विश्व नमस्कार दिवस पर स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि कोरोना काल में दिख रहा नमस्कार का चमत्कार
विश्व नमस्कार दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि शक्ति का उपयोग करने के बजाय अभिवादन संस्कार के माध्यम से संघर्षों को हल करना ही इस दिन का उद्देश्य है। विश्व नमस्कार दिवस शांति को बढ़ाने का संदेश देता है।
ऋषिकेश, जेएनएन। विश्व नमस्कार दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि शक्ति का उपयोग करने के बजाय अभिवादन संस्कार के माध्यम से संघर्षों को हल करना ही इस दिन का उद्देश्य है। विश्व नमस्कार दिवस शांति को बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत प्रयासों के महत्व की अभिव्यक्ति का संदेश देता है।
परमार्थ निकेतन में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि नमस्कार दिवस पर हर व्यक्ति कोशिश करे कि कम से कम दस व्यक्तियों का अभिवादन कर आपसी संघर्षों को हल करने तथा शांति को बढ़ाने में अपना योगदान प्रदान करे। स्वामी चिदानंद ने कहा कि हाथ जोड़कर नमस्कार करने का तात्पर्य संस्कार, सम्मान, संवाद और शांति की स्थापना से है। चेहरे पर मुस्कान के साथ हाथ जोड़कर व सिर झुकाकर अभिवादन करना ही तो भारत की संस्कृति है, जो दर्शाती है कि हमारा व्यवहार दूसरों के प्रति मित्रवत है, हम शांतिपूर्ण वार्तालाप के लिए तैयार है तथा हम प्रेम के साथ दूसरों से जुड़ना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि नमस्कार केवल एक शब्द नहीं, बल्कि इसमें पूरी दुनिया को प्यार और अपनत्व के साथ जोड़ने की शक्ति है। यह दिन आपसी मतभेदों को भुलाकर शांति के साथ आगे बढ़ने का अवसर देता है। नमस्कार में अद्भुत शक्ति है, अगर हम किसी अजनबी का अभिवादन करें तो उनका हृदय अपार श्रद्धा और प्रेम से भर जाता है। नमस्कार दुनिया में शांतिपूर्ण बदलाव का मार्ग प्रशस्त करता है। वैसे तो लोग चमत्कार को नमस्कार करते है, लेकिन नमस्कार के चमत्कार को भूल जाते है परंतु कोरोना ने हमें बता दिया नमस्कार को चमत्कार में कितनी ताकत है।
उन्होंने ने कहा कि कोरोना वायरस ने भारतीय संस्कृति की अभिवादन पद्धति को वैश्विक स्तर पर साझा करने और उसके महत्व को समझने का एक अवसर दिया है। नमस्कार शांति और सद्भावना का प्रतीक है, अगर एक व्यक्ति दस व्यक्तियों को नमस्कार करता है तो यह चेन (चक्र) वैश्विक स्तर पर शांति की स्थापना का एक माध्यम बन सकती है।