स्वर्ग का सुख भी सत्संग की बराबरी नहीं कर सकता, हनुमंत चरित्र की व्याख्या कर स्वामी मैथिलीशरण ने व्यक्त किए उद्गार
श्री राम किंकर विचार मिशन के परमाध्यक्ष स्वामी मैथिलीशरण ने राजा रोड स्थित सनातन धर्म सभा गीता भवन के सभागार में चल रही तीन दिवसीय हनुमंत चरित्र कथा के दूसरे दिन प्रवचन किए। उन्होंने कहा कि हनुमान से पराजित होने के बाद लंकिनी में ज्ञान का उदय हो गया।
जागरण संवाददाता, देहरादून: स्वामी मैथिलीशरण ने कहा कि लंकिनी एक ऐसी पात्र है, जो सत्य को असत्य और असत्य को सत्य समझती है। कहा कि लंकिनी पवनपुत्र हनुमान को चोर समझती थी और उन्हें खा जाने के लिए लालायित थी, लेकिन हनुमान रूपी सत्य के मुक्के के प्रहार से लंकिनी के अंदर से मिथ्या व क्रोध की धारणाओं का रक्त निकल गया।
श्री राम किंकर विचार मिशन के परमाध्यक्ष स्वामी मैथिलीशरण राजा रोड स्थित सनातन धर्म सभा गीता भवन के सभागार में चल रही तीन दिवसीय हनुमंत चरित्र कथा के दूसरे दिन प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हनुमान से पराजित होने के बाद लंकिनी में ज्ञान का उदय हो गया। तब उसने प्रभु हनुमान से कहा कि स्वर्ग और मोह का सुख भी सत्संग की बराबरी नहीं कर सकता। आपने मेरा जीवन धन्य कर दिया।
लंकिनी बोली, हे हनुमान! अब आप भगवान राम को हृदय में धारण कर लंका में प्रवेश करो और भगवान के समस्त कार्यों को पूर्ण करो। स्वामी मैथिलीशरण ने कहा कि प्रभु हनुमान ही तमसो मा च्योतिर्गमय हैं, मृत्योर्मामृतं गमय हैं और असतो मा सद्गमय हैं अर्थात अंधकार से प्रकाश की ओर, मृत्यु से अमरता की ओर और असत्य से सत्य की ओर ले जाने वाले हैं। स्वामी मैथिलीशरण ने कहा कि हनुमान साक्षात परमब्रह्म परमात्मा के रूप हैं। ज्ञान, भक्ति और कर्म के सारे रहस्य हनुमान की लंका यात्रा में छिपे हुए हैं। इसलिए साधकों को नित्य मानस का पाठ करते हुए उसके मर्म को हृदय में धारण कर जीवन को प्रकाशमय बनाना चाहिए। इन दिनों सनातन धर्म सभा गीता भवन में हनुमंत चरित्र कथा चल रही है, जो मंगलवार को संपन्न होगी।
कथा श्रवण यू-ट्यूब पर भी
हनुमंत चरित्र कथा का श्रवण आप यू-ट्यूब पर भी कर सकते हैं। इसके लिए यू-ट्यूब पर जाकर bhaijimaithili's broadcast सर्च कर सकते हैं अथवा लिंक https://youtu.be/QgueWR2Jp-s को सब्सक्राइब कीजिए।
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