अतिक्रमण पर सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका, कंपाउंडिंग पर राहत
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को बड़ा झटका देते हुए अतिक्रमण हटाओ अभियान की सीमा बढ़ाने के लिए की गई अपील को खारिज कर दिया है।
देहरादून, [जेएनएन]: दून में अतिक्रमण के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान पर सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिल पाई। अतिक्रमण हटाने के लिए अतिरिक्त समय देने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए हाईकोर्ट में अपील करने को कहा है। हालांकि, कंपाउंडिंग की व्यवस्था समाप्त करने व भवनों के नक्शे पास करते समय स्ट्रक्चरल इंजीनियर के प्रमाण पत्र को अनिवार्य किए जाने के हाईकोर्ट के आदेश को जरूर स्टे कर दिया गया।
मंगलवार को प्रदेश सरकार की स्पेशल लीव पिटिशन (एसएलपी) पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एके सीकरी व अशोक भूषण की पीठ ने सुनवाई की। एसएलपी पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में मौजूद रहे एमडीडीए सचिव पीसी दुम्का ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने अतिक्रमण पर अतिरिक्त समय के लिए सरकार को हाईकोर्ट में ही दरख्वास्त करने को कहा है।
साथ ही हाईकोर्ट को भी प्रकरण का निस्तारण करने को कहा गया है। सचिव दुम्का के मुताबिक, अतिक्रमण पर भले ही फौरी राहत न मिल पाई हो, मगर कंपाउंडिंग की व्यवस्था समाप्त करने व स्ट्रक्चरल इंजीनियर के प्रमाण पत्र पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को जरूर राहत दी है।
कोर्ट ने राज्य के इस तर्क को माना कि कंपाउंडिंग उत्तर प्रदेश अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट के अनुसार की जा रही है और एक्ट पर किसी तरह के सवाल नहीं हैं। स्ट्रक्चरल इंजीनियर के प्रमाण पत्र पर भी तर्क दिया गया था कि नौ मीटर से अधिक ऊंचाई वाले भवनों के मामले में आर्किटेक्ट के साथ ही स्ट्रक्चरल इंजीनियर के प्रमाण पत्र की अनिवार्यता है। इससे कम ऊंचाई के भवनों में आर्किटेक्ट के प्रमाण पत्र को ही स्वीकार किया जाता है और नौ मीटर तक ऊंचाई के भवन आपदा के लिहाज से उतने संवेदनशील भी नहीं होते हैं। इसे भी स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य को अंतरिम राहत दे दी है।
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