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पूर्व सैन्‍य अधिकारी बोले, राजनीतिक दखल कम होने से जम्मू-कश्मीर में आतंक का होगा सफाया

सैन्य मामलों के जानकार बोले इस फैसले के बाद न सिर्फ जम्मू-कश्मीर में अमन व शांति आएगी और आतंकवाद का खात्मा होगा बल्कि पाक समर्थित अलगाववादियों पर भी शिकंजा कसेगा।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 06 Aug 2019 09:57 AM (IST)Updated: Tue, 06 Aug 2019 08:10 PM (IST)
पूर्व सैन्‍य अधिकारी बोले, राजनीतिक दखल कम होने से जम्मू-कश्मीर में आतंक का होगा  सफाया
पूर्व सैन्‍य अधिकारी बोले, राजनीतिक दखल कम होने से जम्मू-कश्मीर में आतंक का होगा सफाया

देहरादून, जेएनएन। सैन्य मामलों के जानकार केंद्र सरकार के इस कदम को ऐतिहासिक व साहसिक बता रहे हैं। उनका कहना है कि इस निर्णय को बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था। फिर भी देर आए दुरस्त आए की तर्ज पर भाजपा सरकार ने मजबूत इच्छाशक्ति दिखाई। इस फैसले के बाद न सिर्फ जम्मू-कश्मीर में अमन व शांति आएगी और आतंकवाद का खात्मा होगा, बल्कि पाक समर्थित अलगाववादियों पर भी शिकंजा कसेगा। जम्मू-कश्मीर व लद्दाख को अलग-अलग कर यहां विकास भी होगा। फख्र इस बात का भी है अब एक देश में एक कानून व एक झंडा लहराएगा।

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ले. जनरल ओपी कौशिक (सेवानिवृत्त) का कहना है कि अनुच्छेद 370 हटने से आतंकवाद के नासूर की अब स्थायी सर्जरी हो पाएगी। अभी तक आतंकियों को जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक संरक्षण मिलता रहा है। घाटी में बड़े पैमाने पर अलगाववादी और दूसरे संगठन आतंकियों की मदद करते हैं। वे  छोटी-छोटी बात पर लोगों को उकसाते हैं। नतीजतन हालात बिगड़ते हैं और भारतीय सेना के खिलाफ आज 1365 एफआइआर दर्ज हैं। ये परिस्थितियां ही बाधक बनती हैं। अब राजनीतिक दखल कम होगा तो आतंक का सफाया करने में आसानी होगी। जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने से वहां आंतरिक कानून व्यवस्था भी सुधरेगी। एक पहलू और भी है। लद्दाख अब तक बिल्कुल उपेक्षित रहा है। जम्मू-कश्मीर से अलग होने के बाद अब उसका विकास होगा। ये सामरिक लिहाज से भी फायदेमंद है।

ले. जनरल एमसी भंडारी (सेवानिवृत्त) का कहना है कि यह जम्मू-कश्मीर सहित पूरे देश के हित के लिए अत्यधिक आवश्यक था। अब केंद्र उन मामलों में भी दखल दे सकेगा, जो संविधान के तहत मिले विशेष प्रावधानों के कारण अभी तक उसके अधिकार क्षेत्र के बाहर थे। इसका असर निश्चित तौर पर आतंकवाद के सफाये पर पड़ेगा। न केवल पाक परस्त नेताओं पर लगाम कसने में मदद मिलेगी, बल्कि आतंकवाद के चलते राज्य से पलायन करने वाले कश्मीरी पंडितों की वापसी भी सुनिश्चित हो सकेगी। राजनीतिक पार्टियों ने अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए इसे अटकाया हुआ था। जम्मू-कश्मीर के दो राजनीतिक परिवार 370 के प्रावधानों का इस्तेमाल अपने-अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए करते आए थे। इसके हटने से जम्मू-कश्मीर में अमन शांति का माहौल होगा और आंतकवादी घटनाओं पर रोक लगेगी।

