ऑनलाइन पढ़ाई पर नेटवर्क का ब्रेक, कहीं स्मार्टफोन की दिक्कत भी तो कुछ के पास रिचार्ज को पैसे नहीं
Online Education उत्तरकाशी जिले के सरकारी विद्यालयों में ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करने का सिस्टम कारगर साबित नहीं हो पा रहा है।
उत्तरकाशी, शैलेंद्र गोदियाल। सीमांत उत्तरकाशी जिले के सरकारी विद्यालयों में ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करने का सिस्टम कारगर साबित नहीं हो पा रहा है। शिक्षकों के सामने सबसे अधिक परेशानी इंटरनेट नेटवर्क को लेकर पेश आ रही है। इसके अलावा कई परिवारों के पास एंड्रॉयड और स्मार्ट फोन नहीं हैं तो कई के पास डाटा रिचार्ज करवाने को पैसे।
दौलतराम रवांल्टा राजकीय इंटर कॉलेज नौगांव के प्रधानाचार्य जेएस सजवाण बताते हैं कि विद्यालय के बामुश्किल 50 फीसद छात्र ही ऑनलाइन पढ़ाई कर पा रहे हैं। भंकोली, छमरोटा, थली, मंजियाली, सुनारा, कोटियाल गांव, नौगांव क्वाडी, बिंगसी, किम्मी नैणी, पलेठा, खांसी समेत 22 गांवों के बच्चे विद्यालय में पंजीकृत हैं। लेकिन, इन गांवों में सबसे अधिक परेशानी मोबाइल नेटवर्क को लेकर है।
ज्यादातर परिवारों के पास सिर्फ एक ही स्मार्ट फोन है। उस पर अभिभावकों को निजी कार्यों से बाहर भी जाना पड़ता है। ऐसे में बच्चों के लिए ऑनलाइन पढ़ना संभव नहीं हो पाता। कई अभिभावक ऐसे भी हैं, जिनके पास डाटा रिचार्ज कराने को पैसे नहीं होते, तो कुछ के पास स्मार्ट फोन ही नहीं हैं। यह परेशानी उन्हीं के विद्यालय में नहीं, बल्कि हर विद्यालय की है।
गांव-गांव जाकर लगा रहे पाठशाला
नेटवर्क की परेशानी तो पुरोला और मोरी ब्लॉक में भी है। लेकिन, यहां कुछ विद्यालयों के शिक्षकों ने गांव-गांव जाकर पाठशाला लगानी शुरू कर दी हैं। पुरोला और मोरी के उप शिक्षाधिकारी जेपी काला बताते हैं कि शिक्षक शारीरिक दूरी का पालन करते हुए गांव के पंचायती चौक या खलिहान में बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
कुछ ही बच्चे ले पा रहे ऑनलाइन पढ़ाई का लाभ
जूनियर हाईस्कूल पुजेली के विज्ञान शिक्षक चंद्रभूषण बिजल्वाण बताते हैं कि ऑनलाइन पढ़ाई की राह में सबसे बड़ा रोड़ा अभिभावकों के पास एंड्रॉयड फोन न होना है। वह लॉकडाउन के बाद से जूनियर हाईस्कूल सुनाली, करडा और पुजेली के बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई करा रहे हैं। लेकिन, कमजोर पारिवारिक पृष्ठभूमि, नेटवर्क की दिक्कत जैसे कारणों से अधिकतर बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा।