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तीन मिनट में मिलेगी किसी भी स्थान की सटीक जानकारी, सर्वे ऑफ इंडिया देशभर में स्थापित कर रहा 900 कोर्स स्टेशन

पृथ्वी पर किसी स्थान की भौगोलिक स्थिति का निर्धारण अक्षांस (लैटीट्यूड) और देशांतर (लॉन्गीट्यूड) के माध्यम से किया जाता है। लैटीट्यूड व लॉन्गीट्यूड के सहारे दुनिया के किसी भी स्थल का पता लगाया जा सकता है। आपके पास किसी स्थल के लैटीट्यूड व लॉन्गीट्यूड की सटीक जानकारी होनी जरूरी है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Mon, 01 Mar 2021 07:10 AM (IST)Updated: Mon, 01 Mar 2021 01:14 PM (IST)
तीन मिनट में मिलेगी किसी भी स्थान की सटीक जानकारी,  सर्वे ऑफ इंडिया देशभर में स्थापित कर रहा 900 कोर्स स्टेशन
ज्योडीय एवं अनुसंधान शाखा के निदेशक श्यामवीर सिंह के मुताबिक राज्यों सरकारों का यह सुविधा निश्शुल्क दी जाएगी

सुमन सेमवाल, देहरादून: पृथ्वी पर किसी स्थान की भौगोलिक स्थिति का निर्धारण अक्षांश (लैटीट्यूड) और देशांतर (लॉन्गीट्यूड) रेखाओं से किया जाता है। इनके सहारे दुनिया के किसी भी स्थल का पता लगाया जा सकता है। हालांकि, इसके लिए आपके पास उस स्थल के लैटीट्यूड व लॉन्गीट्यूड की सटीक जानकारी होना जरूरी है। मोबाइल से गूगल मैप के जरिये भी आप यह जानकारी हासिल कर सकते हैैं, मगर धरातल पर इसमें 15 से 20 मीटर तक अंतर आ जाता है। ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) से यह काम करने में दो घंटे लग जाते हैैं। मगर, सर्वे ऑफ इंडिया ऐसी तकनीक पर काम कर रहा है, जिससे तीन मिनट के भीतर संबंधित स्थल की सटीक जानकारी मिल सकती है। इस तकनीक का नाम कंटीन्यूशनली ऑपरेटिंग रिफ्रेंस सिस्टम (कोर्स) रखा गया है। 

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रविवार को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर सर्वे ऑफ इंडिया की ज्योडीय एवं अनुसंधान शाखा ने इस तकनीक की जानकारी दैनिक जागरण के साथ साझा की। शाखा के निदेशक श्यामवीर सिंह ने बताया कि अब कोर्स से देश के किसी भी स्थल की बेहद कम समय में सटीक जानकारी मिल सकेगी। इसी बात को ध्यान में रखते हुए देशभर में 900 कोर्स स्टेशन लगाने की योजना पर काम किया जा रहा है। धरातल पर कोर्स का अंतर महज दो से तीन सेंटीमीटर ही आता है। उत्तराखंड में अब तक 13 और उत्तर प्रदेश में 61 स्टेशन स्थापित किए जा चुके हैैं। इसके अलावा आठ राज्यों में स्टेशन लगाने का काम गतिमान है। अगले साल तक सभी 900 स्टेशन स्थापित कर दिए जाएंगे। एक स्टेशन पर 22 लाख रुपये का ïखर्च आ रहा है।

उत्तराखंड में यहां स्टेशन स्थापित

देहरादून, मोरी, रामनगर, पिथौरागढ़, बैजनाथ, रुद्रप्रयाग, रुड़की, टिहरी, सतपुली, भटवाड़ी, मुनस्यारी, हल्द्वानी, खटीमा।

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इन राज्यों में कार्य गतिमान

हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश, केरल।

इस तरह काम करता है कोर्स

ज्योडीय एवं अनुसंधान शाखा के निदेशक श्यामवीर सिंह के मुताबिक एक कोर्स स्टेशन से दूसरे स्टेशन की दूरी 60 से 70 किलोमीटर रखी जाती है। सभी स्टेशन इंटरनेट के जरिये आपस में जुड़े होते हैैं। जब भी किसी स्थल का लैटीट्यूड और लॉन्गीट्यूड निकालना होता है तो वहां स्टेशन से जुड़े रोवर रिसीवर को हाथ में पकड़ा जाता है। तीन मिनट के भीतर स्थल की जानकारी मिल जाती है। विभिन्न योजनाओं के निर्माण, भवन आदि की पहचान स्पष्ट करने के लिए यह तकनीक बेहद सरल और कारगर है। राज्य सरकारों को यह सुविधा निश्शुल्क दी जाएगी, जबकि निजी प्रतिष्ठानों से शुल्क वसूल किया जाएगा। हालांकि, अभी शुल्क तय नही किया गया है। 

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