मेजर जनरल सी नंदवानी (सेनि.) का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक दल व अलगाववादी ताकतें एक अर्से से जनता को गुमराह करती आई हैं। उन्हें छोटी-छोटी बात पर भड़काया गया। राजनीतिक स्वार्थ के कारण एक पूरी पीढ़ी इन्होंने खराब कर दी है। ये कदम बहुत पहले उठाया जाना चाहिये था, पर किसी भी दल ने राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं दिखाई। मोदी सरकार द्वारा लिया गया यह एक ऐतिहासिक व साहसिक कदम है। अनुच्छेद 370 हटने के बाद अब जम्मू-कश्मीर की आवाम मुख्यधारा में आ पाएगी। लोग शिक्षित होंगे, उन्हें रोजगार मिलेगा तो आतंकवाद का भी सफाया होता चला जाएगा।

ब्रिगेडियर केजी बहल (सेवानिवृत्त) का कहना है कि इससे जम्मू-कश्मीर को पिछले दशकों में कितना नुकसान हुआ इसका अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल है। घाटी में सामाजिक समामेलन से उग्रवाद और आतंकवाद का खतरा कम होगा। अनुच्छेद-370 की आड़ में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पनप रहा था। इसकी वजह से राज्य में भ्रष्टाचार बेकाबू हो चुका था। जिससे विकास बाधित हो रहा था। आतंकवाद के खात्मे और जम्मू-कश्मीर के विकास में यह निर्णायक कदम होगा। यहां के क्षेत्रीय विवादों पर पाकिस्तान से निबटने के लिए ये फैसला अच्छी कूटनीति साबित होगा। यह एक ऐसा मुद्दा था जिस पर आज तक राजनीतिक पार्टियां रोटियां सेकती आ रही थीं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब ये अधिकार उनसे छीन लिया गया है।

कर्नल अजय कोठियाल (सेवानिवृत्त) का कहना है कि कश्मीर में अब एक नई सुबह होगी और घाटी में शांति आएगी। अनुच्छेद 370 ने जम्मू-कश्मीर का बहुत नुकसान किया है। यह अनुच्छेद ना होता तो वहां निवेश आता, रोजगार आते। लोगों को कई ज्यादा अधिकार मिलते। खैर, देर से ही सही पर कश्मीर की फिजा बदलेगी। अलगाववादी ताकतों पर लगाम लगेगी और आतंक का भी सफाया होगा। इस फैसले का असर पाकिस्तान के बार-बार कश्मीर राग उठाने पर भी दिखेगा अब उसको अलगाववादियों और सर्मथक नेताओं का सपोर्ट नहीं मिल पाएगा। अब जम्मू-कश्मीर में शांति और व्यवस्था कायम रखने के लिए फौज को अहम भूमिका निभानी होगी। क्योंकि अनुच्छेद 370 हटने के बाद अब कई तरह के रिएक्शन भी दिखाई देंगे।

शमशेर सिंह बिष्ट, पीटीआर (अप्रा) का कहना है कि इस काम के लिए एक मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत थी, जो भाजपा सरकार ने दिखाई है। अनुच्छेद-370 के बहाने आतंकवादियों को शह मिल रही थी। भारतीय सेना के साथ दुर्व्‍यवहार किया जा रहा था और राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया जाता था। इन राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लगाम लगेगी। कश्मीर में अब निवेश बढ़ेगा और रोजगार के भी अवसर खुलेंगे। कश्मीर में अब चहुमुखी विकास होगा। आतंकवाद को संरक्षण देने वालों पर शिकंजा कसना आसान होगा। अब तक हम जम्मू-कश्मीर जाते थे तो यूं महसूस होता था कि किसी अन्य राज्य नहीं बल्कि किसी अन्य जगह जा रहे हैं। क्योंकि कानून ही ऐसा था। पर अब वक्त बदलेगा।

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