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बीमा कंपनी को देना होगा दुर्घटनाग्रस्त वाहन की मरम्मत का पूरा खर्च, जिला उपभोक्ता फोरम ने सुनाया फैसला

दुर्घटनाग्रस्त वाहन की मरम्मत पर खर्च बीमा कंपनी को देना होगा। जिला उपभोक्ता फोरम ने तीस दिन के भीतर क्लेम अदायगी का आदेश कंपनी को दिया है। इसके अलावा 15 हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति व पांच हजार रुपये वाद व्यय के भी कंपनी को देने होंगे।

By Sumit KumarEdited By: Published: Tue, 16 Mar 2021 06:10 AM (IST)Updated: Tue, 16 Mar 2021 06:10 AM (IST)
बीमा कंपनी को देना होगा दुर्घटनाग्रस्त वाहन की मरम्मत का पूरा खर्च, जिला उपभोक्ता फोरम ने सुनाया फैसला
जिला उपभोक्ता फोरम ने तीस दिन के भीतर क्लेम अदायगी का आदेश कंपनी को दिया है।

जागरण संवाददाता, देहरादून : दुर्घटनाग्रस्त वाहन की मरम्मत पर खर्च बीमा कंपनी को देना होगा। जिला उपभोक्ता फोरम ने तीस दिन के भीतर क्लेम अदायगी का आदेश कंपनी को दिया है। इसके अलावा 15 हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति व पांच हजार रुपये वाद व्यय के भी कंपनी को देने होंगे। ग्राम लखनवाला निवासी रेवती नंदन ने महिंद्रा इंश्योरेंस ब्रोकर्स लिमिटेड, देहरादून प्रीमियर मोटर्स व टाटा एआइजी जनरल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड को पक्षकार बना जिला उपभोक्ता फोरम में वाद दायर किया। वादी के अनुसार उन्होंने देहरादून प्रीमियर मोटर्स से महिंद्रा बोलेरो खरीदी थी।

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जिसके लिए उन्होंने मय बीमा 6,83,253 रुपये खर्च किए। उक्त वाहन 11 अगस्त 2017 को विकासनगर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जिस पर उन्होंने विपक्षीगण से फोन पर संपर्क किया। उन्हें वाहन सर्विस सेंटर पर ले जाने को कहा गया। जहां बताया गया कि वाहन ठीक होने में पांच-छह माह का वक्त लग जाएगा और उन्हें 250 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से पाॄकग शुल्क देना होगा। छह-सात दिन बाद वाहन के संबंध में जानकारी लेने पर कहा गया कि सर्वेयर ने गाड़ी की मरम्मत का खर्च 9,10,065 रुपये बताया है। उन्होंने फोन पर सर्वेयर से कहा कि वह इतने लंबे वक्त तक वाहन नहीं छोड़ सकते हैं। जिस पर सर्वेयर ने सुझाव दिया कि वह किसी अन्य सॢवस सेंटर से वाहन ठीक करा सकते हैं, बस बिल जीएसटी वाले होने चाहिए। इस आश्वासन पर उन्होंने विकासनगर स्थित वर्कशॉप में वाहन ठीक करा लिया व खुद से इसका 4,63,935 रुपये का भुगतान किया। पर क्लेम के लिए संपर्क करने पर विपक्षीगण टालमटोल करते रहे। बाद में कंपनी के मुख्यालय में संपर्क करने पर कहा गया कि उनका 1,14,612.25 रुपये का ही क्लेम बनता है।

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बीमा कंपनी ने फोरम में 9,10,065 रुपये का अनुमानित बिल बनाए जाने से इन्कार किया। कंपनी ने कहा कि दुर्घटना की सूचना पर स्वतंत्र सर्वेयर नियुक्त किया गया था, जिसने क्षति का आकलन 1,13,320 रुपये किया। बीमा कंपनी कैशलेस सुविधा जरूर देती है, पर यह केवल प्राधिकृत वर्कशॉप में ही वाहन ठीक कराने पर मिलती है। इस बात से भी इन्कार किया कि उनके किसी अधिकारी ने वाहन अन्य किसी वर्कशॉप में ले जाने की बात कही। जिस पर वादी ने वाट्सएप चैट साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत की। फोरम के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह दुग्ताल व सदस्य विमल प्रकाश नैथानी ने यह माना कि उक्त साक्ष्य के आलोक में यह नहीं कहा जा सकता कि सर्वेयर की रिपोर्ट निष्पक्ष व सही है। ऐसे में वादी वाहन की मरम्मत पर खर्च 4,63,935 रुपये पाने का अधिकारी है।

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