था। उस वक्त शहर से लावारिस गोवंश को वहां शिफ्ट भी किया गया था। मगर उसके बावजूद शहर की सड़कें इस तरह के पशुओं से पूरी तरह मुक्त नहीं हो पाई है। त्रिवेणी घाट के प्लेटफार्म पर भी यह जानवर पहुंचने लगे हैं। इनके कारण विशेष रूप से रात के वक्त मुख्य मार्गों पर दुर्घटनाएं हो रही हैं।

धरातल से गायब गो सेवा आयोग

तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी ने अपने कार्यकाल में गो सेवा आयोग का गठन किया था। उस वक्त आयोग ने यह तय किया था कि नगर निकाय और ग्राम पंचायतें अपने क्षेत्र में गो पालकों का पंजीकरण करेंगी। गोवंश की गणना की जाएगी और सड़कों पर घूमने वाले गोवंश को कांजी हाउस में रखा जाएगा। इसके अलावा इन पर आने वाले खर्च की वसूली गो पलकों से की जाएगी। मगर अब तक किसी भी ग्राम पंचायत और नगर निकाय ने इस पर अमल नहीं किया है और ना ही गो सेवा आयोग में इस दिशा में कोई कदम उठाया है।

कांजी हाउस की जमीन पर सजी दुकान

नगर-निगम गठन से पूर्व नगर पालिका परिषद के पास यात्रा बस अड्डे में अपना कांजी हाउस था। करीब एक दशक पूर्व तत्कालीन पालिका प्रशासन ने इस कांजी हाउस को तुड़वा दिया था। बाद में कांजी हाउस की भूमि पर एक व्यक्ति ने रेस्टोरेंट और जनरल स्टोर खोल दिया। नगर निगम ने इसे अतिक्रमण के रूप में चिह्नीत किया था और कागजों में कार्यवाही भी हुई। जिलाधिकारी के आदेश के बावजूद यहां से अतिक्रमण नहीं हटा है। जब जब प्रशासन और नगर निगम की टीम यहां कार्रवाई के लिए पहुंचती है तो एन वक्त पर प्रशासन की जेसीबी रुक जाती है। स्थानीय जनप्रतिनिधि और विभागीय अधिकारी ना जाने किन अज्ञात कारणों के चलते सामने नजर आ रहे हैं कांजी हाउस के अतिक्रमण पर कार्यवाही करने से पीछे हट जाते हैं।

श्यामपुर में पंचायत के गुमानीवाला क्षेत्र में करीब चार दशक पूर्व आवारा पशुओं के लिए कांजी हाउस का निर्माण कराया था। उस दौरान इसका सदुपयोग भी हुआ, लेकिन पिछले एक दशक से इस कांजी हाउस की सुध किसी ने नहीं ली है। कुछ वर्ष पूर्व स्थानीय कुछ जनप्रतिनिधियों ने इस पर अवैध कब्जा करने की नाकाम कोशिश की थी। इसके बावजूद प्रशासन अपनी करीब चार बीघा भूमि को लेकर गंभीर नजर नहीं आया। वर्तमान में यह भूमि कांजी हाउस के नाम पर ही मौजूद है। फर्क इतना है कि यहां आवारा मवेशी नहीं बल्कि बिल्डिंग मैटेरियल सप्लायर्स का माल रखा जा रहा है। पूरे भूखंड पर ईंट के चट्टे लगे हैं। इस भूखंड का अवैध रूप से इस तरह व्यवसायिक प्रयोग हो रहा है। मुख्य मार्ग पर स्थित इस भूमि पर कुछ माफिया की नजर लगी है।

यह भी पढ़ें: बॉन कम्युनिटी रिजर्व को कसरत शुरू, मांगा स्वामित्व का ब्योरा; पढ़िए पूरी खबर

प्रेमचंद्र अग्रवाल (अध्यक्ष उत्तराखंड विधानसभा) का कहना है कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में सड़क पर घूमने वाले गोवंश की समस्या बढ़ रही है। वाहनों की टक्कर से यह मवेशी चोटिल भी हो रहे हैं। काफी हद तक गो पालक भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। गुमानीवाला कांजी हाउस की भूमि को पुन: इस कार्य के लिए सदुपयोग में लाया जाएगा। जिला प्रशासन से बात करके यहां आवश्यक सुविधाएं जुटाई जाएंगी। शहरी क्षेत्र के कांजी हाउस को भी अतिक्रमण से मुक्त कराया जाएगा।

यह भी पढ़ें: देहरादून की रिस्पना नदी को नया जीवन देगा सौंग बांध, पढ़िए पूरी खबर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.