दिव्यांगता अभिशाप नहीं: स्वामी चिदानंद
विश्व दिव्यांगता दिवस पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि दिव्यांगता अभिशाप नहीं है। किसी भी प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक अक्षमता के कारण केवल दूसरे सामान्य व्यक्तियों की तरह किसी कार्य को करने में अक्षम होना कोई अभिशाप नहीं है।
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश : विश्व दिव्यांगता दिवस पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि दिव्यांगता अभिशाप नहीं है। किसी भी प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक अक्षमता के कारण केवल दूसरे सामान्य व्यक्तियों की तरह किसी कार्य को करने में अक्षम होना कोई अभिशाप नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक जहां विश्व की 15 प्रतिशत आबादी किसी-न-किसी दिव्यांगता से पीड़ित है वहीं भारत की महज 2.21 प्रतिशत आबादी ही दिव्यांगता से पीड़ित है। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि दिव्यांगजनों की शिक्षा, व्यवसाय, रोजगार और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए भारत में अभी बहुत कुछ करना है। दिव्यांगजनों को सहानुभूति और सहायता की आवश्यकता नहीं है बल्कि उनके लिए उपकरणों का अनुसंधान और विकास करने की जरूरत है ताकि अन्य सभी सुविधाओं और स्थानों तक उनकी पहुंच को आसान बनाया जा सके जिससे वें भी सक्षम रूप से जीवन जी सके। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जो स्मार्ट सिटी और अन्य सुविधा संपन्न शहरों को निर्माण हो रहा है उसमें दिव्यांग जनों की परेशानियों को ध्यान में रखते हुए निर्माण किया जाना नितांत आवश्यक है। दिव्यांग बच्चों के लिए हमारे देश में विशेष स्कूलों की आवश्यकता है क्योंकि सामान्य बच्चों के साथ दिव्यांग बच्चे सहज नहीं हो पाते और कई बार उन्हें उपेक्षा की दृष्टि से भी देखा जाता है। सार्वजनिक स्थानों को भी दिव्यांग जनों के लिए सुगम बनाने हेतु पोर्टेबल स्टेप सीढ़ी जैसे उपायों को अपनाकर भी उनका जीवन आसान बनाया जा सकता है। स्वामी जी ने कहा कि दिव्यांगों को सुविधाएं प्रदान करने के साथ-साथ उनके प्रति जनसामान्य का जो नजरिया हैं वह भी सकारात्मक होना चाहिये।