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उत्‍तराखंड: अब सामने आएगी गुलाबी आंकड़ों की वास्तविक तस्वीर, जिलों से फल समेत औद्यानिकी की अन्य फसलों की वास्तविक स्थिति का मांगा ब्योरा

आंकड़ों को देखें तो राज्य में 2.97 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में औद्यानिकी फसलें हो रही हैं और कुल उत्पादन है 17.72 लाख मीट्रिक टन। इसमें फल सब्जी आलू मसाले पुष्प शामिल हैं। इस हिसाब से देखें तो पर्याप्त पैदावार हो रही है लेकिन धरातलीय स्थिति इससे एकदम अलग है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Tue, 02 Aug 2022 03:55 PM (IST)Updated: Tue, 02 Aug 2022 03:55 PM (IST)
उत्‍तराखंड: अब सामने आएगी गुलाबी आंकड़ों की वास्तविक तस्वीर, जिलों से फल समेत औद्यानिकी की अन्य फसलों की वास्तविक स्थिति का मांगा ब्योरा
विभाग प्रमुख ने सभी जिलों से सेब समेत औद्यानिकी की अन्य फसलों की वास्तविक स्थिति का ब्योरा मांगा है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून: उत्तराखंड में औद्यानिकी को लेकर गुलाबी आंकड़ों की तस्वीर भले ही सुकून देने वाली हो, लेकिन स्वयं विभागीय अधिकारियों को भी इन पर यकीन नहीं आ रहा। यह बात इससे भी साबित होती है कि अब विभाग प्रमुख ने सभी जिलों से सेब समेत औद्यानिकी की अन्य फसलों की वास्तविक स्थिति का ब्योरा मांगा है।

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जल्द ही नाम‍ित की जाएगी संस्था

यही नहीं, वास्तविक स्थिति के आकलन को थर्ड पार्टी सर्वे कराने की भी तैयारी है, जिसके लिए जल्द ही संस्था नामित की जाएगी। इसके अलावा सेब समेत अन्य उत्पादों के विपणन को ठोस कदम उठाए जाएंगे तो ब्रांडिंग पर विशेष जोर दिया जाएगा।

राज्य में 2.97 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में औद्यानिकी फसलें

आंकड़ों को देखें तो राज्य में 2.97 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में औद्यानिकी फसलें हो रही हैं और कुल उत्पादन है 17.72 लाख मीट्रिक टन। इसमें फल, सब्जी, आलू, मसाले, पुष्प शामिल हैं। इस हिसाब से देखें तो पर्याप्त पैदावार हो रही है, लेकिन धरातलीय स्थिति इससे एकदम अलग है। फल-सब्जी, मसाले की उपलब्धता को अभी भी दूसरे राज्यों पर निर्भरता है। साफ है कि आंकड़ों में कहीं न कहीं झोल है या फिर नीति और नीयत में खोट। ऐसे में केंद्र एवं राज्य सरकार के सहयोग से चलने वाली औद्यानिकी विकास से जुड़ी योजनाओं को लेकर प्रश्न उठना स्वाभाविक है। दैनिक जागरण ने औद्यानिकी में फलोत्पादन की स्थिति को लेकर यह विषय प्रमुखता से उठाया। विभाग ने इसका संज्ञान भी लिया है।

लाभान्वित किसानों की मांगी जानकारी

उद्यान निदेशक डा एचएस बवेजा के अनुसार सभी जिलों से औद्यानिकी फसलों के क्षेत्रफल के साथ ही उत्पादन और वर्तमान उत्पादन की स्थिति का ब्योरा मांगा गया है। इससे वास्तविक आंकड़े सामने आने पर उत्पादन के आंकड़ों के बीच के अंतर को चिहि्नत कर दूर करने को कदम उठाए जा सकेंगे। साथ ही बागवानी मिशन और पीकेवीवाई योजना में चिहि्नत क्लस्टरों की स्थिति और लाभान्वित किसानों की जानकारी भी मांगी गई है। उन्होंने बताया कि धरातलीय स्थिति के आकलन के दृष्टिगत थर्ड पार्टी सर्वे के लिए शीघ्र ही संस्था चयनित की जाएगी।

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विपणन की कमियों को दूर करने के लिए सर्वे प्रारंभ

सेब समेत औद्यानिकी उत्पादों के विपणन को लेकर फील्ड में क्या-क्या कठिनाइयां आ रही हैं, इन्हें दूर करने के मद्देनजर सर्वे प्रारंभ कर दिया गया है। निदेशक उद्यान ने बताया कि हार्टिकल्चर मार्केटिंग बोर्ड की टीम वर्तमान में प्रमुख सेब उत्पादक जिलों में शामिल उत्तरकाशी का सर्वे कर रही है।

फल की गुणवत्ता, उत्पादन, ग्रेडिंग पर भी ल‍िया जा रहा ब्योरा

टीम पता लगाएगी कि जिले में सेब के विपणन की व्यवस्था में क्या-क्या खामियां हैं। फल की गुणवत्ता, उत्पादन, ग्रेडिंग जैसे विषयों पर भी ब्योरा लिया जा रहा है। सर्वे रिपोर्ट के बाद आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। अन्य जिलों में भी इसी प्रकार का सर्वे होगा। निदेशक के अनुसार यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसानों को बेहतर गुणवत्ता का प्लांटिंग मटीरियल मिले। साथ ही मानीटरिंग पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसके निर्देश दे दिए गए हैं।

उत्तराखंड के सेब को मंडियों में मिलेगा महत्व

पहचान के संकट से जूझ रहे उत्तराखंड के सेब को लेकर विभाग अब अधिक सक्रिय हुआ है। इस कड़ी में सेब उत्पादों को उत्तराखंड एप्पल नाम से खाली पेटियां उपलब्ध कराने का क्रम तेज किया गया है। अब तक 1.40 लाख पेटियां उपलब्ध कराई जा चुकी हैं और यह क्रम बना हुआ है। ये भी तय किया गया है कि राज्य की मंडियों में उत्तराखंड एप्पल को विशेष महत्व दिया जाएगा। इसके अलावा मोरी, हर्षिल, आराकोट, पुरोला समेत अन्य क्षेत्रों के सेब की क्षेत्रवार ब्रांडिंग भी की जाएगी।

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